डॉ. संदीप सिंहमार। भारतीय बाजारों, विशेषकर उत्तर भारत में, देसी घी के नाम पर मिलावटी उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इनमें हानिकारक रसायनों की भरपूर मात्रा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित हो सकते हैं। यह मिलावट उपभोक्ताओं को भ्रमित करती है और उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। पारंपरिक देसी घी प्राकृतिक रूप से तैयार होता है और इसमें पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माने जाते हैं। लेकिन मिलावटी घी में वनस्पति तेल, ट्रांस फैट, और कृत्रिम स्वाद जैसे रसायन शामिल होते हैं, जो हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि अधिकांश ब्रांड अपने उत्पाद को देसी गाय के घी के रूप में बेचते हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि गायों की संख्या में कमी आ रही है। गायों की डेयरी लगभग समाप्ति की ओर है, और गायों को अक्सर सड़कों पर बेसहारा घूमते देखा जा सकता है।
जब पशुपालकों के पास गायें ही नहीं हैं, तो गाय का घी आता कहां से है? यह स्पष्ट है कि यह असली गाय का घी नहीं, बल्कि मिलावटी जहर है। घी का उपयोग भारतीय संस्कृति में सदियों से होता आ रहा है, लेकिन इसकी अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए उपभोक्ताओं को जागरूक करना आवश्यक है। उन्हें मिलावटी घी की पहचान करने के तरीके और इसके स्वास्थ्य पर संभावित प्रभावों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। उत्पाद की लेबलिंग, ब्रांड की विश्वसनीयता और सामग्री की जांच करना महत्वपूर्ण है। स्थानीय पशुपालकों से सीधे खरीदारी करना भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
सरकार को इस मुद्दे पर सख्त कानून बनाने चाहिए और खाद्य सुरक्षा मानकों को लागू करना चाहिए। जब भी संभव हो, शुद्ध देसी घी का उपयोग करें। यदि घर पर बना सकें, तो यह सबसे अच्छा विकल्प होगा। इन प्रयासों से हम मिलावटी घी की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं।
मिलावटी घी की पहचान करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन कुछ संकेत हैं जो इसकी मिलावट का संकेत देते हैं। शुद्ध घी की बनावट चिकनी होती है और यह कमरे के तापमान पर अर्ध-ठोस रहता है। यदि यह दानेदार या बहुत पतला है, तो यह मिलावटी हो सकता है। असली घी की खुशबू अखरोट जैसी होती है।
शुद्ध घी का रंग आमतौर पर सुनहरा पीला होता है। यदि रंग बहुत सफेद या हल्का है, तो यह मिलावट का संकेत हो सकता है। शुद्ध घी उंगलियों के बीच जल्दी पिघल जाता है, जबकि मिलावटी घी चिपचिपा अवशेष छोड़ सकता है।
मिलावटी घी का सेवन दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। इसमें पाए जाने वाले ट्रांस वसा और हाइड्रोजनीकृत तेलों के नियमित सेवन से दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
हानिकारक योजकों का दीर्घकालिक सेवन लीवर पर बोझ डाल सकता है, जिससे लीवर की क्षति या फैटी लीवर रोग हो सकता है। यह सुनिश्चित करना कि आपका घी शुद्ध है और विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त है, इन जोखिमों को कम करने में मदद कर सकता है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं)
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