बेंगलुरु    : कर्नाटक में कांग्रेस बनाम आरएसएस का विवाद थमता नहीं दिख रहा है। तमाम उठापटक के बाद यादगिरी ज़िला प्रशासन ने आरएसएस के पथ संचलन के लिए अनुमति दे दी। हालांकि यह परमिशन सशर्त दी गई, जिसमें प्रशासन ने 10 कंडीशन रखीं। गुरमितकल विधानसभा क्षेत्र में यह पथ संचलन होना है, जो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का गढ़ है। वहीं चित्तपूर में अब भी बात नहीं बनी है। तनाव जारी है।   
   
अधिकारियों के अनुसार, इस आयोजन पर दस शर्तें लगाई गईं, जिनमें भड़काऊ नारे लगाने, हथियार ले जाने और सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर प्रतिबंध लगाया गया।
     
चित्तपुर में तनाव जारीयह संचलन नरेंद्र राठौड़ लेआउट से शुरू हुआ और सम्राट सर्कल, बसवेश्वर सर्कल, हनुमान मंदिर और कुंभरावाड़ी जैसे प्रमुख स्थानों से होकर गुजरा। इस बीच, पड़ोसी कलबुर्गी ज़िले में तनाव व्याप्त है, जहां 2 नवंबर को चित्तपुर में आरएसएस और नौ अन्य संगठनों द्वारा रैलियां आयोजित करने की अनुमति पर चर्चा के लिए बुलाई गई शांति बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई।
     
आरएसएस के लिए ये शर्तेंयादगिरी प्रशासन के आदेश में कहा गया है कि पथ संचलन के दौरान कोई भी सड़क अवरुद्ध न की जाएगी। कोई भी दुकान जबरन बंद नहीं करवाई जाएगी। कोई भी घातक हथियार या आग्नेयास्त्र साथ में नहीं होना चाहिए। शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए मार्ग पर पर्याप्त पुलिस सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन किया जाता है तो आयोजकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आरएसएस को अंततः ऐसा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
   
ऐसे शुरू हुआ विवाद
हाल में मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, 'आरएसएस नामक एक संगठन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक मैदानों में भी अपनी शाखाएं चला रहा है जहां नारे लगाने के साथ बच्चों और युवाओं के मन में नकारात्मक विचार भरे जाते हैं।' उन्होंने एक अलग पत्र में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। खरगे के अनुसार, इस तरह की गतिविधियां भारत की एकता और संविधान की भावना के खिलाफ हैं।
   
पत्र के कुछ दिनों बाद कर्नाटक कैबिनेट ने निर्णय लिया कि सरकारी संपत्तियों पर गतिविधियां संचालित करने वाले किसी भी संगठन को अधिकारियों से पहले अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा आरएसएस के संचलन में भाग लेने के कारण कुछ सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आरएसएस कार्यकर्ताओं को इस दौरान लाठियां रखने की अनुमति होगी या नहीं।
   
भीम आर्मी ने किया विरोधकर्नाटक हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, उपायुक्त फौज़िया तरन्नुम की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आरएसएस, भीम आर्मी, भारतीय दलित पैंथर्स, हसीरू सेना और अन्य समूहों के प्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस हुई। कई संगठनों ने आरएसएस से लाठी और भगवा ध्वज के बजाय राष्ट्रीय ध्वज और संविधान की प्रस्तावना लेकर मार्च निकालने का आग्रह किया। हालांकि, आरएसएस के प्रतिनिधियों ने पारंपरिक प्रथाओं का पालन करने के अपने अधिकार का दावा करते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। भीम आर्मी सहित विरोधी समूहों ने चेतावनी दी कि अगर आरएसएस इस बदलाव पर सहमत नहीं हुआ तो वे उसी दिन अपने मार्च निकालेंगे।
   
इस बीच, कर्नाटक स्कूल शिक्षा विभाग ने इस महीने की शुरुआत में आरएसएस के एक पथ संचलन में भाग लेने के लिए बीदर जिले के चार शिक्षकों को नोटिस जारी किया है। बीदर के औरद के खंड शिक्षा अधिकारी ने इस कार्यक्रम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद शिक्षकों को नोटिस जारी कर उनकी भागीदारी के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
  
अधिकारियों के अनुसार, इस आयोजन पर दस शर्तें लगाई गईं, जिनमें भड़काऊ नारे लगाने, हथियार ले जाने और सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर प्रतिबंध लगाया गया।
चित्तपुर में तनाव जारीयह संचलन नरेंद्र राठौड़ लेआउट से शुरू हुआ और सम्राट सर्कल, बसवेश्वर सर्कल, हनुमान मंदिर और कुंभरावाड़ी जैसे प्रमुख स्थानों से होकर गुजरा। इस बीच, पड़ोसी कलबुर्गी ज़िले में तनाव व्याप्त है, जहां 2 नवंबर को चित्तपुर में आरएसएस और नौ अन्य संगठनों द्वारा रैलियां आयोजित करने की अनुमति पर चर्चा के लिए बुलाई गई शांति बैठक बिना किसी सहमति के समाप्त हो गई।
आरएसएस के लिए ये शर्तेंयादगिरी प्रशासन के आदेश में कहा गया है कि पथ संचलन के दौरान कोई भी सड़क अवरुद्ध न की जाएगी। कोई भी दुकान जबरन बंद नहीं करवाई जाएगी। कोई भी घातक हथियार या आग्नेयास्त्र साथ में नहीं होना चाहिए। शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए मार्ग पर पर्याप्त पुलिस सुरक्षा व्यवस्था रहेगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यदि इनमें से किसी भी शर्त का उल्लंघन किया जाता है तो आयोजकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाएगी। आरएसएस को अंततः ऐसा करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
ऐसे शुरू हुआ विवाद
हाल में मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों तथा सार्वजनिक स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया था। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, 'आरएसएस नामक एक संगठन सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक मैदानों में भी अपनी शाखाएं चला रहा है जहां नारे लगाने के साथ बच्चों और युवाओं के मन में नकारात्मक विचार भरे जाते हैं।' उन्होंने एक अलग पत्र में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। खरगे के अनुसार, इस तरह की गतिविधियां भारत की एकता और संविधान की भावना के खिलाफ हैं।
पत्र के कुछ दिनों बाद कर्नाटक कैबिनेट ने निर्णय लिया कि सरकारी संपत्तियों पर गतिविधियां संचालित करने वाले किसी भी संगठन को अधिकारियों से पहले अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा आरएसएस के संचलन में भाग लेने के कारण कुछ सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आरएसएस कार्यकर्ताओं को इस दौरान लाठियां रखने की अनुमति होगी या नहीं।
भीम आर्मी ने किया विरोधकर्नाटक हाई कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, उपायुक्त फौज़िया तरन्नुम की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आरएसएस, भीम आर्मी, भारतीय दलित पैंथर्स, हसीरू सेना और अन्य समूहों के प्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस हुई। कई संगठनों ने आरएसएस से लाठी और भगवा ध्वज के बजाय राष्ट्रीय ध्वज और संविधान की प्रस्तावना लेकर मार्च निकालने का आग्रह किया। हालांकि, आरएसएस के प्रतिनिधियों ने पारंपरिक प्रथाओं का पालन करने के अपने अधिकार का दावा करते हुए इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। भीम आर्मी सहित विरोधी समूहों ने चेतावनी दी कि अगर आरएसएस इस बदलाव पर सहमत नहीं हुआ तो वे उसी दिन अपने मार्च निकालेंगे।
इस बीच, कर्नाटक स्कूल शिक्षा विभाग ने इस महीने की शुरुआत में आरएसएस के एक पथ संचलन में भाग लेने के लिए बीदर जिले के चार शिक्षकों को नोटिस जारी किया है। बीदर के औरद के खंड शिक्षा अधिकारी ने इस कार्यक्रम के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद शिक्षकों को नोटिस जारी कर उनकी भागीदारी के लिए स्पष्टीकरण मांगा है।
You may also like
 - इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन को बड़ा संदेश! अमेरिका के साथ 10 साल वाले डिफेंस एग्रीमेंट से कैसे बदलेगी भारत की भूमिका
 - विश्व की सबसे छोटी महिला ज्योति आमगे पहुंचीं रामलला दरबार, भीड़ में अटकीं तो सहयोगी ने लिया गोद, जानिए क्या कहा
 - Sardar Patel Jayanti 2025: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से कितनी कमाई, आदिवासी बहुल क्षेत्र की कैसे चमकी किस्मत?
 - नोएडा एयरपोर्ट पर कैलिब्रेशन फ्लाइट का क्या है महत्व? एकत्र डेटा का होगा विस्तृत विश्लेषण
 - कार हादसे के बाद कोमा में गया बॉयफ्रेंड, अचानक उठा और बोला- गर्लफ्रेंड ने किया…!




