लखनऊ, 28 मई . उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विगत दिनों बैठक में निर्देश दिया था कि वर्ष 2030 तक प्रदेश के हरित आवरण को 15 प्रतिशत तक ले जाना है और यह लक्ष्य तभी सफल होगा, जब पौधरोपण जनआंदोलन का स्वरूप ले. इसे देखते हुए वन विभाग गांवों में ग्रीन चौपाल का गठन करेगा.
चौपाल के जरिए पर्यावरण संरक्षण में आमजन की भागीदारी भी सुनिश्चित होगी. विभिन्न विभागों के सहयोग से प्रत्येक ग्रामसभा स्तर पर ग्रीन चौपाल का गठन किया जाएगा. गांवों में प्रधान ग्रीन चौपाल के अध्यक्ष होंगे. ग्रीन चौपाल की प्रत्येक माह में कम से कम एक बैठक अनिवार्य रूप से होगी. साथ ही गांवों में ग्राम वन की भी स्थापना की जाएगी.
जिला पर्यावरण समिति के सदस्य सचिव प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा प्रत्येक ग्रामसभा स्तर पर विभिन्न विभागों के सहयोग से ग्रीन चौपाल का गठन किया जाएगा. इसके अध्यक्ष ग्राम प्रधान होंगे. सेक्शन/बीट अधिकारी सदस्य सचिव, ग्राम विकास अधिकारी संयोजक होंगे.
इसके अलावा तीन ग्राम पंचायत सदस्य (न्यूनतम एक महिला सदस्य), स्वयं सहायता समूह की एक महिला प्रतिनिधि, प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक, आंगनबाड़ी सहायिका, प्रगतिशील कृषक, पर्यावरणविद्/स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि व जैव विविधता प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि ग्राम चौपाल के सदस्य होंगे. संबंधित विभागों के प्रतिनिधि विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे.
पौधरोपण के लिए ग्राम पंचायतवार माइक्रोप्लान की विवेचना एवं क्रियान्वयन में ग्रीन चौपाल की सक्रिय सहभागिता रहेगी. इसके साथ ही ग्राम पंचायत में हरीतिमा विकास के लिए उपलब्ध रिक्त भूमि पर पौधरोपण और रखरखाव सुनिश्चित करेगा. ग्राम चौपाल शासन एवं जिला पौधरोपण समिति की मंशा के अनुरूप दायित्वों का निर्वहन करेगा. मिशन लाइफ, वन, वन्यजीव, आर्द्र भूमि, पर्यावरण, जैव विविधता संरक्षण, जलवायु परिवर्तन, पौधरोपण, कार्बन क्रेडिट, वैकल्पिक ऊर्जा आदि के संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा संचालित योजनाओं के संबंध में आमजन को भी जागरूक किया जाएगा. मानव-वन्यजीव संघर्ष के नियंत्रण करने के लिए प्रचार-प्रसार के साथ ही ग्राम हरित निधि की स्थापना व संचालन पर भी ग्राम चौपाल की टीम का फोकस रहेगा.
प्रदेश की हरियाली बढ़ाने के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रत्येक माह ग्रीन चौपाल की कम से कम एक बैठक अनिवार्य रूप से होगी. विभिन्न विभागों की पर्यावरण से जुड़ी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा. पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन आदि के प्रति स्थानीय स्तर पर विशेष प्रचार-प्रसार यथा- नुक्कड़ नाटक, रैली, गोष्ठी आदि का आयोजन भी होगा.
गांव स्तर पर विद्यालयों में शिक्षकों/विद्यार्थियों को जैव विविधता, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन आदि के संबंध में जागरूक किया जाएगा. ग्रीन चौपाल के कार्यों की निगरानी जिला पौधरोपण समिति करेगी. ग्रीन चौपाल के सुचारू रूप से संचालन हेतु समन्वयन का कार्य प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा किया जाएगा.
अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (परियोजना) रामकुमार ने बताया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप ग्रीन चौपाल के गठन की तैयारी की जा रही है. यूपी में हरियाली बढ़ाने के लिए ग्रीन चौपाल की भी मदद ली जाएगी. गांव स्तर पर प्रधान इसके अध्यक्ष होंगे. हरियाली के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रतिमाह ग्रीन चौपाल की बैठक कम से कम एक बार अनिवार्य रूप से होगी.
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एसके/एबीएम
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