भोपाल: मध्य प्रदेश में पशु गणना 2025 के आंकड़े सामने आ गए हैं, जिसके अनुसार प्रदेश में कुल 3 करोड़ 75 लाख 92 हजार 771 पशु हैं। नर्मदापुरम जिले में गधों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि छतरपुर जिले में खच्चर और सूअर अधिक पाए गए हैं। मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन में घोड़ों की संख्या सर्वाधिक है। यह गणना प्रदेश में हर 5 साल में कराई जाती है और पिछले साल 25 अक्टूबर को यह प्रक्रिया पूरी हुई थी।
मुरैना में भैंस ज्यादा
धार जिला गोवंश और बकरियों के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर है। भैंस वंशीय पशुओं की संख्या में मुरैना जिला अव्वल है, वहीं शिवपुरी जिले में भेड़ों की तादाद सबसे ज्यादा है। टीकमगढ़ जिले में टट्टुओं की संख्या अधिक पाई गई है।
गाय-भैंस की संख्या सबसे ज्यादा
पशु गणना के आंकड़ों के अनुसार, पूरे प्रदेश में गौ वंशीय पशुओं की संख्या 1,57,48,498 है। भैंस वंशीय पशुओं की संख्या 1,02,48,915 है, जबकि भेड़ों की संख्या 5,58,324 है। बकरियों की कुल संख्या 1,09,30,750 है। घोड़ों की संख्या 9,971, टट्टुओं की संख्या 216, खच्चरों की संख्या 972, गधों की संख्या 3,052, ऊंटों की संख्या 2,896 और सूअरों की संख्या 89,177 है।
सीएम के होम टाउन में घोड़े
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में घोड़ों की संख्या सबसे अधिक है, जहां 618 घोड़े पाए गए हैं। इसके बाद छतरपुर में 592, मंदसौर में 513, इंदौर में 491 और सागर जिले में 411 घोड़े हैं। सबसे कम घोड़े उमरिया जिले में मिले हैं, जहाँ मऊगंज में 10, सिंगरौली में 12, शहडोल में 13 और अनूपपुर में मात्र 14 घोड़े मिले हैं।
शिवपुरी में भेड़ों की संख्या अधिक
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में भैंस वंशीय जानवरों की संख्या सबसे अधिक है। मुरैना जिले में 6,86,079 भैंस वंशीय जानवर मिले हैं। दूसरे नंबर पर शिवपुरी में 4,77,351, राजगढ़ में 4,74,404, भिंड में 3,86,231 और छतरपुर जिले में 3,52,342 भैंस वंशीय पशु पाए गए हैं। सबसे कम 12,715 भैंस वंशीय जानवर पांढुर्णा जिले में मिले हैं। बुरहानपुर में 34,567, उमरिया में 58,867, मऊगंज में 63,324, अनूपपुर जिले में 67,675 भैंसवंशीय पशु मिले हैं।
3052 गधों की संख्या
मध्य प्रदेश में कुल 3,052 गधे मिले हैं, जिनमें से सबसे अधिक 335 नर्मदापुरम जिले में हैं। छतरपुर में 232, मुरैना में 228, दतिया में 183 और श्योपुर में 176 गधे मिले हैं। अनुपपुर, बालाघाट, दमोह, डिंडोरी, हरदा, मंडला, निवाड़ी, सिवनी और उमरिया ऐसे 9 जिले हैं जहाँ एक भी गधा नहीं मिला है। इन जिलों में घोड़ों की संख्या भी शून्य है।
छतरपुर में सबसे ज्यादा सूअर
पशु गणना के अनुसार, छतरपुर जिले में सबसे ज्यादा सूअर हैं, जिनकी संख्या 9,113 है। सीधी में 6,880, रीवा में 6,468, डिंडोरी में 4,599, राजगढ़ में 4,279 सूअर हैं। सबसे कम सूअरों वाले जिलों में झाबुआ सबसे आगे है, जहां मात्र 4 सूअर मिले हैं। बुरहानपुर में 29, आलीराजपुर में 38, पांढुर्णा में 161, और निवाड़ी में मात्र 169 सूअर मिले हैं।
धार में गाय की संख्या अधिक
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का गृह जिला धार, गौ वंशीय पशुओं के मामले में सबसे आगे है। धार जिले में सर्वाधिक 6,52,253 गोवंश मिला है। दूसरे नंबर पर सागर में 5,62,282, खरगोन में 5,01,941, बालाघाट में 4,98,971 और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के गृह जिले बैतूल में 4,95,188 गोवंश मिला है। गाय, बैल जैसे गौवंश की सबसे कम संख्या वाले जिलों में निवाड़ी जिले का नाम आता है, जहाँ 52,657 गोवंश हैं। दतिया में 77,998, भोपाल में 81,777, पांढुर्णा में 93,701 और बुरहानपुर में 1,05,109 गोवंश मिले हैं।
भोपाल में बकरियां कम
पूरे प्रदेश में सबसे कम बकरियां भोपाल में मिली हैं, जिनकी संख्या 41,185 है। धार जिले में सबसे ज्यादा 7,29,356 बकरियां हैं। आलीराजपुर में 6,09,695, बड़वानी में 4,45,367, झाबुआ में 4,39,066 और छतरपुर में 4,04,306 बकरियां मिली हैं। पांढुर्णा में 66,411, मऊगंज में 76,128, हरदा में 80,168, डिंडोरी में 82,262 बकरियां मिली हैं।
33 जिलों में एक भी टट्टू नहीं
मध्य प्रदेश में कुल 216 टट्टू मिले हैं, जिनमें से टीकमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 54 टट्टू हैं। नरसिंहपुर में 18, खरगोन में 16, ग्वालियर में 14, शहडोल में 14 टट्टू मिले हैं। 33 जिले ऐसे हैं जहाँ टट्टुओं की संख्या शून्य है।
नीमच में सबसे ज्यादा ऊंट
पशु गणना के दौरान मध्य प्रदेश में 2,896 ऊंट मिले हैं। सबसे ज्यादा 332 ऊंट नीमच जिले में मिले हैं। विदिशा में 312, इंदौर में 297, खरगोन में 248 और उज्जैन में 232 ऊंट मिले हैं। 23 जिले ऐसे हैं जहाँ ऊंटों की संख्या शून्य है। टीकमगढ़, रीवा, नरसिंहपुर में एक-एक, मंडला, रायसेन, जबलपुर में दो-दो, पांढुर्णा में तीन, गुना में चार, श्योपुर में आठ, छतरपुर, भोपाल में नौ, सीहोर में मात्र दस ऊंट मिले हैं।
मुरैना में भैंस ज्यादा
धार जिला गोवंश और बकरियों के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर है। भैंस वंशीय पशुओं की संख्या में मुरैना जिला अव्वल है, वहीं शिवपुरी जिले में भेड़ों की तादाद सबसे ज्यादा है। टीकमगढ़ जिले में टट्टुओं की संख्या अधिक पाई गई है।
गाय-भैंस की संख्या सबसे ज्यादा
पशु गणना के आंकड़ों के अनुसार, पूरे प्रदेश में गौ वंशीय पशुओं की संख्या 1,57,48,498 है। भैंस वंशीय पशुओं की संख्या 1,02,48,915 है, जबकि भेड़ों की संख्या 5,58,324 है। बकरियों की कुल संख्या 1,09,30,750 है। घोड़ों की संख्या 9,971, टट्टुओं की संख्या 216, खच्चरों की संख्या 972, गधों की संख्या 3,052, ऊंटों की संख्या 2,896 और सूअरों की संख्या 89,177 है।
सीएम के होम टाउन में घोड़े
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में घोड़ों की संख्या सबसे अधिक है, जहां 618 घोड़े पाए गए हैं। इसके बाद छतरपुर में 592, मंदसौर में 513, इंदौर में 491 और सागर जिले में 411 घोड़े हैं। सबसे कम घोड़े उमरिया जिले में मिले हैं, जहाँ मऊगंज में 10, सिंगरौली में 12, शहडोल में 13 और अनूपपुर में मात्र 14 घोड़े मिले हैं।
शिवपुरी में भेड़ों की संख्या अधिक
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में भैंस वंशीय जानवरों की संख्या सबसे अधिक है। मुरैना जिले में 6,86,079 भैंस वंशीय जानवर मिले हैं। दूसरे नंबर पर शिवपुरी में 4,77,351, राजगढ़ में 4,74,404, भिंड में 3,86,231 और छतरपुर जिले में 3,52,342 भैंस वंशीय पशु पाए गए हैं। सबसे कम 12,715 भैंस वंशीय जानवर पांढुर्णा जिले में मिले हैं। बुरहानपुर में 34,567, उमरिया में 58,867, मऊगंज में 63,324, अनूपपुर जिले में 67,675 भैंसवंशीय पशु मिले हैं।
3052 गधों की संख्या
मध्य प्रदेश में कुल 3,052 गधे मिले हैं, जिनमें से सबसे अधिक 335 नर्मदापुरम जिले में हैं। छतरपुर में 232, मुरैना में 228, दतिया में 183 और श्योपुर में 176 गधे मिले हैं। अनुपपुर, बालाघाट, दमोह, डिंडोरी, हरदा, मंडला, निवाड़ी, सिवनी और उमरिया ऐसे 9 जिले हैं जहाँ एक भी गधा नहीं मिला है। इन जिलों में घोड़ों की संख्या भी शून्य है।
छतरपुर में सबसे ज्यादा सूअर
पशु गणना के अनुसार, छतरपुर जिले में सबसे ज्यादा सूअर हैं, जिनकी संख्या 9,113 है। सीधी में 6,880, रीवा में 6,468, डिंडोरी में 4,599, राजगढ़ में 4,279 सूअर हैं। सबसे कम सूअरों वाले जिलों में झाबुआ सबसे आगे है, जहां मात्र 4 सूअर मिले हैं। बुरहानपुर में 29, आलीराजपुर में 38, पांढुर्णा में 161, और निवाड़ी में मात्र 169 सूअर मिले हैं।
धार में गाय की संख्या अधिक
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का गृह जिला धार, गौ वंशीय पशुओं के मामले में सबसे आगे है। धार जिले में सर्वाधिक 6,52,253 गोवंश मिला है। दूसरे नंबर पर सागर में 5,62,282, खरगोन में 5,01,941, बालाघाट में 4,98,971 और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के गृह जिले बैतूल में 4,95,188 गोवंश मिला है। गाय, बैल जैसे गौवंश की सबसे कम संख्या वाले जिलों में निवाड़ी जिले का नाम आता है, जहाँ 52,657 गोवंश हैं। दतिया में 77,998, भोपाल में 81,777, पांढुर्णा में 93,701 और बुरहानपुर में 1,05,109 गोवंश मिले हैं।
भोपाल में बकरियां कम
पूरे प्रदेश में सबसे कम बकरियां भोपाल में मिली हैं, जिनकी संख्या 41,185 है। धार जिले में सबसे ज्यादा 7,29,356 बकरियां हैं। आलीराजपुर में 6,09,695, बड़वानी में 4,45,367, झाबुआ में 4,39,066 और छतरपुर में 4,04,306 बकरियां मिली हैं। पांढुर्णा में 66,411, मऊगंज में 76,128, हरदा में 80,168, डिंडोरी में 82,262 बकरियां मिली हैं।
33 जिलों में एक भी टट्टू नहीं
मध्य प्रदेश में कुल 216 टट्टू मिले हैं, जिनमें से टीकमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 54 टट्टू हैं। नरसिंहपुर में 18, खरगोन में 16, ग्वालियर में 14, शहडोल में 14 टट्टू मिले हैं। 33 जिले ऐसे हैं जहाँ टट्टुओं की संख्या शून्य है।
नीमच में सबसे ज्यादा ऊंट
पशु गणना के दौरान मध्य प्रदेश में 2,896 ऊंट मिले हैं। सबसे ज्यादा 332 ऊंट नीमच जिले में मिले हैं। विदिशा में 312, इंदौर में 297, खरगोन में 248 और उज्जैन में 232 ऊंट मिले हैं। 23 जिले ऐसे हैं जहाँ ऊंटों की संख्या शून्य है। टीकमगढ़, रीवा, नरसिंहपुर में एक-एक, मंडला, रायसेन, जबलपुर में दो-दो, पांढुर्णा में तीन, गुना में चार, श्योपुर में आठ, छतरपुर, भोपाल में नौ, सीहोर में मात्र दस ऊंट मिले हैं।
You may also like
राम यात्रा: मोरारी बापू की 11 दिनों में 8,000 किमी की आध्यात्मिक यात्रा, 9 राम कथाएं
एक बार फिर इतिहास रचने की दिशा में केरल ने बढ़ाया कदम, मुख्यमंत्री 1 नवंबर को करेंगे ऐतिहासिक घोषणा
उमा भारती ने दोहराई चुनाव लड़ने की बात, कहा- 2029 लोकसभा चुनाव झांसी से ही लडूंगी
जानलेवा हमले के दो आरोपित गिरफ्तार, कालेज में घुसकर मारी थी गोली, घटना सीसीटीवी में हुई थी कैद
बिहार चुनाव : वामपंथी गढ़ में सियासी जंग, सीपीआई की पकड़ पर भाजपा की नजर