वाराणसी: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस पार्टी ने इस बार एक नया राजनीतिक प्रयोग किया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपने पूर्वांचल क्षेत्र की संगठनात्मक इकाई को बिहार में चुनाव प्रचार और प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने पूर्वांचल के 20 जिलों की इकाइयों को बिहार के विभिन्न जिलों में गठबंधन प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करने का निर्देश दिया है। कांग्रेस के इस फैसले को लेकर चर्चा गरमा गई है। इसे गठबंधन के सहयोगी के प्रति पार्टी की जिम्मेदारी के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। इसका सीधा संदेश यूपी में गठबंधन सहयोगी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश देने की कोशिश मानी जा रही है।
कांग्रेस का यह फैसला संगठन को मजबूती देने और कार्यकर्ताओं को राज्य की सीमाओं से बाहर राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार में महागठबंधन के समर्थन में उतरकर यूपी कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश में है। वह राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की एकजुटता का संदेश भी देना चाहती है।
अजय राय ने की घोषणायूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि पार्टी इस बार अपने संगठन को न केवल उत्तर प्रदेश में सशक्त बना रही है बल्कि पड़ोसी राज्यों के चुनावों में भी उसकी भूमिका को मजबूत करने की रणनीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन के प्रत्याशी मैदान में हैं और हम उत्तर प्रदेश की जिला इकाइयों को जिलेवार जिम्मेदारी देकर वहां भेज रहे हैं। इसका उद्देश्य केवल प्रचार ही नहीं, बल्कि मैदान से वास्तविक फीडबैक जुटाना भी है, ताकि नेतृत्व को जमीनी स्थिति का सही आकलन मिल सके।
20 जिलों को खास जिम्मेदारियांकांग्रेस की योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 20 जिलों की इकाइयों को बिहार के अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें प्रमुख रूप से वाराणसी इकाई को बक्सर, अयोध्या इकाई को पटना, सुल्तानपुर इकाई को रोहतास, कौशांबी इकाई को नालंदा, मिर्जापुर इकाई को गया, कुशीनगर इकाई को गोपालगंज की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अलावा महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, बस्ती, अंबेडकरनगर, जौनपुर, प्रयागराज, भदोही, सोनभद्र और आजमगढ़ जिलों के कांग्रेस कार्यकर्ता भी बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में गठबंधन प्रत्याशियों के समर्थन में सक्रिय रहेंगे।
स्थानीय स्तर पर प्रचार का जिम्माअजय राय ने बताया कि हर जिला इकाई को स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क, सभा प्रबंधन और मतदाताओं से संवाद की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, प्रचार के दौरान हर जिला प्रभारी को यह भी देखना होगा कि कांग्रेस और महागठबंधन के कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करें। उन्होंने कहा कि पहले जब दूसरे प्रदेशों में चुनाव होते थे, तो प्रचार के लिए कुछ चुनिंदा नेताओं को भेजा जाता था। लेकिन इस बार हम पूरे संगठन को मैदान में उतार रहे हैं, ताकि कार्यकर्ताओं को भी चुनावी अनुभव मिले और कांग्रेस का नेटवर्क मजबूत हो।
रिश्तेदारों से अपील का निर्देशअजय राय ने यह भी कहा कि बिहार में जिन कार्यकर्ताओं के पारिवारिक रिश्ते या जान-पहचान हैं, वे अपने संबंधियों से महागठबंधन प्रत्याशियों के समर्थन में मतदान करने की अपील करें। उन्होंने इसे जनसंपर्क और संबंध आधारित राजनीति का उदाहरण बताया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 26 अक्टूबर को वाराणसी में 20 जिलों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सभी जिलों को बिहार में उनकी जिम्मेदारी के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण और दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
अजय राय ने कहा कि यह केवल चुनावी कसरत नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के संगठनात्मक कौशल का परीक्षण भी होगा। उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश में संगठन को पुनर्गठित कर रहे हैं। अधिकांश काम पूरा हो चुका है, और अब बिहार चुनाव में सक्रिय भागीदारी से हमारे कार्यकर्ताओं को व्यावहारिक राजनीतिक अनुभव मिलेगा।
कांग्रेस का यह फैसला संगठन को मजबूती देने और कार्यकर्ताओं को राज्य की सीमाओं से बाहर राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बिहार में महागठबंधन के समर्थन में उतरकर यूपी कांग्रेस अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश में है। वह राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन की एकजुटता का संदेश भी देना चाहती है।
अजय राय ने की घोषणायूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बताया कि पार्टी इस बार अपने संगठन को न केवल उत्तर प्रदेश में सशक्त बना रही है बल्कि पड़ोसी राज्यों के चुनावों में भी उसकी भूमिका को मजबूत करने की रणनीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में महागठबंधन के प्रत्याशी मैदान में हैं और हम उत्तर प्रदेश की जिला इकाइयों को जिलेवार जिम्मेदारी देकर वहां भेज रहे हैं। इसका उद्देश्य केवल प्रचार ही नहीं, बल्कि मैदान से वास्तविक फीडबैक जुटाना भी है, ताकि नेतृत्व को जमीनी स्थिति का सही आकलन मिल सके।
20 जिलों को खास जिम्मेदारियांकांग्रेस की योजना के तहत उत्तर प्रदेश के 20 जिलों की इकाइयों को बिहार के अलग-अलग जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। इनमें प्रमुख रूप से वाराणसी इकाई को बक्सर, अयोध्या इकाई को पटना, सुल्तानपुर इकाई को रोहतास, कौशांबी इकाई को नालंदा, मिर्जापुर इकाई को गया, कुशीनगर इकाई को गोपालगंज की जिम्मेदारी दी गई है।
इसके अलावा महाराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, बस्ती, अंबेडकरनगर, जौनपुर, प्रयागराज, भदोही, सोनभद्र और आजमगढ़ जिलों के कांग्रेस कार्यकर्ता भी बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में गठबंधन प्रत्याशियों के समर्थन में सक्रिय रहेंगे।
स्थानीय स्तर पर प्रचार का जिम्माअजय राय ने बताया कि हर जिला इकाई को स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क, सभा प्रबंधन और मतदाताओं से संवाद की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही, प्रचार के दौरान हर जिला प्रभारी को यह भी देखना होगा कि कांग्रेस और महागठबंधन के कार्यकर्ता एकजुट होकर काम करें। उन्होंने कहा कि पहले जब दूसरे प्रदेशों में चुनाव होते थे, तो प्रचार के लिए कुछ चुनिंदा नेताओं को भेजा जाता था। लेकिन इस बार हम पूरे संगठन को मैदान में उतार रहे हैं, ताकि कार्यकर्ताओं को भी चुनावी अनुभव मिले और कांग्रेस का नेटवर्क मजबूत हो।
रिश्तेदारों से अपील का निर्देशअजय राय ने यह भी कहा कि बिहार में जिन कार्यकर्ताओं के पारिवारिक रिश्ते या जान-पहचान हैं, वे अपने संबंधियों से महागठबंधन प्रत्याशियों के समर्थन में मतदान करने की अपील करें। उन्होंने इसे जनसंपर्क और संबंध आधारित राजनीति का उदाहरण बताया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि 26 अक्टूबर को वाराणसी में 20 जिलों के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में सभी जिलों को बिहार में उनकी जिम्मेदारी के संबंध में विस्तृत प्रशिक्षण और दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
अजय राय ने कहा कि यह केवल चुनावी कसरत नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के संगठनात्मक कौशल का परीक्षण भी होगा। उन्होंने कहा कि हम उत्तर प्रदेश में संगठन को पुनर्गठित कर रहे हैं। अधिकांश काम पूरा हो चुका है, और अब बिहार चुनाव में सक्रिय भागीदारी से हमारे कार्यकर्ताओं को व्यावहारिक राजनीतिक अनुभव मिलेगा।
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