भारत के चार बड़े सरकारी बैंकों ने राज्य सरकारों के बॉन्ड में निवेश की अपनी तय सीमा को बढ़ा दिया है। इसका मतलब है कि अब ये बैंक राज्य सरकारों के बॉन्ड में पहले से ज्यादा निवेश कर सकेंगे, यानी उन्हें पहले से ज्यादा पैसा उधार दे सकेंगे।
ये कदम पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ हुई बैठकों और चर्चाओं के बाद उठाया गया है। इस फैसले की जानकारी उन पांच अधिकारियों ने दी है, जो बैंकों के ट्रेजरी से जुड़े काम को देखते हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा समेत चार सरकारी बैंक शामिलइसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक शामिल हैं। यह बैंक संपत्ति के लिहाज से देश के शीर्ष पांच सरकारी बैंकों में शामिल हैं। इन बैंकों नें बांड में निवेश की सीमा 5 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा दी है।
एक अधिकारी ने बताया, “शीर्ष पांच-छह बैंकों में से एक को छोड़कर बाकी सभी ने RBI के साथ बैठक और परामर्श के बाद अपने ट्रेजरी पोर्टफोलियो में राज्य ऋण के प्रति एक्सपोजर की आंतरिक सीमा बढ़ा दी है।”
बैंकों ने नहीं दिया मीडिया के सवालों का जवाबहालांकि इन बैंकों ने ईमेल के जरिए पूछे गए मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। भारत के सरकारी और निजी बैंक, राज्य सरकारों के बॉन्ड में बड़ा निवेश करते हैं। रेगुलेटरी डेटा के मुताबिक, जून तक बैंकों के पास राज्यों के कुल कर्ज का लगभग 36% हिस्सा था।
राज्यों को उधारी में राहत की उम्मीदफाइनेंशियल ईयर 2024-25 में राज्य सरकारें रिकॉर्ड 12 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी कर सकती हैं। इनमें से करीब 7 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड अक्टूबर से मार्च के बीच जारी होने की संभावना है।
पिछले कुछ महीनों में बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स ने राज्य सरकारों के बॉन्ड की कम खरीद की। इसकी वजह से इन बॉन्ड पर मिलने वाली यील्ड (यानी उधारी की दर) 40 से 70 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ गई। बॉन्ड पर यील्ड का मतलब बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न या ब्याज दर। इस वजह से कई बार तो बॉन्ड की नीलामी में पूरा पैसा ही नहीं जुट पाया।
अब बाजार में उम्मीद जताई जा रही है कि बैंकों की नीलामियों में भागीदारी बढ़ने से यील्ड पर दबाव कम होगा। बैंकों ने नीलामी प्रक्रिया में कुछ बदलाव की भी मांग की थी ताकि उनके पोर्टफोलियो पर मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान का असर कम हो सके।
क्या है मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान अगर आपने 100 रुपये का बॉन्ड खरीदा और उसकी कीमत गिरकर 95 रुपये हो गई, तो पोर्टफोलियो में 5 रुपये का MTM नुकसान दिखेगा, भले आप बॉन्ड बेचें या नहीं। इसे कम दिखाने के लिए बैंक और निवेशक ऐसे उपाय अपनाते हैं जिससे उनके वित्तीय रिकॉर्ड और निवेश की मजबूती पर तुरंत असर न पड़े।
ये कदम पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साथ हुई बैठकों और चर्चाओं के बाद उठाया गया है। इस फैसले की जानकारी उन पांच अधिकारियों ने दी है, जो बैंकों के ट्रेजरी से जुड़े काम को देखते हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा समेत चार सरकारी बैंक शामिलइसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक शामिल हैं। यह बैंक संपत्ति के लिहाज से देश के शीर्ष पांच सरकारी बैंकों में शामिल हैं। इन बैंकों नें बांड में निवेश की सीमा 5 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा दी है।
एक अधिकारी ने बताया, “शीर्ष पांच-छह बैंकों में से एक को छोड़कर बाकी सभी ने RBI के साथ बैठक और परामर्श के बाद अपने ट्रेजरी पोर्टफोलियो में राज्य ऋण के प्रति एक्सपोजर की आंतरिक सीमा बढ़ा दी है।”
बैंकों ने नहीं दिया मीडिया के सवालों का जवाबहालांकि इन बैंकों ने ईमेल के जरिए पूछे गए मीडिया के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। भारत के सरकारी और निजी बैंक, राज्य सरकारों के बॉन्ड में बड़ा निवेश करते हैं। रेगुलेटरी डेटा के मुताबिक, जून तक बैंकों के पास राज्यों के कुल कर्ज का लगभग 36% हिस्सा था।
राज्यों को उधारी में राहत की उम्मीदफाइनेंशियल ईयर 2024-25 में राज्य सरकारें रिकॉर्ड 12 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड जारी कर सकती हैं। इनमें से करीब 7 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड अक्टूबर से मार्च के बीच जारी होने की संभावना है।
पिछले कुछ महीनों में बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड्स ने राज्य सरकारों के बॉन्ड की कम खरीद की। इसकी वजह से इन बॉन्ड पर मिलने वाली यील्ड (यानी उधारी की दर) 40 से 70 बेसिस प्वाइंट तक बढ़ गई। बॉन्ड पर यील्ड का मतलब बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न या ब्याज दर। इस वजह से कई बार तो बॉन्ड की नीलामी में पूरा पैसा ही नहीं जुट पाया।
अब बाजार में उम्मीद जताई जा रही है कि बैंकों की नीलामियों में भागीदारी बढ़ने से यील्ड पर दबाव कम होगा। बैंकों ने नीलामी प्रक्रिया में कुछ बदलाव की भी मांग की थी ताकि उनके पोर्टफोलियो पर मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान का असर कम हो सके।
क्या है मार्क-टू-मार्केट (MTM) नुकसान अगर आपने 100 रुपये का बॉन्ड खरीदा और उसकी कीमत गिरकर 95 रुपये हो गई, तो पोर्टफोलियो में 5 रुपये का MTM नुकसान दिखेगा, भले आप बॉन्ड बेचें या नहीं। इसे कम दिखाने के लिए बैंक और निवेशक ऐसे उपाय अपनाते हैं जिससे उनके वित्तीय रिकॉर्ड और निवेश की मजबूती पर तुरंत असर न पड़े।
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