New Delhi, 27 अगस्त . एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि ‘स्थानिक विकर्षक’ ( स्पेसियल रेपेलेंट्स) नामक उपकरण मच्छरों के काटने से बचा सकते हैं और मलेरिया जैसी बीमारियों से महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं.
ये उपकरण हवा में रसायन छोड़ते हैं, जिससे मच्छर इंसानों को काट नहीं पाते. इन्हें ‘स्थानिक उत्सर्जक’ भी कहा जाता है. इनका आकार एक साधारण कागज की शीट जितना हो सकता है.
इन्हें लगाने के बाद यह मलेरिया, डेंगू, पीत ज्वर, ज़ीका और वेस्ट नाइल जैसी बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों से लगभग एक साल तक सुरक्षा देते हैं. इन्हें चलाने के लिए न बिजली चाहिए, न ही गर्म करने की जरूरत होती है.
ई-बायोमेडिसिन पत्रिका में इस शोध को प्रकाशित किया गया है. अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (सैन फ्रांसिस्को) के शोधकर्ताओं ने 25 सालों के आंकड़ों और लगभग 17 लाख मच्छरों पर रिसर्च की. निष्कर्ष निकला कि ये उपकरण हर दो में से एक से ज्यादा मच्छरों के काटने से बचाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी हाल ही में इनका इस्तेमाल करने की सिफारिश की है.
यह तकनीक हल्की, सस्ती और आसानी से इस्तेमाल की जा सकती है. इसे दिन-रात कभी भी लगाया जा सकता है. अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे इलाकों में, जहां मलेरिया सबसे ज्यादा है, यह बेहद मददगार साबित हो सकती है.
यूसीएसएफ में महामारी विज्ञान और जैव सांख्यिकी की एसोसिएट प्रोफेसर इंग्रिड चेन ने कहा, “आखिरकार हमारे पास मच्छरों के काटने से बचाव का एक नया तरीका है, खासकर एक ऐसा तरीका जो हमारे मौजूदा तरीकों की कुछ कमियों को पूरा करता है.”
चेन ने आगे कहा, “यह हल्का, किफायती और उपयोग में आसान है, इसलिए इसका उपयोग दुनिया के सभी हिस्सों में लोगों की जान बचाने में मदद के लिए किया जा सकता है.”
2023 में मलेरिया से करीब 5.97 लाख लोगों की मौत हुई, जिनमें ज्यादातर 5 साल से छोटे बच्चे थे. इनमें से ज्यादातर उप-सहारा अफ्रीका के बच्चे थे. 1950 के दशक से मलेरिया अमेरिका में स्थानीय बीमारी नहीं रही, फ्लोरिडा और टेक्सास जैसे स्थानों में कभी-कभी स्थानीय रूप से फैलने वाले मामले सामने आते हैं.
अभी तक कीटनाशक लगी मच्छरदानियां या कॉइल ही प्रमुख बचाव साधन थे, लेकिन उनकी सीमाएं हैं, जैसे वे सिर्फ घर के अंदर असर करती हैं, थोड़े समय तक टिकती हैं, या महंगी पड़ती हैं.
नए स्थानिक विकर्षक इन्हीं कमियों को दूर करते हैं. यह नया तरीका न केवल मलेरिया बल्कि अन्य मच्छर जनित बीमारियों से भी सुरक्षा दे सकता है, हालांकि असर की दर मच्छरों की प्रजाति के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है.
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जेपी/जीकेटी
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