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हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर जारी, मंडी में भूस्खलन, 5 लोग मलबे में दबे, शिमला में दो महिलाओं की मौत

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हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश का कहर जारी है। मंगलवार देर शाम को मंडी के सुंदरनगर के जंगम बाग इलाके में भूस्खलन हो गया, जिसमें कम से कम 5 लोगों के दबे होने की आशंका है। मौके पर बचाव कार्य जारी है। जिले के पुलिस प्रशासन के आला अफसर मौके पर मौजूद हैं और एसडीआरएफ की मदद से बचाव अभियान चला रहे हैं।

वहीं प्रदेश में मंगलवार को मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ के कारण मकान ढहने की घटनाओं में दो महिलाओं की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि सोलन जिले के समलोह गांव में, सोमवार देर रात भारी बारिश के बाद ढहे अपने मकान के मलबे में दबकर एक महिला की मौत हो गई।

इस बीच स्थानीय मौसम विभाग ने बुधवार को कांगड़ा, मंडी, सिरमौर और किन्नौर जिलों के अलग-अलग इलाकों में भारी बारिश की चेतावनी देते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जबकि ऊना और बिलासपुर जिलों में भारी बारिश की पीली चेतावनी जारी की गई है। भारी बारिश की आशंका को देखते हुए कई जिलों में स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है। वर्षा के चलते रेल सेवा स्थगित कर दी गई है, छह राष्ट्रीय राजमार्गों समेत 1,337 सड़कें यातायात के लिए बंद कर दी गईं हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (एसईओसी) ने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 3 (मंडी-धरमपुर रोड), एनएच 305 (औट-सैंज), एनएच 5 (ओल्ड हिंदुस्तान-तिब्बत रोड), एनएच 21 (चंडीगढ़-मनाली रोड), एनएच 505 (खाब से ग्रामफू रोड) और एनएच 707 (हाटकोटी से पोंटा) अवरुद्ध हो गए हैं। शिमला-कालका राष्ट्रीय राजमार्ग 5 सोलन जिले के सनवारा में भूस्खलन के बाद अवरुद्ध हो गया। राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनों ओर बड़ी संख्या में वाहन फंसे हैं। यह राजमार्ग हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग के नाम से भी जाना जाता है। धरमपुर-कसौली सड़क भी अवरुद्ध होने का खतरा है।

आंतरिक क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है, जहां सड़कें कई दिनों से अवरुद्ध हैं। सेब उत्पादक अपनी फसल को बाजारों तक भेजने में असमर्थ हैं। अधिकारियों का कहना है कि सोमवार को शिमला-कालका रेलमार्ग पर भूस्खलन के बाद रेलगाड़ियां रद्द कर दी गईं। यहां ट्रेन सेवा पांच सितंबर तक स्थगित रहेगी। कुल्लू ज़िले के आनी क्षेत्र में भूस्खलन के कारण एक मकान क्षतिग्रस्त हो गया। किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है क्योंकि मकान को 2023 की मानसून आपदा के दौरान संकटग्रस्त घोषित कर दिया गया था और उसे खाली करा दिया गया था।

सोमवार को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नौ जिलों के स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया गया। मंगलवार को शिमला, कांगड़ा, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, लाहौल एवं स्पीति और सोलन जिलों के अलावा कुल्लू जिले के बंजार, कुल्लू एवं मनाली उपमंडल में सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहे। अधिकारियों ने बताया कि चंबा जिले में फंसे लगभग 5,000 मणिमहेश तीर्थयात्रियों को वापस घर भेजने के प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि 15 अगस्त को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 16 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है।

नैना देवी में सोमवार शाम से 198.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो राज्य में सबसे ज़्यादा है। रोहड़ू में 80 मिमी, जोत में 61.2 मिमी, बग्गी में 58.5 मिमी, कुकुमसेरी में 55.2 मिमी, नादौन में 53 मिमी, ओलिंदा में 50 मिमी, नंगल बांध में 49.8 मिमी, ऊना में 49 मिमी, भुंतर में 47.7 मिमी, सराहन में 47.5 मिमी, बंजार में 42 मिमी और बिलासपुर में 40.2 मिमी बारिश हुई।

एसईओसी के आंकड़ों के अनुसार, मानसून शुरू होने के बाद से बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 327 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 41 लोग लापता हैं। प्रदेश में 20 जून को मानसून के दस्तक देने के बाद से राज्य में 95 बार अचानक बाढ़, 45 बार बादल फटने और भीषण भूस्खलन की 115 घटनाएं हुई हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस मानसून में अब तक राज्य को 3,158 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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