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माउंट आबू में भालुओं का आतंक: डेयरी में घुसकर सामान बिखेरा, दही खाते कैमरे में कैद

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राजस्थान के माउंट आबू में भालुओं के आतंक से स्थानीय लोग लगातार परेशान हैं। सड़कों पर घूमते भालू और दुकानों के आसपास उनका हल्ला आम दृश्य बन गया है। अब ऐसा ही एक वीडियो सामने आया है, जिसमें तीन भालू डेयरी में घुसकर सामान बिखेरते और दही खाते नजर आ रहे हैं।

घटना की पूरी जानकारी डेयरी के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक मादा भालू अपने दो बच्चों के साथ डेयरी में प्रवेश करती है। ये भालू पहले तो दुकानों में तोड़फोड़ करते हैं और फिर आराम से दही खाने लगते हैं। दुकानदार और आसपास के लोग घटना के दौरान चौंक गए, लेकिन भालू तुरंत वहां से चले गए।

स्थानीय लोग बताते हैं कि भालुओं का यह आतंक नया नहीं है। पिछले कुछ महीनों में कई बार भालू सड़कों पर और दुकानों के पास देखे गए हैं। लेकिन इस तरह सीधे डेयरी में घुसने और सामान बिखेरने की घटना ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भालुओं के आवागमन में वृद्धि का कारण उनके प्राकृतिक आवास में कमी और भोजन की तलाश हो सकती है। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की है कि भालुओं को आकर्षित करने वाले भोजन या कचरा बाहर न छोड़ें। वहीं, वन विभाग की टीम इलाके में गश्त बढ़ा रही है और भालुओं को सुरक्षित तरीके से जंगल में लौटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि माउंट आबू जैसे हिल स्टेशन और वन क्षेत्र में इंसानों और जंगली जानवरों के बीच टकराव आम है। यह जरूरी है कि लोग सतर्क रहें और भालुओं के प्रति संयम बनाए रखें। उन्होंने कहा कि भालुओं के साथ संघर्ष करने या उन्हें डराने की कोशिश खतरनाक साबित हो सकती है।

स्थानीय दुकानदारों और डेयरी मालिकों का कहना है कि वन विभाग को नियमित गश्त के साथ-साथ चेतावनी बोर्ड और जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। इससे न केवल भालुओं के हमले को रोका जा सकेगा, बल्कि लोगों में सुरक्षा का भाव भी मजबूत होगा।

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि माउंट आबू में भालुओं के आगमन और उनकी निर्बाध गतिविधि अब गंभीर समस्या बन चुकी है। वन विभाग, स्थानीय प्रशासन और जनता को मिलकर इसे नियंत्रित करने और दोनों पक्षों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपाय करने होंगे।

इस तरह माउंट आबू के लोग भालुओं के लगातार बढ़ते खतरे के बीच सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए तैयार हैं। वन विभाग भी इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है, ताकि पर्यटक और स्थानीय लोग दोनों सुरक्षित रह सकें।

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