भोपाल: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक साढ़े 17 वर्षीय युवती को IAS बनने के अपने सपने को पूरा करने में मदद की है, जो अपने पिता के विरोध और शादी के दबाव के कारण घर से भाग गई थी। अदालत ने निर्देश दिया है कि यदि युवती को घर में पढ़ाई का माहौल नहीं मिलता है, तो प्रशासन उसकी बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करेगा। यह फैसला बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान लिया गया, जिसमें युवती ने पिता के साथ नहीं जाने की गुहार लगाई थी।
परेशान होकर घर से निकली
यह मामला भोपाल के बजरिया इलाके का है, जहां की युवती जनवरी 2025 में घर छोड़कर इंदौर चली गई थी। उसका आरोप है कि उसके पिता उसे पढ़ाई जारी रखने नहीं दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे, जिसके लिए उसे कथित रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। परेशान होकर वह घर से निकल गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपना खर्च निकालने लगी और वहीं सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग करने लगी।
महीनों तक नहीं मिला कोई सुराग
युवती के परिवार ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन महीनों तक उसका कोई सुराग नहीं मिला। इस पर पिता ने जबलपुर हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को युवती का पता लगाने के निर्देश दिए। पुलिस ने इंदौर से उसे 10 महीने बाद बरामद किया, तब पता चला कि वह किराए पर रहते हुए एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटी है।
इंदौर से भोपाल लाई पुलिस
भोपाल के बजरिया थाना प्रभारी शिल्पा कौरव ने बताया कि इंदौर में रहने के दौरान कुछ माह पहले युवती 18 वर्ष की हुई और पिछले महीने उसने अपने आधार कार्ड में मोबाइल नंबर अपडेट करवाया था, जिससे पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चला। पुलिस टीम युवती को इंदौर से भोपाल ले आई।
अन्य बच्चों की छुड़वा दी पढ़ाई
युवती के घर से गायब होने के बाद उसके पिता अपने अन्य तीन बच्चों की भी पढ़ाई छुड़वाकर पत्नी के साथ वापस बिहार अपने गांव चले गए थे। जब पुलिस ने युवती को उसके परिवार से मिलाने की कोशिश की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने पुलिस को बताया कि वह IAS अधिकारी बनना चाहती है और उसने स्कूल में ही पढ़ाई के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी।
हाईकोर्ट में किया पेश
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गत पांच नवंबर को युवती को जबलपुर उच्च न्यायालय में पेश किया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमर्ति अतुल श्रीधरन की पीठ के सामने युवती ने पिता के साथ नहीं भेजने की गुहार लगाई। वहीं, पिता ने उसे फिर से प्रताड़ित नहीं करने का आश्वासन देकर घर भेजने का आग्रह किया।
12 नवंबर को अगली सुनवाई
उसके बाद न्यायालय ने कहा कि वह चार-पांच दिनों तक अभिभावक के साथ रहकर देखे। अगर माहौल बेहतर लगे तो ठीक नहीं तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि वह बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था कराएं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की है, जिसमें युवती के भविष्य को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
परेशान होकर घर से निकली
यह मामला भोपाल के बजरिया इलाके का है, जहां की युवती जनवरी 2025 में घर छोड़कर इंदौर चली गई थी। उसका आरोप है कि उसके पिता उसे पढ़ाई जारी रखने नहीं दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे, जिसके लिए उसे कथित रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। परेशान होकर वह घर से निकल गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी करके अपना खर्च निकालने लगी और वहीं सिविल सर्विस की तैयारी के लिए कोचिंग करने लगी।
महीनों तक नहीं मिला कोई सुराग
युवती के परिवार ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन महीनों तक उसका कोई सुराग नहीं मिला। इस पर पिता ने जबलपुर हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को युवती का पता लगाने के निर्देश दिए। पुलिस ने इंदौर से उसे 10 महीने बाद बरामद किया, तब पता चला कि वह किराए पर रहते हुए एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही है और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में जुटी है।
इंदौर से भोपाल लाई पुलिस
भोपाल के बजरिया थाना प्रभारी शिल्पा कौरव ने बताया कि इंदौर में रहने के दौरान कुछ माह पहले युवती 18 वर्ष की हुई और पिछले महीने उसने अपने आधार कार्ड में मोबाइल नंबर अपडेट करवाया था, जिससे पुलिस को उसकी लोकेशन का पता चला। पुलिस टीम युवती को इंदौर से भोपाल ले आई।
अन्य बच्चों की छुड़वा दी पढ़ाई
युवती के घर से गायब होने के बाद उसके पिता अपने अन्य तीन बच्चों की भी पढ़ाई छुड़वाकर पत्नी के साथ वापस बिहार अपने गांव चले गए थे। जब पुलिस ने युवती को उसके परिवार से मिलाने की कोशिश की, तो उसने साफ इनकार कर दिया। उसने पुलिस को बताया कि वह IAS अधिकारी बनना चाहती है और उसने स्कूल में ही पढ़ाई के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी थी।
हाईकोर्ट में किया पेश
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाई कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने गत पांच नवंबर को युवती को जबलपुर उच्च न्यायालय में पेश किया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा और न्यायमर्ति अतुल श्रीधरन की पीठ के सामने युवती ने पिता के साथ नहीं भेजने की गुहार लगाई। वहीं, पिता ने उसे फिर से प्रताड़ित नहीं करने का आश्वासन देकर घर भेजने का आग्रह किया।
12 नवंबर को अगली सुनवाई
उसके बाद न्यायालय ने कहा कि वह चार-पांच दिनों तक अभिभावक के साथ रहकर देखे। अगर माहौल बेहतर लगे तो ठीक नहीं तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि वह बाहर रहने और पढ़ाई की समुचित व्यवस्था कराएं। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की है, जिसमें युवती के भविष्य को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
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