जम्मू : भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के बादल छंटने के बीच सीमावर्ती इलाकों में जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है। चार दिन तक ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई। पाकिस्तानी सेना की ओर से भारी गोलाबारी किए जाने की वजह से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के निकट रहने वाले लोग पलायन को मजबूर हुए थे। वे अह अपने घर लौटने लगे।अधिकारियों ने बताया कि बम निरोधक दस्तों ने रिहायशी इलाकों से बचे हुए फटे गोलों को हटाया। उरी के कमलकोट क्षेत्र के निवासी अरशद अहमद ने कहा कि हमें खुशी है कि दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हो गया है। हमें यह भी उम्मीद है कि पाकिस्तान दोबारा ऐसी हरकतें नहीं करेगा। जम्मू-कश्मीर में खुले स्कूलजम्मू-कश्मीर के गैर-सीमावर्ती जिलों में सभी स्कूल और कॉलेज करीब एक सप्ताह तक बंद रहने के बाद मंगलवार को फिर से खुले। शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू ने कहा कि जम्मू- कश्मीर के गैर-सीमावर्ती जिलों में कल से सभी स्कूल और कॉलेज फिर से खुल गए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य गतिरोध के मद्देनजर पिछले सप्ताह केंद्र शासित प्रदेश के स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। कश्मीर यूनिवर्सिटी ने 14 मई तक सभी परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। विधायक ने दी लोगों को सलाहउरी के विधायक सज्जाद शफी ने सीमावर्ती इलाकों के गांवों के निवासियों से सतर्क रहने और किसी भी संदिग्ध वस्तु को नहीं छूने को कहा। विधायक ने कहा कि उन्हें किसी भी संदिग्ध वस्तु के बारे में तुरंत अधिकारियों को सूचित करना चाहिए ताकि उसका उचित तरीके से निपटान किया जा सके। 1.25 लाख हुए थे विस्थापितभारतीय सेना ने सोमवार सुबह एक संक्षिप्त बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों में रात में काफी हद तक शांति बनी रही। बारामूला, बांदीपोरा और कुपवाड़ा जिलों में नियंत्रण रेखा के पास के गांवों के 1.25 लाख से अधिक निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। उमर अब्दुल्ला ने की वापसी की अपीलपाकिस्तानी गोलाबारी में स्थानीय लोगों के घरों को निशाना बनाया गया। बुधवार से अब तक कुल 25 लोगों की मौत हुई है। इनमें से 18 पुंछ जिले में हुईं, पचास लोग भी घायल हुए हैं। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जो लोग अपने घर छोड़ गए थे, वे वापस आ सकते हैं क्योंकि दोनों देशों के बीच अब एक सैन्य सहमति बन गई है। 90 फीसदी पुंछ हो गया था खाली उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें (सीमावर्ती निवासियों को) अब अपने घर लौटने का प्रयास करना चाहिए। पुंछ शहर का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा खाली है। जब गोलाबारी हो रही थी, तब वे अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों पर चले गए थे। अब गोलाबारी बंद हो गई है, तो वे अपने घरों को लौट सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि शहरों के बीचों-बीच गोले गिरे हैं और भारी बमबारी हुई है।
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