पाकिस्तान हमेशा अपनी धरती पर पनप रही दहशतगर्दी को छुपाने की हर मुमकिन कोशिश करता है, लेकिन इसकी सच्चाई दुनिया के सामने आ ही जाती है। पाकिस्तान और उसकी सेना जिस आतंकवादी को एक मासूम मौलवी बताने की कोशिश कर रही थी, वह दरअसल आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख सदस्य है और वह राहत कार्यों के नाम पर आतंकवाद का समर्थन कर रहा है। यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि हाफिज अब्दुर रऊफ है, जो एक प्रमुख आतंकी है।
पाकिस्तान सेना के प्रवक्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि वायरल हो रही तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति कोई आतंकी नहीं, बल्कि एक शांतिपूर्ण परिवार वाला धर्मगुरु है। यह व्यक्ति कुछ पाकिस्तानी सैनिकों के साथ एक जनाजे में दिख रहा है। प्रवक्ता ने इस व्यक्ति का पहचान पत्र भी दिखाया और कहा कि यह एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता है।
हालांकि, पाकिस्तान सेना का यह दावा झूठा साबित हुआ जब जांच में पाया गया कि जिस व्यक्ति की पहचान सेना ने बताई थी, उसकी सभी जानकारी—नाम, जन्मतिथि, और यहां तक कि राष्ट्रीय पहचान पत्र नंबर—अमेरिका द्वारा विशेष रूप से वैश्विक आतंकवादी घोषित किए गए हाफिज अब्दुर रऊफ से मेल खाती है।
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के अनुसार, हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और इसके फ्रंट संगठनों के लिए चंदा इकट्ठा करने का कार्य करता रहा है। पाकिस्तान सेना द्वारा दिखाए गए पहचान पत्र पर लिखा है कि वह "वेलफेयर विंग इंचार्ज, पीएमएमएल (PMML)" है, यानी वह अपने असली उद्देश्य को छिपाने के लिए एक राजनीतिक संगठन के नाम का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तानी सेना द्वारा जिस व्यक्ति को धर्मगुरु बताया गया, वह असल में एक अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है, जिससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान जानबूझकर आतंकियों को संरक्षण दे रहा है और पूरी दुनिया को धोखा देने की कोशिश कर रहा है।
हाफिज अब्दुर रऊफ 1999 से लश्कर-ए-तैयबा के साथ जुड़ा हुआ है। वह लश्कर के फ्रंट संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) का प्रमुख है, जो राहत कार्यों के नाम पर आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन इकट्ठा करता है। 2008 में मुंबई हमलों के बाद जब लश्कर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तब रऊफ ने FIF के नाम पर पाकिस्तान में चंदा इकट्ठा करने का कार्यक्रम आयोजित किया था।
हाफिज अब्दुर रऊफ लश्कर का प्रवक्ता भी रह चुका है। 2008 में उसे लश्कर का "डायरेक्टर ऑफ ह्यूमैनिटेरियन रिलीफ" नियुक्त किया गया था, और 2003 में वह "डायरेक्टर ऑफ पब्लिक सर्विस" था। अगस्त 2008 में हाफिज सईद के कहने पर, रऊफ ने पाकिस्तान के बाजौर क्षेत्र में राहत और फंडरेजिंग गतिविधियों की समीक्षा के लिए एक टीम का नेतृत्व किया था।
रऊफ ने लश्कर के चैरिटेबल विंग "इदारा-ए-खिदमत-ए-खल्क" (IKK) का भी नेतृत्व किया है। 2007 में, उसने पेशावर में बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों का निरीक्षण किया था। मई 2004 में, उसने जमात-उद-दावा के कल्याण प्रमुख के रूप में एक मेडिकल संस्था की सालाना रिपोर्ट पेश की थी। IKK और JUD को अमेरिका द्वारा 2006 में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे के रूप में चिन्हित किया गया था। हाफिज सईद को 2008 में "Specially Designated Global Terrorist" घोषित किया गया और दिसंबर 2008 में उसे और जमात-उद-दावा को संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल कर दिया गया।
हाफिज अब्दुर रऊफ पर लगे आरोप यह स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि आतंकवादी संगठन राहत और सेवा के नाम पर आतंकवाद का जाल फैलाने का काम कर रहे हैं, और पाकिस्तान इसका संरक्षण देने में पूरी तरह से शामिल है।
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