सरकार द्वारा देश के करोड़ों नागरिकों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजना का उद्देश्य लोगों की आर्थिक मदद करना होता है. इन्हीं योजनाओं में से एक योजना किसान क्रेडिट कार्ड यानी KCC भी है. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत सरकार किसानों को कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध कराती हैं, जिससे वह बीज, खाद, कीटनाशक या खेती से जुड़ा अन्य सामान खरीद सकें लेकिन अगर किसान किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लोन को न चुकाएं, तो ऐसी स्थिति में क्या होगा. आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं. आइए जानते हैं.
किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होगा?
अगर कोई भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लिया गया लोन नहीं चुकाता है, तो ऐसी स्थिति में बैंक द्वारा किसानों को सबसे पहले रिमाइंडर और नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद किसानों को लोन चुकाने के लिए 90 दिनों तक का समय दिया जाता है. अगर किसान इन 90 दिनों के अंदर लोन को नहीं चुकाते हैं तो बैंक किसान के खाते को NPA यानी Non-Performing Asset घोषित कर देते हैं. ऐसी स्थिति में बैंक समझ लेता है कि किसान अब उनका पैसा नहीं चुका पाएगा.
बैंक द्वारा पहले समझौता और बातचीत की जाती है और नोटिस भेजे जाते हैं. अगर इससे हल नहीं निकलता है तो किसान की जमीन जब्त की जा सकती है. जमीन जब्त करने के बाद भी अगर किसान लोन को नहीं चुका पाता है तो बैंक जमीन की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. जमीन को नीलाम करने के बाद बैंक अपने पैसों की भरपाई करते हैं. अगर पैसा बचता है तो वह किसान को वापस कर दिया जाता है.
किसान क्रेडिट कार्ड के तहत कितना लोन मिलता है?
किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत साल 1998 में हुई थी, जिससे किसानों को कम ब्याज दर पर लोन दिया जा सके. इस योजना का उद्देश्य किसानों को साहूकारों द्वारा दिए गए उच्च ब्याज दर वाले लोन से बचाना था. इस योजना के तहत किसानों को 50,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है. ब्याज दर की बात करें तो यह लोन किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर से मिलता है. वहीं अगर किसान समय पर लोन को चुका देते हैं, तो उन्हें 2 से 3 प्रतिशत तक की ब्याज दर की छूट मिलती है, जिससे लोन 4 या 5 प्रतिशत तक हो जाता है.
किसान क्रेडिट कार्ड लोन न चुकाने पर क्या होगा?
अगर कोई भी किसान किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत लिया गया लोन नहीं चुकाता है, तो ऐसी स्थिति में बैंक द्वारा किसानों को सबसे पहले रिमाइंडर और नोटिस भेजा जाता है. इसके बाद किसानों को लोन चुकाने के लिए 90 दिनों तक का समय दिया जाता है. अगर किसान इन 90 दिनों के अंदर लोन को नहीं चुकाते हैं तो बैंक किसान के खाते को NPA यानी Non-Performing Asset घोषित कर देते हैं. ऐसी स्थिति में बैंक समझ लेता है कि किसान अब उनका पैसा नहीं चुका पाएगा.
बैंक द्वारा पहले समझौता और बातचीत की जाती है और नोटिस भेजे जाते हैं. अगर इससे हल नहीं निकलता है तो किसान की जमीन जब्त की जा सकती है. जमीन जब्त करने के बाद भी अगर किसान लोन को नहीं चुका पाता है तो बैंक जमीन की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं. जमीन को नीलाम करने के बाद बैंक अपने पैसों की भरपाई करते हैं. अगर पैसा बचता है तो वह किसान को वापस कर दिया जाता है.
किसान क्रेडिट कार्ड के तहत कितना लोन मिलता है?
किसान क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत साल 1998 में हुई थी, जिससे किसानों को कम ब्याज दर पर लोन दिया जा सके. इस योजना का उद्देश्य किसानों को साहूकारों द्वारा दिए गए उच्च ब्याज दर वाले लोन से बचाना था. इस योजना के तहत किसानों को 50,000 रुपये से लेकर 3 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है. ब्याज दर की बात करें तो यह लोन किसानों को 7 प्रतिशत की ब्याज दर से मिलता है. वहीं अगर किसान समय पर लोन को चुका देते हैं, तो उन्हें 2 से 3 प्रतिशत तक की ब्याज दर की छूट मिलती है, जिससे लोन 4 या 5 प्रतिशत तक हो जाता है.
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