शहर के सज्जनगढ़ अभ्यारण्य स्थित बायो पार्क में रविवार को बड़ा हादसा टल गया। इस पार्क में दोपहर में लगी आग से वन्यजीवों की जान को खतरा पैदा हो गया, वहीं पर्यटकों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका थी। हालांकि समय रहते आग पर काबू पा लिए जाने से वन्यजीव और पर्यटक दोनों सुरक्षित रहे। सज्जनगढ़ अभ्यारण्य में मार्च से अब तक आग लगने की यह चौथी घटना है। रविवार को आग लगने की घटना के दौरान पर्यटकों को बाहर निकाला गया और पार्क को तीन घंटे के लिए बंद कर दिया गया। पार्क में शेर, भालू, हिरण, चीतल समेत 22 प्रजातियों के वन्यजीव हैं। दोपहर करीब सवा 12 बजे पार्क से सटे खाली प्लॉट में पड़े कचरे में आग लग गई। हवा के कारण यह तेजी से फैलती हुई सज्जनगढ़ अभ्यारण्य स्थित बायो पार्क तक पहुंच गई। यहां सूखी घास और तेज हवा के कारण कुछ ही देर में आग ने भीषण रूप ले लिया। आनन-फानन में पर्यटकों को बाहर निकाला गया।
आग की लपटें ईमू और जंगली सूअर के बाड़े तक पहुंच गई। इसके अलावा आग ने पार्क के प्रवेश द्वार से करीब 200 फीट दूर स्थित गोल्फ कोर्ट और रेंज कार्यालय को भी अपनी चपेट में ले लिया। हालांकि गनीमत रही कि पर्यटक और कार्यालय के साथ ही वन्यजीव सुरक्षित रहे। वनकर्मी आग बुझाने में जुटे रहे। बाल्टियों में पानी भरकर और पेड़ों की टहनियों का उपयोग कर आग बुझाने का प्रयास किया गया। दो दमकल गाड़ियां भी लगी रहीं। रेंज कार्यालय के सामने आने-जाने के लिए बने दो रास्ते होने के कारण आग आगे नहीं बढ़ सकी। दोपहर करीब दो बजे आग पर काबू पा लिया गया। आग लगने की घटना के बाद पर्यटकों को बाहर निकाला गया और पार्क के गेट बंद कर दिए गए। दोपहर दो बजे तक आग पर काबू पा लिया गया। इसके बाद दोपहर करीब तीन बजे पार्क को फिर से पर्यटकों के लिए खोल दिया गया। हालांकि दिनभर गोल्फ कार्ट सेवाएं बंद रहीं। पार्क में प्रतिदिन 300 से 400 पर्यटक आते हैं। रेंज कार्यालय के सामने सांभर और चीतल के बाड़े हैं। इनके सामने शेर और भालू के बाड़े हैं। तीन आग में अभयारण्य का 216 हेक्टेयर जंगल खाक
6 अप्रैल - इस दिन अभयारण्य में फिर आग लग गई। किसी तरह इस पर काबू पाया गया। एक हेक्टेयर जंगल राख हो गया।
8 अप्रैल - हवाला गांव से अभयारण्य में फिर आग लग गई। दीवार के पास कचरा जलाने से यह अभयारण्य तक पहुंच गई। इस आग से 115 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा।
4 मार्च - बिजली के ट्रांसफार्मर पर बंदर के कूदने से शॉर्ट सर्किट हुआ और गोरेला प्वाइंट क्षेत्र में आग लग गई। पांच दिन में आग पर काबू पाया जा सका। इस बीच 100 हेक्टेयर जंगल खाक हो गया।
उदयपुर के जंगलों में गर्मी बढ़ते ही आग लगने की घटनाएं शुरू हो जाती हैं। पूरे प्रदेश में साल भर में ऐसी 3 हजार घटनाएं होती हैं। इनमें से एक हजार घटनाएं अकेले उदयपुर में होती हैं। एक दिन पहले शनिवार को भास्कर ने वन विभाग के आदेश पर सवाल उठाए थे। इस आदेश के तहत विभाग ने सभी फायर लाइन और आग बुझाने के संसाधनों की जांच करने के आदेश दिए थे। भास्कर ने विशेषज्ञों व अन्य तथ्यों के आधार पर बताया था कि मार्च माह से जंगलों में आग लगनी शुरू हो जाती है। अब तक सज्जनगढ़ समेत विभिन्न पहाड़ियों में आग लगने से सैकड़ों हेक्टेयर जंगल खाक हो चुके हैं। विभाग को यह जांच जनवरी-फरवरी तक पूरी करनी थी। अब आग लगने से कई जंगलों में फायर लाइन भी जंगल की राख में खो गई है।
इको सेंसिटिव जोन, फिर भी बने होटल व रिसोर्ट
स्थानीय लोगों के अनुसार बायो पार्क से लगी जमीन के पास कॉलोनियां व होटल हैं। सेंचुरी व बंबूसा होटल के बीच राजस्व विभाग की 20 बीघा जमीन है। कॉलोनीवासी व होटल संचालक इस खाली जमीन पर कचरा डालते हैं। यहां कोई कचरा आग लगाता तो वह पार्क तक पहुंच जाता। बायो पार्क के पास का क्षेत्र इको सेंसिटिव जोन है। इसके बावजूद यहां होटलों का अवैध संचालन व निर्माण चल रहा है। 18 अप्रैल को यूडीए ने एलपीके क्लब व होटल को सीज किया था। इससे 10 माह पहले भी यूडीए ने उपली बड़ी में बादीगढ़ रिसोर्ट को सीज किया था। इसके बाद भी अफसरों की मिलीभगत से निर्माण कार्य जारी है।
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