श्रीनगर : पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। 25 हिंदुओं की हत्या की जिम्मेदारी लश्कर ए तैयबा के संगठन टीआरएफ ने ली थी। अब घटना के चार दिन बाद TRF का एक और बयान सामने आया है। टीआरएफ अब कह रहा है कि पहलगाम अटैक में हमारा हाथ नहीं है। उसने कहा कि हमारा डिजिटल प्लेटफॉर्म हैक किया गया और हमले की जिम्मेदारी लेने वाला मैसेज डाला गया। वहीं सुरक्षा एजेंसियां मान रही है कि भारत की ओर से प्रेशर बढ़ने और शिकंजा कसने के बाद पाकिस्तान की ISI के दबाव में टीआरएफ ने यह स्टेटमेंट जारी किया गया है।रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। यह 25 अप्रैल, 2025 को शाम को जारी किया गया। इसमें TRF ने कहा कि उनका पहलगाम की घटना से कोई लेना-देना नहीं है। वह इस हमले की जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं। टीआरएफ ने कहा कि यह आरोप गलत है और यह कश्मीरी प्रतिरोध को बदनाम करने की साजिश है। साइबर अटैक कर वेबसाइट हैक करने का दावाTRF के अनुसार, हमले के बाद उनके एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से एक मैसेज पोस्ट किया गया था। यह मैसेज बिना अनुमति के पोस्ट किया गया था। TRF ने कहा कि एक साइबर अटैक के बाद उनकी वेबसाइट को हैक कर लिया गया था और उसमें पहलगाम हमले की जिम्मेदारी लेने वाला पोस्ट डाला गया। साइबर इंटेलिजेंस का हाथ होने का दावाटीएरआफ ने कहा कि उन्हें शक है कि इसमें भारतीय साइबर इंटेलिजेंस का हाथ है। वे इस मामले की जांच कर रहे हैं। TRF ने आरोप लगाया कि भारत पहले भी इस तरह की हरकतें कर चुका है। उन्होंने कुछ घटनाओं का हवाला दिया। भारत पर टीआरएफ ने लगाए हमले के आरोपटीआरएफ ने बयान में आरोप लगाया कि 2000 में भारतीय सेना ने छत्तीसिंगपुरा में 35 सिखों को मार डाला और इसका आरोप आतंकवादियों पर लगाया गया। TRF का कहना है कि इसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई को सही ठहराने के लिए किया गया। 2001 में भारतीय संसद पर हमला हुआ। इससे सैनिकों की तैनाती बढ़ गई। TRF का दावा है कि इस हमले में भी अंदरूनी लोगों का हाथ था। पुलवामा हमले का आरोप भी भारत पर मढ़ा2019 में पुलवामा हमले का आरोप पाकिस्तान पर लगाया गया। यह हमला लोकसभा चुनावों से ठीक पहले हुआ था। TRF का कहना है कि सत्यपाल मलिक जैसे पूर्व अधिकारियों ने इस मामले में चूक और राजनीतिक लीपापोती का खुलासा किया था।TRF ने कहा कि कितने और शवों का इस्तेमाल भारतीय राष्ट्रवाद के लिए किया जाएगा? कितने और झूठे झंडे फहराए जाएंगे, इससे पहले कि दुनिया इस गंदी चाल पर सवाल उठाए? कब दुनिया भारत के झूठ को समझेगी? टीआरएफ ने खुद को बताया पाकसाफTRF का कहना है कि वह एक स्वदेशी वैचारिक जिहाद का हिस्सा हैं। यह उनकी मातृभूमि को कब्जे और अत्याचार से मुक्त कराने का एक पवित्र कर्तव्य है। वे अंधाधुंध हिंसा नहीं चाहते हैं। उनका कहना है कि उनके ऑपरेशन सटीक, नैतिक और न्याय पर आधारित हैं। वे भारत पर आरोप लगाते हैं कि वह घरों को बुलडोज करता है और निर्दोष कश्मीरियों को चुप कराता है। TRF बोला- कोई भी उनकी आवाज दबा नहीं सकताTRF का मानना है कि यह आरोप उन्हें बदनाम करने की साजिश है। वे कहते हैं कि यह पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ाने, कूटनीति को पटरी से उतारने और कश्मीरी भावना को कुचलने की चाल है। उनका जिहाद कश्मीर के लिए है। टीआरएफ ने कहा कि कोई भी प्रचार उनकी आजादी की आवाज को नहीं दबा सकता है। टीआरएफ के प्रवक्ता ने जारी किया बयानTRF ने कहा है कि वे जल्द ही अपने टेलीग्राम चैनल पर इस बात का सबूत देंगे कि भारत की इंटेलिजेंस ब्यूरो और R&AW का इस हमले में हाथ था। वे लोगों से इस जानकारी को साझा करने के लिए कह रहे हैं ताकि सच्चाई सामने आ सके। यह बयान TRF के प्रवक्ता अहमद खालिद ने जारी किया है। टीआरएफ के दावे पर झोल ही झोलहालांकि टीआरएफ के इस बयान को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। पहलगाम हमला 22 अप्रैल 2025 को हुआ था। उसी दिन हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली। उसके बाद से टीआरएफ की ओर से कोई सफाई नहीं आई। अब चार दिन बाद अचानक टीआरएफ के प्रवक्ता ने बयान जारी करके भारत पर हमले की साजिश करने का आरोप मढ़ा है। लोग सवाल कर रहे हैं कि बीते चार दिनों से टीआरएफ सो रहा था क्या? माना जा रहा है कि भारत की ओर से सख्ती के बाद टीआरएफ ने पहलगाम हमले से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है।
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