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एयरस्पेस बंद होने से कैसे बढ़ेंगी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की मुश्किलें

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Getty Images पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन कंपनी पहले से ही गहरे संकट से जूझ रही है

पाकिस्तान की राष्ट्रीय एयरलाइन कंपनी पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की माली हालत कोई अच्छी नहीं है.

ऊपर से बढ़ते दक्षिण एशिया में तनाव, प्राइवेटाइजेशन की नाकाम कोशिशों और वित्तीय दिक़्क़तों ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं.

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कुछ सख़्त क़दम उठाए थे.

इस पर पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कुछ फ़ैसले किए. पाकिस्तान के फ़ैसले में एक था भारतीय विमान कंपनियों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करना.

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इसका मतलब ये है कि भारतीय विमान अब पाकिस्तान के ऊपर से उड़कर दूसरे देश नहीं जा पाएंगे.

इसके बाद भारत ने भी पाकिस्तान से आने वाले विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया.

भारत का एयरस्पेस बंद होने से मुश्किलें image Getty Images भारत की ओर एयरस्पेस बंद करने के बाद पाकिस्तान के विमानों को अब चीन के रास्ते दूसरे देशों में जाना होगा

दोनों देशों के बीच भले ही ये राजनयिक युद्ध हो लेकिन इसका पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस पर गहरा आर्थिक असर होगा.

पाकिस्तानी एविएशन इकोनॉमिस्ट और टेलविंड एविएशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख मोहम्मद अफ़सर मलिक का कहना है, ''भारत की ओर से लगाई गई इस पाबंदी के बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को अपनी उड़ानों को चीन से ले जाना होगा. इससे इन विमानों का ट्रैवल टाइम बढ़ेगा और इस्लामाबाद से बैंकॉक जैसे टर्निंग रूट घाटे का सौदे हो जाएंगे.''

इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन या आईएटीए के शेड्यूलस के डेटा के मुताबिक़ मलेशिया और दक्षिण कोरिया जाने वाली उड़ानों पर इसका असर भले ही तुलनात्मक रूप से कम हो लेकिन कमाई और लॉजिस्टिक पर इसका असर काफ़ी ज़्यादा होगा.

सप्ताह में सिर्फ छह से आठ ऐसी उड़ानें संचालित होती हैं.

पाकिस्तान से उड़ने वाले विमानों का रास्ता बदलने से सफ़र में ज़्यादा वक़्त तो लगेगा ही एयरलाइन के ऑपरेशन की लागतें भी बढ़ जाएंगीं.

image Getty

ये पहली बार नहीं है कि एयरस्पेस की पाबंदियों ने पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की आर्थिक मुश्किलें खड़ी की हैं.

2019 में जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में हमला किया था तो उसने भारत की एयरलाइंस कंपनियों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था.

ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) और सेंटर फ़ॉर एयर पॉवर स्टडीज के सीनियर फ़ेलो प्रोफ़ेसर डॉ. दिनेश कुमार पांडे कहते हैं, "पाकिस्तान ने जब पिछली बार भारतीय एयरलाइन कंपनियों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया था तो उसे 45 से 50 करोड़ डॉलर का घाटा हुआ था."

"ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नियमों के मुताबिक़ जब भी कोई अंतरराष्ट्रीय उड़ान अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए दूसरे देश से होकर गुजरती है तो उसे उस देश को एक फ़ीस देनी पड़ती है. इसे ओवरफ्लाइट फीस कहते हैं."

"पाकिस्तानी एयरस्पेस बंद होने से उसे भारत से आने वाली उड़ानों से मिलनी वाली ये फ़ीस बंद हो गई. इस बार भी पाकिस्तान ने यही कदम उठाया है.''

लेकिन एयरस्पेस का ये विवाद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के संकट का सिर्फ़ एक पहलू है.

बिजनेस मॉडल पर सवाल image Getty Images पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस पर कर्ज़ बढ़ता जा रहा है

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए काफ़ी पहले से सरकार की मदद पर निर्भर है.

इसका कर्ज़ बढ़ता जा रहा और इसके विमान पुराने पड़ते जा रहे हैं. इसलिए एविएशन मार्केट में इसकी प्रतिस्पर्द्धा करने की क्षमता कम हो गई है.

मोहम्मद अफ़सर मलिक ने कहा, ''सरकारी एयरलाइन कंपनियां ओपन मार्केट में शायद ही अच्छा कर पाती हैं. अमूमन उनके कामकाज में नाकाबिलियत झलकती है. उनमें ज़रूरत से ज़्यादा कर्मचारी होते हैं और वो ज़िम्मेदारी नदारद होती है, जिसके तहत निजी एयरलाइन कंपनियां काम करती हैं.''

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की विश्वसनीयता को 2023 में तब झटका लगा था कि जब इसके बोइंग 777 को मलेशिया में ज़ब्त कर लिया गया था.

दरअसल बकाया न चुकाने की वजह से ऐसा किया गया था. इस मामले के आसपास ही पाकिस्तान की सरकारी कंपनी पाकिस्तान स्टेट ऑयल (पीएसओ) ने एयरलाइन की ईंधन सप्लाई रोक दी थी. इससे कई उड़ानें बंद हो गई थीं.

दिसंबर 2024 मेें पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के 34 विमानों की उड़ानें बंद होने की ख़बर थी क्योंकि उड़ने के लिए उनके पास ज़रूरी साज़ो-सामान नहीं था.

यहां तक कि छोटे एटीआर विमानों के बेड़ों पर भी इसका असर पड़ा था. उसके पांच में से सिर्फ दो विमान ही ऑपरेशन में थे.

निजीकरण में मुश्किलें image Getty Images पीआईए के निजीकरण की कोशिश के ख़िलाफ़ कर्मचारी प्रदर्शन करते रहे हैं

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लंबे समय से संकट में है. जब ये मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए पहुंचा तो उसे सात अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज मिला. इसके लिए जो शर्तें रखी गई थीं उनमें एक ये भी थी कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस समेत घाटे में चली रही कंपनियों को बेच दिया जाएगा.

इसलिए पिछले साल अक्तूबर में पाकिस्तान सरकार ने सरकारी एयरलाइंस के लिए निजी कंपनियों को बोली लगाने को कहा.

लेकिन इस पर ज़्यादा उत्साह नहीं दिखा. पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की 60 फ़ीसदी हिस्सेदारी की बिक्री के लिए 30 करोड़ डॉलर (85 अरब पाकिस्तानी रुपये) का बेस प्राइस तय किया गया था.

लेकिन इसके लिए सिर्फ एक कंपनी आगे आई और वो थी रियल एस्टेट कंपनी ब्लू वर्ल्ड सिटी. उसने सिर्फ़ 3.60 करोड़ डॉलर की पेशकश की.

ज़ाहिर है इतनी कम रकम की वजह से कंपनी का ये प्रस्ताव ख़ारिज कर दिया गया. इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना था कि स्ट्रक्चरल दिक़्क़तों की वजह से निवेशकों ने इससे दूर ही रहना ठीक समझा.

मलिक ने कहा, ''अगर पाकिस्तान सरकार के पास एयरलाइंस की 40 फ़ीसदी हिस्सेदारी और बोर्ड में नियंत्रण रहता तो इसे ख़रीदने वाली प्राइवेट कंपनियों को लगातार नौकरशाही की वजह से देरी का सामना करना पड़ता. तेज रफ़्तार एविएशन इंडस्ट्री के लिए इससे समझौता करना मुश्किल है.''

राजनीतिक विरोध और कर्मचारियों की संभावित छंटनी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों ने निवेशकों का विश्वास और डिगा दिया.

उम्मीद की हल्की किरण image Getty Images

हालांकि पाकिस्तान सरकार ने अचानक ये फ़ैसला किया कि पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की कर्ज़ की रीस्ट्रक्चरिंग कर इसे घाटे से बाहर किया जाए.

इसलिए इसने दो दशक में पहली बार मुनाफ़े में दिखाया गया. वित्त वर्ष 2024 के लिए एयरलाइन के लिए 9.3 अरब पाकिस्तानी रुपये का ऑपरेशनल लाभ दिखाया.

इसके बाद पाकिस्तान के उड्डयन और रक्षा मंत्री ख़्वाजा मोहम्मद आसिफ़ ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, ''आख़िर 21 वर्षों के बाद 2024 में एयरलाइन फ़ायदे में आई है.''

एयरलाइन ने इसकी पुष्टि की थी.

हालांकि एयरलाइंस की वित्तीय हालत सुधरने का स्वागत किया गया. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि एयरलाइंस के लिए इस स्थिति को आगे बरक़रार रखना मुश्किल होगा.

निजीकरण की प्रक्रिया अभी भी खुली हुई है. अगली बोली 3 जून 2025 तक लगाई जानी है. एयरलाइंस के भविष्य के लिए ये डेडलाइन बेहद अहम है.

मलिक कहते हैं, ''सरकार ने कंपनी के बट्टे-खातों को साफ़ करने और इसकी देनदारियां ख़त्म करने के क़दम उठाए हैं. लेकिन एयरलाइंस के परिचालन की दिक़्क़तों को दूर किए बिना इस प्रतिस्पर्द्धी माहौल में कंपनियां इसके लिए ज़्यादा क़ीमत नहीं देगी.''

आगे क्या? image Getty Images पीआईए पाकिस्तान के आर्थिक संकट का प्रतीक बन गई है

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस जिन दिक़्क़तों से जूझ रही है वो इस देश के आर्थिक संकट की प्रतीक हैं.

फ़िलहाल पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस की मुसीबतों की कई वजहें दिख रही है.

राजनीति और फै़सले लेने में असमंजस से इसकी रफ़्तार थम सी गई है.

फिलहाल ये तनाव भरे सियासी माहौल में आसमान में अपनी रफ़्तार के लिए किसी ख़रीददार का इंतज़ार कर रही है.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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