आजकल स्मार्टफोन का इस्तेमाल इतना व्यापक हो गया है कि इसकी बैटरी जल्द डाउन होना आम-सी समस्या बन चुकी है। लेकिन अब यह इंतज़ार जल्द खत्म हो सकता है क्योंकि बैटरी चार्जिंग तकनीक में करारी उन्नति देखने को मिली है।
उदाहरण के तौर पर, Realme ने अपनी “320W SuperSonic Charge” तकनीक पेश की है, जो लगभग 4 मिनट 30 सेकंड में एक 4,420 mAh की बैटरी को पूर्ण रूप से चार्ज कर सकती है।इसके अलावा, Redmi ने 300 W चार्जिंग तकनीक का प्रदर्शन किया था जिसने 4-5 मिनट में 4,100 mAh बैटरी को फुल चार्ज किया था।
यह तकनीक सिर्फ स्पीड बढ़ाने का माध्यम नहीं है — यह उस अनुभव को बदल रही है जिसमें उपयोगकर्ता को “बैटरी न रहने” की चिंता रहती थी।
क्या है नई-नई टेक्नोलॉजी?
इन तकनीकों के पीछे मुख्यतः निम्न बातें काम कर रही हैं:
चार्जिंग पावर (वाटेज) को काफी ऊँचा उठाना: जैसे 240W, 300W, अब 320W तक पहुँचना।
बैटरी निर्माण में सुधार: उदाहरण के तौर पर मल्टी-सेल बैटरी डिज़ाइन, बेहतर हीट डिसिपेशन, चार्ज पंप नियंत्रण आदि।
बैटरी सुरक्षा एवं जीवन-काल को ध्यान में रखते हुए सेंसर और कंट्रोल चिप्स शामिल करना ताकि जल्दी चार्जिंग के बावजूद बैटरी को अधिक नुकसान न हो।
किनके लिए है यह फायदेमंद?
उन उपयोगकर्ताओं के लिए जिन्हें दिनभर में लगातार फोन इस्तेमाल करना पड़ता है और बैटरी जल्दी गिर जाती है।
उन समयों में जब अचानक कोई मीटिंग या वीडियो कॉल आ जाए और बैटरी कम हो — मिनटों में चार्ज होने वाला विकल्प राहत दे सकता है।
यात्रा के दौरान जब चार्ज-ब्रेक मुश्किल हो — ऐसी तेज-चार्ज तकनीक उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
ध्यान रखने योग्य बातें
हालाँकि बहुत-बहुत तेजी से चार्ज करने वाली तकनीकें सामने आई हैं, कुछ बातें समझना ज़रूरी है:
यह तकनीक अभी हर स्मार्टफोन में उपलब्ध नहीं है; इसके लिए विशेष चार्जर, केबल, बैटरी डिज़ाइन आदि चाहिए।
तीव्र चार्जिंग से बैटरी गर्म हो सकती है — इसलिए बैटरी सेफ्टी, तापमान नियंत्रण आदि अहम हैं।
आज की परिस्थितियों में “मिनटों में फुल चार्ज” वादे आम-जन के स्मार्टफोन में पूरी तरह से लागू नहीं हो पाए हैं — लेकिन दिशा साफ है।
बैटरी के जीवन-काल पर भी असर पड़ सकता है; इसलिए उपयोगकर्ता को इन तकनीकों के क्रम में सुरक्षित तकनीकी विवरण जानना चाहिए।
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