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झुंझुनूं में मुख्यमंत्री भजनलाल के दौरे से पहले गुढ़ा पर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी निगाहें, जानिए क्या है पूरा माजरा ?

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राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 20 व 21 अप्रैल को झुंझुनूं जिले के दौरे पर रहेंगे। उनके दौरे को लेकर भाजपा पदाधिकारी तैयारियों में जुटे हैं। मुख्यमंत्री प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ताओं से अलग-अलग मिलेंगे। इसके लिए अलग-अलग छोटी-छोटी स्वागत सभाएं होंगी। दावा किया जा रहा है कि स्वागत सभाओं में दो से पांच हजार लोगों को लाया जाएगा। हर सभा में मंच होगा, जिसे मुख्यमंत्री समेत कई वक्ता संबोधित करेंगे। इस दौरान कार्यकर्ता अपनी समस्याएं भी बताएंगे। सबसे महत्वपूर्ण बैठक पिलानी में होगी। यमुना का पानी लाने के लिए संयुक्त टास्क फोर्स की दूसरी बैठक यहीं होगी। मंडावा की स्वागत सभा मंडावा में होगी। नवलगढ़ की मुकुदनगढ़ में, झुंझुनूं की ढिगाल टोल के पास होगी। इसके बाद सर्किट हाउस में जनसुनवाई व अधिकारियों के साथ बैठक होगी। कोई भी आम व्यक्ति सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री को अपनी समस्याएं बता सकेगा। इसके बाद गुढ़ा गेट पर उदयपुरवाटी क्षेत्र की बैठक होगी। इसके बाद बगड़ में सभा होगी। खेतड़ी की स्वागत सभा ओजटू बाइपास पर होगी। इसके बाद सूरजगढ़ में सभा होगी। अंत में देर शाम पिलानी में सभा होगी।

टास्क फोर्स की दूसरी बैठक
पिलानी में मुख्यमंत्री हरियाणा और राजस्थान के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। यहां वे यमुना जल समझौते की डीपीआर के लिए गठित संयुक्त टास्क फोर्स की दूसरी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। इस दौरान वे नक्शे की डिजाइन और अलाइनमेंट पर विस्तृत चर्चा करेंगे। उल्लेखनीय है कि यमुना जल समझौते के पहले चरण में ताजेवाला हेड से पानी को प्रदेश में लाने के लिए फ्लो सिस्टम की संयुक्त डीपीआर बनाने पर सहमति बनी है। डीपीआर के लिए गठित संयुक्त टास्क फोर्स की पहली बैठक 7 अप्रैल को यमुनानगर में हो चुकी है।

राजेंद्र गुढ़ा पर एजेंसियों की नजर?
मुख्यमंत्री के दौरे को देखते हुए सरकारी एजेंसियों की नजर पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा पर भी है। एजेंसियों को आशंका है कि गुढ़ा अपने कार्यकर्ताओं से मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान विरोध प्रदर्शन करवा सकते हैं। गुढ़ा लगातार कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

खेल विश्वविद्यालय का सपना अधूरा
फिलहाल जिले में पानी की किल्लत का मुद्दा छाया हुआ है। चिड़ावा के लाल चौक में ग्रामीण लंबे समय से धरने पर बैठे हैं। इसके अलावा खेल विश्वविद्यालय का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा अधूरे ओवरब्रिज, अधूरे ऑडिटोरियम और ऑफिसर्स क्लब की हालत किसी से छिपी नहीं है।

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