जयपुर | रिपोर्ट, कहते हैं जुनून और लगन उम्र नहीं देखती, और इसका जीता-जागता उदाहरण हैं जयपुर की 6 साल 11 महीने की तनिष्का टाक। इतनी छोटी उम्र में तनिष्का ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया। उन्होंने लगातार 2 घंटे 38 मिनट 54 सेकंड तक हुला-हूप घुमाते हुए 15,520 रोटेशन पूरे किए और अपने आयु वर्ग में विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। यह रिकॉर्ड 12 सितंबर 2025 को बनाया गया, और 27 सितंबर को लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा इसे आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई। राजस्थान से आए निर्णायक प्रथम भल्ला की मौजूदगी में तनिष्का का यह ऐतिहासिक प्रदर्शन रिकॉर्ड किया गया।
सिर्फ एक खिलौने से शुरू हुई विश्व रिकॉर्ड की यात्रातनिष्का की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट जैसी लगती है, लेकिन यह पूरी तरह सच्ची है। करीब तीन साल पहले उनके माता-पिता ने सुपरमार्केट से सिर्फ मनोरंजन के लिए एक हुला-हूप खरीदा था। किसी ने नहीं सोचा था कि यही रिंग एक दिन इतिहास लिखेगी। घर पहुंचने पर तनिष्का ने पहली बार हुला-हूप आजमाया। बिना किसी कोच या ट्रेनिंग के, उसने खुद से अभ्यास शुरू किया। उसके माता-पिता को शुरुआत में यह एक सामान्य खेल लगा, लेकिन जब उन्होंने बेटी का समर्पण और उत्साह देखा, तो उन्होंने उसे और प्रेरित किया।
दो साल की मेहनत और आत्म-प्रेरणापिछले दो वर्षों से तनिष्का हुला-हूप का अभ्यास कर रही थी। उनकी माँ सुरभि जैन एक गृहिणी हैं और पिता खिलेश टाक डायमंड के व्यवसायी। पिता खिलेश बताते हैं —
रिकॉर्ड डे: जब परिवार बना कोचिंग टीम“हमने उसे मजे में हूप घुमाते देखा और महसूस किया कि वह कुछ अलग कर सकती है। तब मैंने इंटरनेट पर हुला-हूप से जुड़े रिकॉर्ड देखे और पाया कि 7 साल की एक लड़की ने 2 घंटे तक हूप घुमाया था। तब मैंने तनिष्का को कहा — ‘तुम उससे बेहतर कर सकती हो!’ और उसने सच में कर दिखाया।”
रिकॉर्ड वाले दिन तनिष्का के लिए घर ही मिनी स्टेज में बदल गया था। परिवार ने ऐसा माहौल बनाया कि उसे किसी प्रतियोगिता का तनाव महसूस न हो। मां सुरभि बताती हैं —
“हमने उसके पसंदीदा गाने चलाए ताकि वह हंसते-खेलते हूप घुमाती रहे। बीच-बीच में पानी पिलाया, मुस्कुराकर प्रोत्साहित किया। हमने कभी नहीं जताया कि यह कोई कठिन काम है।”
यह तरीका कारगर रहा। तनिष्का बिना रुके 2 घंटे 38 मिनट 54 सेकंड तक हूप घुमाती रही। उसके चेहरे पर थकान नहीं, बल्कि मुस्कान थी।
“मैं तो और कर सकती थी” — तनिष्काजब निर्णायकों ने घोषणा की कि उसने रिकॉर्ड तोड़ दिया है, तो परिवार खुशी से झूम उठा। उसी वक्त हूप गिरा और रिकॉर्ड बन गया। लेकिन तनिष्का ने मासूमियत से कहा —
“मुझे तो मज़ा आ रहा था, मैं तो और कर सकती थी!”
यह वाक्य बताता है कि यह कारनामा किसी दबाव का नहीं, बल्कि शुद्ध आनंद और जुनून का परिणाम था।
बिना कोचिंग, केवल लगन से सीखी कलाआज के समय में जब हर कला के लिए कोचिंग क्लास और ट्रेनिंग की जरूरत समझी जाती है, तनिष्का ने यह रिकॉर्ड पूरी तरह स्वयं सीखी कला के दम पर बनाया। उनकी मां कहती हैं —
“वह रोज़ स्कूल से लौटकर सबसे पहले हुला-हूप करती थी। कई बार स्कूल जाने से पहले और रात में सोने से पहले भी। धीरे-धीरे उसने चलते, नाचते और हंसते हुए हूप घुमाना सीख लिया।”
यह समर्पण ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बना।
पारिवारिक समर्थन बना सफलता की कुंजीतनिष्का की सफलता के पीछे परिवार का बड़ा योगदान है। माता-पिता ने कभी दबाव नहीं डाला, बल्कि उसकी रुचि को पहचाना और प्रोत्साहित किया। पिता खिलेश कहते हैं —
“हमने उसे कभी ‘रिकॉर्ड बनाना है’ नहीं कहा। बस इतना कहा कि ‘मजा लो, खेलो।’ जब बच्चा खुश होता है, तभी वो लंबा खेल सकता है।”
यह सकारात्मक माहौल ही तनिष्का की सबसे बड़ी पूंजी बना।
लंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुआ नामलंदन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने तनिष्का के इस प्रदर्शन को आधिकारिक मान्यता दी है। 27 सितंबर को संस्था ने अपने अंतरराष्ट्रीय पोर्टल पर तनिष्का टाक का नाम प्रकाशित किया। रिकॉर्ड की वीडियो और डेटा सत्यापन के बाद प्रमाणपत्र अब तनिष्का के परिवार को सौंपा गया है। इस उपलब्धि के साथ तनिष्का दुनिया की सबसे कम उम्र की हुला-हूप परफॉर्मर बन गई हैं, जिसने इतनी लंबी अवधि तक लगातार प्रदर्शन किया।
हुला-हूप क्या है और क्यों है खास?हुला-हूप एक हल्का घेरा होता है जिसे कमर, हाथ या गर्दन के चारों ओर घुमाया जाता है। यह न सिर्फ मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि फिटनेस का भी अहम साधन है। यह शरीर की कोर स्ट्रेंथ, बैलेंस और रिद्म को बेहतर बनाता है। तनिष्का ने न केवल इसे खेल के रूप में अपनाया, बल्कि इसे एक आर्ट फॉर्म और अनुशासन की तरह सीखा।
तनिष्का बनी प्रेरणा की मिसालतनिष्का की उपलब्धि सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि एक संदेश है — कि उम्र कभी भी सपनों की सीमा नहीं बन सकती। आज जब बच्चे मोबाइल और स्क्रीन की दुनिया में खो रहे हैं, तनिष्का ने दिखाया कि सच्चा आनंद खुद को नई चुनौतियों में ढूंढने में है। उनकी सफलता उन सभी माता-पिता के लिए भी प्रेरणा है जो अपने बच्चों की रुचियों को गंभीरता से नहीं लेते। तनिष्का का परिवार दिखाता है कि जब घर सहयोग का माहौल देता है, तो छोटी उम्र के बच्चे भी दुनिया जीत सकते हैं।
छोटी उम्र, बड़ा सपना — भारत की नन्ही स्टारतनिष्का टाक अब सिर्फ जयपुर की नहीं, पूरे भारत की शान बन चुकी हैं। उनकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि “बड़ा करने के लिए बड़ा होना जरूरी है।” यह रिकॉर्ड बताता है कि जुनून उम्र से बड़ा है, समर्पण किसी कोचिंग से अधिक ताकतवर है और परिवार का साथ किसी ट्रॉफी से अधिक अनमोल है।
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