वॉशिंगटन: अमेरिका लंबे समय से भारत पर रूसी तेल खरीद को बंद करने का दबाव बना रहा है। इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत का टैरिफ तक लगाया है। ट्रंप भी लगातार दावा कर रहे हैं कि भारत जल्द ही रूसी तेल खरीदना बंद कर सकता है। उन्होंने को बुधवार को यहां तक कह दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी तौर पर "थोड़े समय में" इन खरीदों को बंद करने पर सहमति जताई है। इस पर रूस ने सतर्क प्रतिक्रिया दी और भारत ने उनके बयानों से दूरी बना ली। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हाल के किसी बातचीत की जानकारी नहीं है।
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस का तेल "भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय लोगों के कल्याण के लिए बहुत फायदेमंद" है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी आयात नीति "अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर" बनाई गई है, और बाद में एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें मोदी और ट्रंप के बीच "कल हुई किसी भी बातचीत" की जानकारी नहीं है। भारत, अमेरिका के दबाव में रूस से तेल खरीद बंद करने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रूसी तेल कितना महत्वपूर्ण है?
भारत ने रूस से कितना तेल खरीदा है
पिछले साल, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत ने 52.7 अरब डॉलर का रूसी कच्चा तेल खरीदा - जो उसके तेल बिल का 37% है - इसके बाद इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और अमेरिका का स्थान आता है।
भारत रूस से पहले किन देशों से खरीदता था तेल
रूसी आयात बढ़ने से पहले, 2021-22 में भारत के शीर्ष 10 कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता रूस, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ब्राज़ील, कुवैत, मेक्सिको, नाइजीरिया और ओमान थे। शेष 31 देश छोटे, अवसरवादी सौदों की एक लंबी कतार बनाते थे जो वैश्विक कीमतों के साथ घटते-बढ़ते रहते हैं।
भारत अमेरिका से भी खरीदता है कच्चा तेल
हालांकि कुछ आम धारणा है कि भारत पूरी तरह से रूसी तेल पर निर्भर है, फिर भी वह अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में आयात करता है। दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, 2024 में, भारत ने 7.7 अरब डॉलर के अमेरिकी पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे - जिसमें 4.8 अरब डॉलर का कच्चा तेल शामिल है - लेकिन फिर भी वाशिंगटन के साथ उसका पेट्रोलियम व्यापार घाटा 3.2 अरब डॉलर का था।
यूक्रेन युद्ध ने बदला माहौल
भारत का रूस से तेल आयात यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ा है। इस युद्ध के कारण रूसी ऊर्जा के पारंपरिक उपभोक्ता देशों ने खरीद को बंद कर दिया। रूस पर अनगिनत प्रतिबंध लगा दिया गया। इस कारण रूस ने तेल पर भारी छूट ऑफर करनी शुरू कर दी। भारत को सस्ते ऊर्जा की भारी जरूरत होती है। ऐसे में भारत ने मौके का फायदा उठाया और रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदना शुरू कर दिया। भारत का रूसी तेल आयात 2021-22 में 40 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 8.7 करोड़ टन से अधिक हो गया। यह उछाल पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस द्वारा दी गई छूट के कारण हुआ, जिससे उसका कच्चा तेल भारतीय रिफाइनरों के लिए अधिक आकर्षक हो गया।
रूसी तेल खरीदने से भारत को हुआ फायदा
2021-22 के बाद, रूसी तेल की कीमतों में 2022-23 में औसतन 14.1% और 2023-24 में 10.4% की छूट रही, जिससे भारत को सालाना लगभग 5 अरब डॉलर या उसके कच्चे तेल के आयात बिल का 3-4% की बचत हुई। खाड़ी के तीनों देश - इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात - की हिस्सेदारी में 11 प्रतिशत अंकों की गिरावट देखी गई, लेकिन उनकी वास्तविक मात्रा स्थिर रही क्योंकि भारत का कुल आयात 19.6 करोड़ टन से बढ़कर 24.4 करोड़ टन हो गया।
भारत, रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो क्या होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। दुनिया में तेल की डिमांड भी बढ़ सकती है, लेकिन उत्पादन स्थिर रहने से कीमतें लगातार बढ़ सकती हैं। इसका असर भारत में भी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इसके अलावा महंगाई भी बढ़ेगी। ऐसे में मोदी सरकार ऐसा रिस्क उठाने से बचना चाहेगी। हालांकि, अगर रूस वाली कीमत पर किसी दूसरे देश से तेल मिले, तो मामला बदल सकता है।
भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस का तेल "भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय लोगों के कल्याण के लिए बहुत फायदेमंद" है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी आयात नीति "अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर" बनाई गई है, और बाद में एक प्रवक्ता ने कहा कि उन्हें मोदी और ट्रंप के बीच "कल हुई किसी भी बातचीत" की जानकारी नहीं है। भारत, अमेरिका के दबाव में रूस से तेल खरीद बंद करने को तैयार नहीं है। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए रूसी तेल कितना महत्वपूर्ण है?
भारत ने रूस से कितना तेल खरीदा है
पिछले साल, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक भारत ने 52.7 अरब डॉलर का रूसी कच्चा तेल खरीदा - जो उसके तेल बिल का 37% है - इसके बाद इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और अमेरिका का स्थान आता है।
भारत रूस से पहले किन देशों से खरीदता था तेल
रूसी आयात बढ़ने से पहले, 2021-22 में भारत के शीर्ष 10 कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता रूस, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका, ब्राज़ील, कुवैत, मेक्सिको, नाइजीरिया और ओमान थे। शेष 31 देश छोटे, अवसरवादी सौदों की एक लंबी कतार बनाते थे जो वैश्विक कीमतों के साथ घटते-बढ़ते रहते हैं।
भारत अमेरिका से भी खरीदता है कच्चा तेल
हालांकि कुछ आम धारणा है कि भारत पूरी तरह से रूसी तेल पर निर्भर है, फिर भी वह अमेरिका से भी बड़ी मात्रा में आयात करता है। दिल्ली स्थित थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, 2024 में, भारत ने 7.7 अरब डॉलर के अमेरिकी पेट्रोलियम उत्पाद खरीदे - जिसमें 4.8 अरब डॉलर का कच्चा तेल शामिल है - लेकिन फिर भी वाशिंगटन के साथ उसका पेट्रोलियम व्यापार घाटा 3.2 अरब डॉलर का था।
यूक्रेन युद्ध ने बदला माहौल
भारत का रूस से तेल आयात यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ा है। इस युद्ध के कारण रूसी ऊर्जा के पारंपरिक उपभोक्ता देशों ने खरीद को बंद कर दिया। रूस पर अनगिनत प्रतिबंध लगा दिया गया। इस कारण रूस ने तेल पर भारी छूट ऑफर करनी शुरू कर दी। भारत को सस्ते ऊर्जा की भारी जरूरत होती है। ऐसे में भारत ने मौके का फायदा उठाया और रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदना शुरू कर दिया। भारत का रूसी तेल आयात 2021-22 में 40 लाख टन से बढ़कर 2024-25 में 8.7 करोड़ टन से अधिक हो गया। यह उछाल पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद रूस द्वारा दी गई छूट के कारण हुआ, जिससे उसका कच्चा तेल भारतीय रिफाइनरों के लिए अधिक आकर्षक हो गया।
रूसी तेल खरीदने से भारत को हुआ फायदा
2021-22 के बाद, रूसी तेल की कीमतों में 2022-23 में औसतन 14.1% और 2023-24 में 10.4% की छूट रही, जिससे भारत को सालाना लगभग 5 अरब डॉलर या उसके कच्चे तेल के आयात बिल का 3-4% की बचत हुई। खाड़ी के तीनों देश - इराक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात - की हिस्सेदारी में 11 प्रतिशत अंकों की गिरावट देखी गई, लेकिन उनकी वास्तविक मात्रा स्थिर रही क्योंकि भारत का कुल आयात 19.6 करोड़ टन से बढ़कर 24.4 करोड़ टन हो गया।
भारत, रूसी तेल खरीदना बंद कर दे तो क्या होगा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दे, तो वैश्विक तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। दुनिया में तेल की डिमांड भी बढ़ सकती है, लेकिन उत्पादन स्थिर रहने से कीमतें लगातार बढ़ सकती हैं। इसका असर भारत में भी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इसके अलावा महंगाई भी बढ़ेगी। ऐसे में मोदी सरकार ऐसा रिस्क उठाने से बचना चाहेगी। हालांकि, अगर रूस वाली कीमत पर किसी दूसरे देश से तेल मिले, तो मामला बदल सकता है।
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