अबू धाबी: भारत ने इस साल के अंत कर रक्षा निर्यात को 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा हुआ है। इस दिशा में भारतीय कंपनियां काफी तेजी से आगे बढ़ रही हैं। भारत की निजी क्षेत्र की डिफेंस कंपनी भारत फोर्ज ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की सरकारी स्वामित्व वाली रक्षा कंपनी एज ग्रुप (Edge Group) के साथ एक अहम समझौता किया है। इस समझौते के तहत भारत फोर्ज, UAE को M109 हॉवित्जर के लिए 155x52 मिमी बैरल की आपूर्ति करेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, शुरूआत में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत का टेस्ट बैच तैयार किया जाएगा और उसके बाद इस डील को 500 करोड़ रुपये तक ले जाया जाएगा। यह एक ऐतिहासिक समझौता है, क्योंकि पहली बार किसी भारतीय निजी रक्षा कंपनी और UAE की किसी सरकारी कंपनी के बीच बैरल जैसे महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण की आपूर्ति को लेकर कॉन्ट्रैक्ट किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसे बैरल की डिमांड पूरी दुनिया में होने वाली है, जिससे भारत फोर्ज के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में संभावनाएं काफी बढ़ सकती हैं।
M109 हॉवित्जर क्या है?
आपको बता दें M109 हॉवित्जर एक 155 मिमी ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन है, जिसे दुनिया की कई देशों की सेनाएं इस्तेमाल करती हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने 1995 में नीदरलैंड से 87 M109A3 हॉवित्जर खरीदे थे, जिन्हें बाद में अपग्रेड करके अपनी सेना में शामिल किया गया। इनका इस्तेमाल UAE ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किया था। बैरल जितना मजबूत, ए़डवांस और जितनी बेहतरीन क्वालिटी का होता है, तोप का गोला उतना ही ज्यादा दूर हमला कर सकता है। तोप का गोला बैरल से ही निकलकर लक्ष्य की तरफ जाता है, इसलिए ये तोप का अहम हिस्सा होता है।
इसीलिए भारत फोर्ज का संयुक्त अरब अमीरात के साथ ये सौदा काफी महत्वपूर्ण है। इससे मिडिल ईस्ट में भी भारतीय कंपनियों की एंट्री का पता चलता और ये भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए काफी बड़ी खबर है। एज ग्रुप UAE का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता है, जो बख्तरबंद गाड़ियां, ड्रोन, लेजर-गाइडेड बम और छोटे हथियार बनाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, साल 2020 में इसकी सहायक कंपनी काराकल ने भारतीय सेना के लिए कार्बाइन टेंडर जीता था, हालांकि वह सौदा आगे नहीं बढ़ पाया।
रिपोर्ट के मुताबिक, शुरूआत में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत का टेस्ट बैच तैयार किया जाएगा और उसके बाद इस डील को 500 करोड़ रुपये तक ले जाया जाएगा। यह एक ऐतिहासिक समझौता है, क्योंकि पहली बार किसी भारतीय निजी रक्षा कंपनी और UAE की किसी सरकारी कंपनी के बीच बैरल जैसे महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण की आपूर्ति को लेकर कॉन्ट्रैक्ट किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसे बैरल की डिमांड पूरी दुनिया में होने वाली है, जिससे भारत फोर्ज के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में संभावनाएं काफी बढ़ सकती हैं।
M109 हॉवित्जर क्या है?
आपको बता दें M109 हॉवित्जर एक 155 मिमी ट्रैक्ड सेल्फ-प्रोपेल्ड गन है, जिसे दुनिया की कई देशों की सेनाएं इस्तेमाल करती हैं। संयुक्त अरब अमीरात ने 1995 में नीदरलैंड से 87 M109A3 हॉवित्जर खरीदे थे, जिन्हें बाद में अपग्रेड करके अपनी सेना में शामिल किया गया। इनका इस्तेमाल UAE ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल किया था। बैरल जितना मजबूत, ए़डवांस और जितनी बेहतरीन क्वालिटी का होता है, तोप का गोला उतना ही ज्यादा दूर हमला कर सकता है। तोप का गोला बैरल से ही निकलकर लक्ष्य की तरफ जाता है, इसलिए ये तोप का अहम हिस्सा होता है।
इसीलिए भारत फोर्ज का संयुक्त अरब अमीरात के साथ ये सौदा काफी महत्वपूर्ण है। इससे मिडिल ईस्ट में भी भारतीय कंपनियों की एंट्री का पता चलता और ये भारत की डिफेंस इंडस्ट्री के लिए काफी बड़ी खबर है। एज ग्रुप UAE का प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता है, जो बख्तरबंद गाड़ियां, ड्रोन, लेजर-गाइडेड बम और छोटे हथियार बनाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, साल 2020 में इसकी सहायक कंपनी काराकल ने भारतीय सेना के लिए कार्बाइन टेंडर जीता था, हालांकि वह सौदा आगे नहीं बढ़ पाया।
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