पटना: बिहार के सपूत और भारत के प्रथम राष्ट्रपति, डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गौरव को एक बार फिर से जनमानस में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। भारतीय जनता पार्टी के एनआरआई सेल के संयोजक मनीष सिन्हा ने आज कहा कि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से चला आ रहा उनका प्रयास अब रंग ला रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पटना के 'वेस्ट टू वंडर पार्क' का नाम बदलकर "देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार गौरव उद्यान" रखने का निर्णय अत्यंत प्रशंसनीय और ऐतिहासिक है।
बिहार की विरासत
मनीष सिन्हा ने इस निर्णय को बिहार की विरासत और गौरव को वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नामकरण नहीं, बल्कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अद्वितीय योगदान को सम्मान देने का एक तरीका है। सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा और मंत्री जीवेश मिश्रा व नितिन नवीन को इस निर्णय के लिए धन्यवाद दिया।
नीतीश कुमार का फैसला
एनआरआई सेल की यह पहल वर्षों से चल रही है, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्मृति को पुनर्जीवित करने और उनकी भव्य प्रतिमा "स्टैच्यू ऑफ विजडम" के निर्माण की मांग की जा रही थी। अब इस मांग को राज्य स्तर पर भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। मनीष सिन्हा ने दोहराया कि उनका संकल्प है कि गुजरात में स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की तर्ज पर ही बिहार में भी 243 फीट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ विजडम' का निर्माण किया जाए।
गौरव का प्रतीक
सिन्हा ने कहा कि यह स्मारक केवल डॉ. राजेंद्र प्रसाद के योगदान का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि यह बिहार की ज्ञान, संस्कृति, अध्यात्म और शिक्षा की गौरवशाली परंपरा को भी विश्व पटल पर स्थापित करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार की नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास और नायकों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है, और ऐसे कदम उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद करेंगे। इस प्रकार, यह निर्णय बिहार के लिए एक नए गौरवशाली अध्याय की शुरुआत है, जो युवाओं को अपनी विरासत पर गर्व करने का अवसर देगा।
बिहार की विरासत
मनीष सिन्हा ने इस निर्णय को बिहार की विरासत और गौरव को वैश्विक मंच पर पुनः स्थापित करने की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नामकरण नहीं, बल्कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद के अद्वितीय योगदान को सम्मान देने का एक तरीका है। सिन्हा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा और मंत्री जीवेश मिश्रा व नितिन नवीन को इस निर्णय के लिए धन्यवाद दिया।
नीतीश कुमार का फैसला
एनआरआई सेल की यह पहल वर्षों से चल रही है, जिसमें डॉ. राजेंद्र प्रसाद की स्मृति को पुनर्जीवित करने और उनकी भव्य प्रतिमा "स्टैच्यू ऑफ विजडम" के निर्माण की मांग की जा रही थी। अब इस मांग को राज्य स्तर पर भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है। मनीष सिन्हा ने दोहराया कि उनका संकल्प है कि गुजरात में स्थित 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की तर्ज पर ही बिहार में भी 243 फीट ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ विजडम' का निर्माण किया जाए।
गौरव का प्रतीक
सिन्हा ने कहा कि यह स्मारक केवल डॉ. राजेंद्र प्रसाद के योगदान का प्रतीक नहीं होगा, बल्कि यह बिहार की ज्ञान, संस्कृति, अध्यात्म और शिक्षा की गौरवशाली परंपरा को भी विश्व पटल पर स्थापित करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बिहार की नई पीढ़ी को अपने गौरवशाली इतिहास और नायकों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है, और ऐसे कदम उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद करेंगे। इस प्रकार, यह निर्णय बिहार के लिए एक नए गौरवशाली अध्याय की शुरुआत है, जो युवाओं को अपनी विरासत पर गर्व करने का अवसर देगा।
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