अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने के मामले की सुनवाई कल अजमेर सिविल कोर्ट में होगी। इस सुनवाई से पहले गुरुवार को हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों पर किसी भी तरह के आदेश/अंतरिम आदेश पर रोक लगा रखी है। इसलिए सुनवाई रोकी जाए। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी। इसलिए सभी की निगाहें कल सिविल कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं।
सबसे पहले मामले को समझिए
अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। सिविल कोर्ट में चल रही सुनवाई रोकने की मांग की गई। इस मामले की सुनवाई कल 19 अप्रैल को अजमेर के सिविल कोर्ट में होनी है। इसे रोकने के लिए अंजुमन कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जगदान ने अपनी याचिका में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी भी मामले में सुनवाई पर रोक लगा रखी है। फिर भी सिविल कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
12 दिसंबर को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की विशेष पीठ ने धार्मिक स्थलों के खिलाफ नए मामलों और सर्वेक्षणों के आदेशों पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (वाराणसी), शाही ईदगाह (मथुरा) और संभल की जामा मस्जिद से जुड़े मामलों समेत देशभर में ऐसे मामलों पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था, "जब मामला हमारे सामने लंबित है, तो अन्य अदालतों के लिए इन मामलों की सुनवाई करना उचित नहीं होगा।" याचिकाकर्ताओं ने इसे आधार बनाया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशीष सिंह और वागीश कुमार ने इस पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में अंजुमन कमेटी पक्षकार नहीं है। इसलिए उन्हें हाईकोर्ट आने का अधिकार नहीं है। जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। मामले की अगली सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी।
आगे क्या हो सकता है? राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता अखिल चौधरी कहते हैं, "अजमेर शरीफ दरगाह मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले ही शुरू हो गई है, लेकिन हाईकोर्ट अभी भी इस सुनवाई को रोक सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए अंजुमन कमेटी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राजस्थान हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप कर न सिर्फ कार्यवाही रोक सकता है, बल्कि ऐसा आदेश भी पारित कर सकता है, जिससे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 का उसके मूल उद्देश्य और भावना के अनुरूप क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके। अंजुमन के सदस्यों का कहना है कि यह दावा निराधार है। अजमेर शरीफ दरगाह सभी धर्मों के लोगों की आस्था रही है। इसलिए राजपूत, मराठा, अंग्रेजों और आजादी के बाद भी इस तरह के सवाल कभी नहीं उठे। शिवाजी महाराज के पोते राजा साहू से लेकर जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय और सिंधिया राजाओं तक सभी का दरगाह से नाता रहा है। इसलिए लगाए जा रहे आरोप गलत हैं।
प्रधानमंत्री ने भेजी थी चादर
हर साल की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दरगाह पर चादर चढ़ाई गई। मंत्री किरण रिजिजू चादर लेकर आए थे. क्या ये चादर उन लोगों को जवाब है जो इसे मंदिर होने का दावा करते हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा था कि हम किसी को जवाब देने या दिखावे के लिए ऐसा नहीं कर रहे हैं. हम प्रधानमंत्री का संदेश लेकर आए हैं कि देश के लोग अच्छे तरीके से जिएं. हम देश में अच्छा माहौल चाहते हैं. दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे पर अजमेर की सिविल कोर्ट में सुनवाई चल रही है. विष्णु गुप्ता ने सितंबर 2024 में याचिका दायर की थी. नवंबर से इस पर सुनवाई हो रही है. अजमेर दरगाह आस्था का बड़ा केंद्र है. इसलिए इस मामले पर सबकी नजर है.
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