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जब टर्बुलेंस में फंसे इंडिगो के कुछ विमान यात्रियों को लगा अब मौत क़रीब है, जानिए कितना ख़तरनाक होता है एयर टर्बुलेंस

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Getty Images इंडियो एयरलाइंस का विमान दिल्ली से श्रीनगर जा रहा था (सांकेतिक फोटो)

दिल्ली-एनसीआर में बुधवार को भारी बारिश, आंधी और तूफ़ान की वजह से दिल्ली से श्रीनगर जा रहा इंडिगो एयरलाइंस का एक विमान एयर टर्बुलेंस में फँस गया था.

ख़राब मौसम और तेज़ आंधी के बीच उड़ रहे इस विमान का अगला हिस्सा थोड़ा क्षतिग्रस्त हो गया.

इससे विमान में बैठे 200 से अधिक यात्रियों में अफ़रा-तफ़री मच गई. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में विमान के बुरी तरह हिलने से यात्रियों में ख़ौफ साफ़ देखा जा सकता है.

आइए जानते हैं कि एयर टर्बुलेंस क्या है, ये होता क्यों है और यह कितना ख़तरनाक है.

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image Getty Images विमान जब बादलों के बीच से गुज़रता है तो मुसाफ़िरों को झटके लग सकते हैं (सांकेतिक तस्वीर)

इंडिगो एयरलाइंस के इस विमान में तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी सफ़र कर रहा था.

प्रतिनिधिमंडल की सदस्य और पार्टी की सांसद सागरिका घोष ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ''लोग बुरी तरह से चीख रहे थे. कुछ लोग प्रार्थना कर रहे थे. मुझे लग रहा था कि मैं मरने वाली हूं. ज़िंदगी ख़त्म हो रही है. उस पायलट को सलाम, जिसने हम सबकी जान बचाई.''

इंडिगो एयरलाइंस ने एक बयान में कहा कि बुधवार को दिल्ली से श्रीनगर जा रहा उनका एक विमान बीच रास्ते में ही ख़राब मौसम की वजह से फँस गया था.

इस विमान में 227 यात्री सवार थे. तमाम परेशानियों के बावजूद केबिन क्रू ने सभी प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए विमान को श्रीनगर में सुरक्षित उतार लिया.

सोशल मीडिया पर वायरल विमान के अंदर के वीडियो में यात्री काफ़ी डरे हुए दिख रहे थे.

ख़राब मौसम की वजह से कई बार विमान में यात्रा करने वालों को ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.

इस तरह की घटनाओं को एयर टर्बुलेंस कहते हैं.

एयर टर्बुलेंस क्या है? image Getty Images टर्बुलेंस की वजह से विमान झटके के साथ हिलने लगता है (फ़ाइल फ़ोटो)

जो लोग विमान यात्रा करते रहते हैं, वो टर्बुलेंस से वाक़िफ़ होंगे.

टर्बुलेंस के कारण प्लेन की ऊँचाई और स्थिरता में बदलाव दिखता है. टर्बुलेंस के दौरान विमान ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगता है.

के मुताबिक़ ज़्यादातर टर्बुलेंस तब होते हैं, जब हवाएँ ऊपर या नीचे की ओर से तेज़ गति से चलती हैं.

ज़्यादातर मौक़े पर टर्बुलेंस से लगने वाले झटके हल्के होते हैं. लेकिन अगर बादल बड़े और घने हों, तो हवा की दिशा और रफ़्तार टर्बुलेंस की तीव्रता को ख़तरनाक ढंग से बढ़ा सकती है.

ऐसा क्यूम्यलोनिम्बस नाम के बादलों के कारण हो सकता है. ये ऐसे विशाल बादल होते हैं, जिनके गरजने की आवाज़ बहुत तेज़ होती है और इनके आपस में टकराने से बिजली भी चमकती है.

टर्बुलेंस होने का सबसे सामान्य कारण है- विमान का बादलों से गुज़रना.

लेकिन टर्बुलेंस एक अन्य तरीके का भी होता है. इसे क्लीयर एयर टर्बुलेंस कहते हैं.

जैसा नाम से पता चल रहा है, इसमें बादल नहीं होते हैं और इन्हें देखा नहीं जा सकता.

इस प्रकार के टर्बुलेंस से अधिक परेशानी होती है, क्योंकि इसका पूर्वानुमान मुमकिन नहीं होता.

तेज़ हवाओं में विमान का फँसना image Reuters 2024 में लंदन से सिंगापुर जा रहा एक विमान एयर टर्बुलेंस का शिकार हो गया था

एविएशन एक्सपर्ट और कमर्शियल पायलट ग्रैट्टन कहते हैं, "इस तरह के टर्बुलेंस जेट स्ट्रीम के क़रीब होते हैं."

आसान भाषा में कहें, तो जेट स्ट्रीम को आप तेज़ बह रही हवाओं की एक 'नदी' समझिए, जो आमतौर पर 40-50 हज़ार फुट की ऊँचाई पर पाई जाती हैं.

ग्रैटन कहते हैं कि जेट स्ट्रीम और इसके आसपास की हवा की रफ़्तार आम तौर पर 100 मील प्रति घंटे की होती है.

जेट स्ट्रीम के आसपास की धीमी और तेज़ हवाओं में टकराव के कारण टर्बुलेंस होता है. जेट स्ट्रीम को नज़रअंदाज़ करना मुश्किल होता है.

उदाहरण के लिए अगर आप यूरोप से उत्तरी अमेरिका की ओर जा रहे हैं, तो इससे बचना मुश्किल है.

टर्बुलेंस कितने ख़तरनाक हो सकते हैं? image Getty Images विशेषज्ञों का कहना है कि टर्बुलेंस से प्लेन के ढांचे को नुक़सान पहुंच सकता है

एविएशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि विमान इस तरह डिज़ाइन किए जाते हैं कि वो ख़राब से ख़राब टर्बुलेंस का सामना कर सकें.

लेकिन अब तक टर्बुलेंस के कारण किसी विमान के पूरी तरह नष्ट होने की मिसाल नहीं है.

टर्बुलेंस के कारण पायलट या तो अपनी गति कम करते हैं या फिर यात्रियों को सीट बेल्ट लगाने के लिए कहते हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि बुरे हालात में तेज़ हवाओं के कारण टर्बुलेंस से प्लेन के ढांचे को नुक़सान पहुंच सकता है.

ज़ोरदार टर्बुलेंस यात्रियों के लिए ख़तरनाक हो सकते हैं. विमान के तेज़ गति से हिलने के कारण, सीट बेल्ट ना पहने हुए यात्री कहीं भी जाकर टकरा सकते हैं.

यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ़्टी बोर्ड का कहना है कि साल 2009 से 2022 के बीच अमेरिकी एयरलाइन कंपनियों की फ्लाइट्स में ज़ोरदार टर्बुलेंस की 163 घटनाएं हुई हैं.

क्लाइमेट चेंज का असर image Getty Images घने बादलों और तेज़ हवाओं के दौरान टर्बुलेंस की घटनाएं अधिक होती हैं

क्लीयर एयर टर्बुलेंस की वजह से होने वाली घटनाओं के लिए क्लाइमेट चेंज और धरती के तापमान में बढ़ोतरी को ज़िम्मेदार माना जाता है.

मई 2022 में मुंबई से दुर्गापुर जा रहा स्पाइसजेट का एक विमान एयर टर्बुलेंस में फँस गया था.

उस हादसे में 14 यात्री और केबिन क्रू के तीन सदस्य घायल हो गए थे. एक यात्री की रीढ़ की हड्डी टूट गई थी. छह महीने के बाद, उस यात्री की मौत हो गई थी.

का एक विमान पश्चिम बंगाल के ऊपर से उड़ान भरते वक़्त टर्बुलेंस में फँस गया था.

टर्बुलेंस के कारण विमान में सवार 132 में से दो यात्रियों की मौत हो गई थी. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ टोक्यो, मिलान और चिली के हवाई रूट में ज़्यादा झटके लग सकते हैं.

पायलट टर्बुलेंस से कैसे निपटते हैं? image Getty Images पायलटों को टर्बुलेंस से निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बुधवार की घटना के बारे में इंडिगो एयरलाइंस ने बताया कि उनके केबिन क्रू ने प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए श्रीनगर में विमान को सुरक्षित उतार लिया.

दरअसल पायलटों को इस तरह के टर्बुलेंस से निपटने के लिए ख़ास ट्रेनिंग दी जाती है.

उड़ान भरने से पहले पायलटों को मौसम संबंधी जानकारियां दी जाती हैं. पायलट उड़ान के लिए रूट प्लान करने से पहले इन जानकारियों का अध्ययन करते हैं.

इसका मतलब ये हुआ कि पायलट विमान को उन रास्तों से दूर रख सकते हैं, जहां क्लीयर एयर टर्बुलेंस की संभावनाएँ अधिक रहती हैं.

इन्हीं जानकारियों के आधार पर पायलट विमान की गति कम कर सकता है या फिर उसे कम ऊँचाई पर उड़ाने का फ़ैसला कर सकता है.

केबिन क्रू को भी टर्बुलेंस से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है.

टर्बुलेंस में सुरक्षित बचे रहने के लिए यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वो सीट बेल्ट लगाए रखें और भारी सामान को बाहर ना रखें.

एयर टर्बुलेंस कभी भी आ सकता है, इसीलिए यात्रियों को सलाह दी जाती है कि इस दौरान वे सीट बेल्ट पहन कर रखें.

क्या टर्बुलेंस की भविष्यवाणी की जा सकती है? image Getty Images टर्बुलेंस का पूर्वानुमान लगाना लगभग नामुमकिन है

क्या क्लीयर एयर टर्बुलेंस की भविष्यवाणी की जा सकती है?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये लगभग असंभव है.

इसका पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है और हालात को देखकर सिर्फ़ इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है.

पायलट ऐसी स्थिति में प्रोटोकॉल्स का पालन करते हैं.

वो उस इलाक़े में उड़ रहे दूसरे विमानों को इसकी सूचना देते हैं और निकटतम कंट्रोल टावर को इससे अवगत कराते हैं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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