शेयर बाजार में अक्सर देखा जाता है कि निवेशक उन शेयरों की तरफ भागते हैं जो हाल में तेजी दिखा रहे होते हैं या जिनके नतीजे बेहतर आए हैं। लेकिन कई मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ शॉर्ट-टर्म यानी तिमाही नतीजों (क्वार्टर-ऑन-क्वार्टर अर्निंग्स) पर ध्यान देना सही इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी नहीं है। उनका कहना है कि इससे निवेशक उन कंपनियों को नजरअंदाज कर देते हैं जो भविष्य में मल्टीबैगर रिटर्न देने की क्षमता रखती हैं।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कुछ कंपनियां जानबूझकर कम समय के मुनाफे को छोड़कर लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर ध्यान देती हैं। जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर की कंपनियां, जो आने वाले सालों में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट), नई टेक्निक और कैपेक्स (नए प्रोजेक्ट्स या मशीनरी में निवेश) पर बड़ा खर्च कर रही हैं। ऐसी कंपनियां अभी के मुकाबले कम मुनाफा दिखा सकती हैं, लेकिन वे भविष्य में जब इन निवेशों का असर दिखेगा, तो तेजी से ग्रोथ कर सकती हैं और यही उन्हें संभावित मल्टीबैगर बनाता है।
मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर में तेजी
भारत में अभी मैन्युफैक्चरिंग साइकिल दोबारा रफ्तार पकड़ रही है और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ जैसी नीतियों से इन कंपनियों को फायदा हो रहा है। वहीं, फार्मा सेक्टर लगातार बेहतर परफॉर्म कर रहा है क्योंकि दवा कंपनियों के एक्सपोर्ट बढ़े हैं और वे नई दवाओं की रिसर्च पर निवेश कर रही हैं। इसके साथ ही, कैपेक्स यानी पूंजीगत निवेश में बढ़ोतरी ने इस सेक्टर को और मजबूती दी है। इसलिए एनालिस्ट्स का कहना है कि इन सेक्टर की कंपनियां लॉन्ग-टर्म विजन के साथ काम कर रही हैं और आने वाले सालों में इनसे अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।
गुरमीत चड्ढा की निवेशकों को सलाह
कम्प्लीट सर्कल कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर और CIO गुरमीत चड्ढा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर निवेशकों को एक अहम सलाह दी। उन्होंने लिखा - 'मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर में उन कंपनियों पर ध्यान दें जो R&D में भारी निवेश, फोकस्ड कैपेक्स या स्ट्रैटेजिक एक्विजिशन कर रही हैं। ये कंपनियां सोच-समझकर रिस्क ले रही हैं ताकि भविष्य में बड़ा ग्रोथ हासिल कर सकें।' उनका मतलब यह है कि निवेशकों को सिर्फ तिमाही नतीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि यह देखना चाहिए कि कंपनी भविष्य के लिए किस तरह निवेश और योजना बना रही है।
शॉर्ट टर्म गिरावट में ही छिपे हैं लॉन्ग टर्म विनर्स
गुरमीत चड्ढा ने निवेशकों को सावधान करते हुए कहा कि 'अगर आप सिर्फ हर तिमाही के नतीजों (QoQ) पर ध्यान देंगे, तो कई मल्टीबैगर स्टॉक्स को मिस कर देंगे।' गुरमीत चड्ढा की इस पोस्ट पर कई अन्य ने भी सहमति जताई। रोहन टंटिया नाम के एक X यूजर ने लिखा - 'मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा दोनों सेक्टर्स में जो कंपनियां R&D, कैपेसिटी एक्सपैंशन या स्ट्रैटेजिक एक्विजिशन में आगे की सोच के साथ निवेश कर रही हैं, वे फिलहाल महंगी दिख सकती हैं या उनके रिटर्न रेशियो और EPS में अस्थायी गिरावट आ सकती है। एक और यूजर कुलदीप वर्मा ने लिखा - 'शॉर्ट-टर्म गिरावटें ही अक्सर लॉन्ग-टर्म विनर्स को छिपा देती हैं। ध्यान ग्रोथ पर दें, सिर्फ तिमाही नतीजों पर नहीं।'
डिस्क्लेमर : जो राय और सुझाव एक्सपर्ट/ब्रोकरेज देते हैं, वे उनकी अपनी सोच हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिदीं की राय नहीं होती।
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि कुछ कंपनियां जानबूझकर कम समय के मुनाफे को छोड़कर लॉन्ग टर्म ग्रोथ पर ध्यान देती हैं। जैसे कि मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर की कंपनियां, जो आने वाले सालों में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए R&D (रिसर्च एंड डेवलपमेंट), नई टेक्निक और कैपेक्स (नए प्रोजेक्ट्स या मशीनरी में निवेश) पर बड़ा खर्च कर रही हैं। ऐसी कंपनियां अभी के मुकाबले कम मुनाफा दिखा सकती हैं, लेकिन वे भविष्य में जब इन निवेशों का असर दिखेगा, तो तेजी से ग्रोथ कर सकती हैं और यही उन्हें संभावित मल्टीबैगर बनाता है।
मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर में तेजी
भारत में अभी मैन्युफैक्चरिंग साइकिल दोबारा रफ्तार पकड़ रही है और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ जैसी नीतियों से इन कंपनियों को फायदा हो रहा है। वहीं, फार्मा सेक्टर लगातार बेहतर परफॉर्म कर रहा है क्योंकि दवा कंपनियों के एक्सपोर्ट बढ़े हैं और वे नई दवाओं की रिसर्च पर निवेश कर रही हैं। इसके साथ ही, कैपेक्स यानी पूंजीगत निवेश में बढ़ोतरी ने इस सेक्टर को और मजबूती दी है। इसलिए एनालिस्ट्स का कहना है कि इन सेक्टर की कंपनियां लॉन्ग-टर्म विजन के साथ काम कर रही हैं और आने वाले सालों में इनसे अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं।
गुरमीत चड्ढा की निवेशकों को सलाह
कम्प्लीट सर्कल कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर और CIO गुरमीत चड्ढा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर निवेशकों को एक अहम सलाह दी। उन्होंने लिखा - 'मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा सेक्टर में उन कंपनियों पर ध्यान दें जो R&D में भारी निवेश, फोकस्ड कैपेक्स या स्ट्रैटेजिक एक्विजिशन कर रही हैं। ये कंपनियां सोच-समझकर रिस्क ले रही हैं ताकि भविष्य में बड़ा ग्रोथ हासिल कर सकें।' उनका मतलब यह है कि निवेशकों को सिर्फ तिमाही नतीजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि यह देखना चाहिए कि कंपनी भविष्य के लिए किस तरह निवेश और योजना बना रही है।
In manufacturing and pharma , look at companies investing heavily in R&D, doing focused capex or strategic acquisitions taking calculated risk
— Gurmeet Chadha (@connectgurmeet) November 6, 2025
Short term may dilute return ratio n eps but will be very rewarding long term
Too much focus on QOQ can make u miss some Multibaggers.
शॉर्ट टर्म गिरावट में ही छिपे हैं लॉन्ग टर्म विनर्स
गुरमीत चड्ढा ने निवेशकों को सावधान करते हुए कहा कि 'अगर आप सिर्फ हर तिमाही के नतीजों (QoQ) पर ध्यान देंगे, तो कई मल्टीबैगर स्टॉक्स को मिस कर देंगे।' गुरमीत चड्ढा की इस पोस्ट पर कई अन्य ने भी सहमति जताई। रोहन टंटिया नाम के एक X यूजर ने लिखा - 'मैन्युफैक्चरिंग और फार्मा दोनों सेक्टर्स में जो कंपनियां R&D, कैपेसिटी एक्सपैंशन या स्ट्रैटेजिक एक्विजिशन में आगे की सोच के साथ निवेश कर रही हैं, वे फिलहाल महंगी दिख सकती हैं या उनके रिटर्न रेशियो और EPS में अस्थायी गिरावट आ सकती है। एक और यूजर कुलदीप वर्मा ने लिखा - 'शॉर्ट-टर्म गिरावटें ही अक्सर लॉन्ग-टर्म विनर्स को छिपा देती हैं। ध्यान ग्रोथ पर दें, सिर्फ तिमाही नतीजों पर नहीं।'
डिस्क्लेमर : जो राय और सुझाव एक्सपर्ट/ब्रोकरेज देते हैं, वे उनकी अपनी सोच हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिदीं की राय नहीं होती।
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