रांची, 6 अक्टूबर (हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव-2025 में हार-जीत भले किसी भी राजनीतिक दल की हो, लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के लिए यह चुनाव ऐतिहासिक साबित हो सकता है। इस चुनाव में झामुमो के उतरने से उसकी राष्ट्रीय पार्टी बनने की दिशा में पहली औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।
राजनीति के जानकारों के अनुसार बिहार में विपक्षी गठबंधन के अंदर सीट बंटवारे पर लगभग सहमति बन चुकी है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने कोटे से पहली बार झामुमो और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) को कुल पांच सीटें देने पर हामी भरी है। इनमें झामुमो को दो सीटें और रालोजपा को तीन सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि झामुमो ने इसपर अबतक हामी नहीं भरी है। झामुमो ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सात अक्तूबर को औपचारिक रूप से अपना दावा पेश करने की बात कही है।
झामुमो ने बिहार में महागठबंधन के समक्ष अपनी हिस्सेदारी को लेकर रणनीति तय कर ली है। पार्टी की ओर से मंत्री सुदिव्य सोनू और पार्टी के महासचिव विनोद कुमार पांडेय को इसके लिए अधिकृत किया गया है, जो पटना में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के समक्ष पार्टी का पक्ष रखेंगे। माना जा रहा है कि झामुमो को झारखंड सीमा से सटे जिलों की सीटों पर मैदान में उतारा जाएगा, जिससे संगठन को बिहार में आधार विस्तार का मौका मिलेगा।
सूत्रों के अनुसार झामुमो ने बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन से 12 सीटों की मांग की है। ये सभी सीटें झारखंड से सटे बिहार के सीमावर्ती जिलों की हैं, जहां पार्टी का पारंपरिक जनाधार माना जाता है। जिन सीटों पर झामुमो ने दावेदारी जताई है, उनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई विधानसभा सीट शामिल हैं।
पार्टी का तर्क है कि इन इलाकों में झामुमो की उपस्थिति पहले से रही है और कई सीटों पर पूर्व में झामुमो के उम्मीदवारों को जनता का समर्थन मिल चुका है। झामुमो मानता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में उसकी भागीदारी बढ़ने से महागठबंधन को न केवल राजनीतिक मजबूती मिलेगी, बल्कि झारखंड और बिहार के साझा सामाजिक-राजनीतक हितों को भी सशक्त आधार प्राप्त होगा।
फिलहाल झामुमो झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी है और एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल (स्टेट पार्टी) के रूप में मान्यता प्राप्त है। लेकिन अगर वह आने वाले समय में बिहार समेत अन्य राज्यों में अपनी राजनीतिक मौजूदगी बढ़ाती है, तो उसके लिए राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने का रास्ता खुल सकता है।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, किसी भी दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने के लिए कम से कम चार राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त करनी होती है। इसका अर्थ है कि झामुमो को झारखंड के अलावा तीन और राज्यों जैसे बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल या छत्तीसगढ़ में विधानसभा या लोकसभा चुनावों में कम से कम 06 प्रतिशत वोट शेयर और दो सीटें जीतनी होंगी।
हालांकि, यह राह आसान नहीं है। झामुमो की पहचान मुख्य रूप से झारखंड की जनजातीय राजनीति पर टिकी है। बिहार या अन्य राज्यों में उसे नई जमीन तैयार करनी होगी। लेकिन अगर वह सीमावर्ती जिलों से अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है, तो यह कदम झामुमो को क्षेत्रीय से राष्ट्रीय पहचान की ओर बढ़ाने वाला निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय ने हिंदुस्तान समाचार से बातचीत में सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल चाहता है पार्टी का विस्तार हो। वह राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बने। तो झारखंड मुक्ति मोर्चा भी चाहता है कि वह राष्ट्रीय पार्टी बने। झामुमो सिर्फ बिहार में नहीं ओडिशा, बंगाल, असम और तमिलनाडु से चुनाव लड़ता रहा है। हमारा प्रयास जारी है।
उन्होंने कहा कि कभी ओडिशा में हमारे छह विधायक और एक सांसद हुआ करते थे। बिहार में एक सीट पर चुनाव जीते थे और उस दिशा में झामुमो आगे बढ़ चुकी है।
विनोद पांडेय ने बताया कि झामुमो के महाधिवेशन में भी इस बात की चर्चा हुई थी। बिहार विधानसभा चुनाव में झामुमो महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव जीतने का काम करेगा।—————
हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar
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