जयपुर : पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। इसकी सफलता को पूरे विश्व ने भी देखा। वहीं, पूरे देश में ऑपरेशन सिंदूर की जमकर चर्चा हो रही है। इस बीच राजस्थान की बेटी मोहना सिंह का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में आ गई, जो अपनी प्रतिभा से साबित करके दिखा चुकी हैं, कि राजस्थान की बेटियां भी किसी से कम नहीं है। मोहना सिंह फाइटर जेट तेजस को चलने वाली पहली महिला पायलट हैं। जिसनेे तेजस फाइटर जेट को चलाकर लोगों को हैरान कर दिया। कौन हैं, मोहना सिंह, जिसने तेजस चला कर दिखाई ‘धमक‘ऑपरेशन सिंदूर को लेकर कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह देश में काफी चर्चाओं में हैं। इस बीच राजस्थान की मोहना सिंह भी काफी सुर्खियों में आ गई हैं। यह दबंग बेटी मोहना सिंह झुंझुनू की रहने वाली हैं, जिसका जन्म पापड़ा गांव में 22 जनवरी 1992 को हुआ। मोहना शुरू से ही वायु सेना में जाना चाहती थी। उसके पिता भी वायु सेना में वारंट ऑफिसर रह चुके हैं। देश की सेवा करने वाले इस परिवार के माहौल के कारण मोहन सिंह भी वायु सेना में जाने को उत्सुक थी। अपनी मेहनत के बाद आखिर मोहना सिंह का वायु सेना में सिलेक्शन हुआ था। तेजस को उड़ाकर पहली महिला पायलट बनी मोहना सिंहवायु सेना से जुड़े हुए पारिवारिक पृष्ठभूमि के चलते मोहना सिंह भी वायुसेना में शामिल होने का सपना देखती थी। वह भी आसमान की ऊंचाइयों को छूना चाहती थी। अपनी कड़ी मेहनत के बाद मोहना सिंह का वायुसेना में शामिल हुई। इस बीच साल 2019 में मोहना सिंह ने तेजस फाइटर जेट उड़ाकर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा दिया। तेजस विमान देश के घातक विमानों में से एक है। हाल ही में जोधपुर में हुए युद्ध अभ्यास तरंग शक्ति में उन्होंने फिर से अपना जलवा दिखाया। इसके बाद उन्हें भारत सरकार ने नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया। मोहना ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में बीटेक की डिग्रीराजस्थान की दबंग बेटी मोहना सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के एयरफोर्स स्कूल से प्राप्त की। उन्होंने आगे की पढ़ाई पंजाब के अमृतसर में ग्लोबल इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी से की। मोहना ने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन में बीटेक की डिग्री प्राप्त की है। सरकार ने पायलट आधार पर महिलाओं के लिए फाइटर स्ट्रीम खोलने का निर्णय लिया। जिसके एक साल के भीतर साल 2016 में मोहना भारतीय वायु सेना में शामिल हुई और पहली तीन महिला लड़ाकू पायलटों में से भी एक बनीं।
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