पटनाः बिहार में बड़ा नेता उसे ही माना जाता है जो पटना के गांधी में रैली करे और उसे अधिक से अधिक भर दे। 13 अप्रैल 2025 को इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता (आइपी गुप्ता) ने ये कमाल कर दिया। उन्हें बड़ा और दमदार नेता का सर्टिफिकेट मिल गया। आइपी गुप्ता को पान, तांती, ततवा जाति समूहों का सबसे बड़ा नेता मान लिया गया। 2023 के बिहार जातीय सर्वे के मुताबिक पान जाति समूह की आबादी करीब 22 लाख (कुल जनसंख्या का 2 फीसदी) है।
पारंपरिक रूप से यह समाज बुनकर के रूप में जाना जाता रहा है। चुनावी राजनीति में इतने बड़े जातीय समूह का नेता होना बहुत अहमियत रखता है। अप्रैल के बाद बिहार की राजनीति में आइपी गुप्ता की धमक बढ़ गयी। सिर्फ छह महीने में ही उनकी हैसियत ऐसी हो गयी कि वे तेजस्वी यादव से सीटों की तोल-मोल की स्थिति में पहुंच गये। अचानक ही वे महागठबंधन में छा गये। अब इनकी पार्टी ( इंडियन इंक्लूसिव पार्टी-आईआईपी ) तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
2 फीसदी वोटों का कितना प्रभाव?
आइपी गुप्ता का दावा है कि उनका जातीय समूह बिहार की करीब 100 सीटों पर निर्णायक है। जहां चुनाव में जाति ही परम सत्य हो वहां ऐसे दावे पर भला कौन नहीं ललायित होगा। तेजस्वी यादव भी उन्हें जोड़ने लिए आतुर हो गये। खूब तोल मोल हुई। आइपी गुप्ता तीन सीट लेने में कामयाब रहे। वे खुद सहरसा सीट से लड़ रहे हैं। आइपी गुप्ता की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कांग्रेस को अपनी जीती हुई (जमालपुर) सीट छोड़ने पर मजबूर कर दिया। अब जमालपुर से महागठबंधन उम्मीदवार के रूप आईआईपी के नरेन्द्र तांती चुनाव लड़ रहे हैं। आईआईपी की तीसरी सीट बेलदौर (खगड़िया) है जहां से तनीषा भारती चुनाव लड़ रही हैं। आइपी गुप्ता ने जातीय आबादी के हिसाब से जमालपुर, सहरसा, खजौली, हरलाखी, रुन्नी सैदपुर, नाथनगर और बेलदौर सीट मांगी थी। लेकिन उन्हें केवल तीन सींटें (सहरसा, जमालपुर और बेलदौर) ही मिलीं।
अपनी शर्तों पर महागठबंधन में शामिल
आइपी गुप्ता ने जातीय ताकत के आधार पर महागठबंधन, खास कर कांग्रेस को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। आइपी गुप्ता को पहले प्रस्ताव दिया गया कि उन्हें कांग्रेस कोटे से 3 सीटें दी जाएंगी लेकिन उन्हें कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव लड़ना होगा। आइपी गुप्ता ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके उम्मीदवार IIP के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे वर्ना गठबंधन नहीं होगा। मजबूर तेजस्वी और कांग्रेस को यह शर्त माननी पड़ी। अब आईआईपी के तीनों उम्मीदवार करनी (राजमिस्त्री का उपकरण) छाप पर चुनाव लड़ रहे हैं। यानी आईआईपी एक पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही है।
बीपीएससी प्रतिभागी छात्रों के आंदोलन से चमके
आइपी गुप्ता पहले कांग्रेस में थे। 2023 में आईआईपी के नाम से एक अलग पार्टी बनायी। वे अखिल भारतीय पान महासंघ के नाम से एक संगठन भी चलाते हैं। नीतीश सरकार ने 2015 में तांती-ततवा को अति पिछड़ी जाति से हटा कर अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था। लेकिन 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार के इस फैसले को अवैध घोषित कर राज्य सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी थी। कोर्ट ने आरक्षण के मिले हुए लाभ को भी लौटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद पान-तांती-ततवा जाति के वैसे विद्यार्थी आंदोलन पर उतर आये जो बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। छात्रों के इस आंदोलन में आइपी गुप्ता भी शामिल हो गये। इस आंदोलन के दौरान उनकी लोकप्रियता बढ़ी तो पान-तांती-ततवा समाज के बड़े नेता बन गये।
गांधी मैदान की रैली है टर्निंग प्वाइंट
एक साल बाद आइपी गुप्ता ने 13 अप्रैल 2025 को पटना के गांधी मैदान में पान-तांती- ततवा समाज की विशाल रैली आयोजित की। इस रैली में इतनी भीड़ जुटी कि गांधी मैदान लगभग भर गया। इस मौके पर उन्होंने विशाल जनसमूह से कहा, आपका छीना गया आरक्षण तब तक वापस नहीं मिलेगा जब तक आप एकजुट नहीं होंगे। लालू यादव, रामविलास पासवान जैसे लोग तभी शक्तिशाली नेता बने जब उनके समाज के लोगों ने एकजुट हो कर उनका समर्थन किया। चुनाव में 2 फीसदी वाली जाति बहुत कुछ कर सकती है। लेकिन यह तभी होगा जब समाज के लोग एकजुट हो कर मतदान करें। ये अपील काम कर गयी। इस रैली की सफलता ने आइपी गुप्ता को बिहार की राजनीति का नया सितारा बना दिया।
पारंपरिक रूप से यह समाज बुनकर के रूप में जाना जाता रहा है। चुनावी राजनीति में इतने बड़े जातीय समूह का नेता होना बहुत अहमियत रखता है। अप्रैल के बाद बिहार की राजनीति में आइपी गुप्ता की धमक बढ़ गयी। सिर्फ छह महीने में ही उनकी हैसियत ऐसी हो गयी कि वे तेजस्वी यादव से सीटों की तोल-मोल की स्थिति में पहुंच गये। अचानक ही वे महागठबंधन में छा गये। अब इनकी पार्टी ( इंडियन इंक्लूसिव पार्टी-आईआईपी ) तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
2 फीसदी वोटों का कितना प्रभाव?
आइपी गुप्ता का दावा है कि उनका जातीय समूह बिहार की करीब 100 सीटों पर निर्णायक है। जहां चुनाव में जाति ही परम सत्य हो वहां ऐसे दावे पर भला कौन नहीं ललायित होगा। तेजस्वी यादव भी उन्हें जोड़ने लिए आतुर हो गये। खूब तोल मोल हुई। आइपी गुप्ता तीन सीट लेने में कामयाब रहे। वे खुद सहरसा सीट से लड़ रहे हैं। आइपी गुप्ता की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कांग्रेस को अपनी जीती हुई (जमालपुर) सीट छोड़ने पर मजबूर कर दिया। अब जमालपुर से महागठबंधन उम्मीदवार के रूप आईआईपी के नरेन्द्र तांती चुनाव लड़ रहे हैं। आईआईपी की तीसरी सीट बेलदौर (खगड़िया) है जहां से तनीषा भारती चुनाव लड़ रही हैं। आइपी गुप्ता ने जातीय आबादी के हिसाब से जमालपुर, सहरसा, खजौली, हरलाखी, रुन्नी सैदपुर, नाथनगर और बेलदौर सीट मांगी थी। लेकिन उन्हें केवल तीन सींटें (सहरसा, जमालपुर और बेलदौर) ही मिलीं।
अपनी शर्तों पर महागठबंधन में शामिल
आइपी गुप्ता ने जातीय ताकत के आधार पर महागठबंधन, खास कर कांग्रेस को झुकने के लिए मजबूर कर दिया। आइपी गुप्ता को पहले प्रस्ताव दिया गया कि उन्हें कांग्रेस कोटे से 3 सीटें दी जाएंगी लेकिन उन्हें कांग्रेस के सिम्बल पर चुनाव लड़ना होगा। आइपी गुप्ता ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि उनके उम्मीदवार IIP के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे वर्ना गठबंधन नहीं होगा। मजबूर तेजस्वी और कांग्रेस को यह शर्त माननी पड़ी। अब आईआईपी के तीनों उम्मीदवार करनी (राजमिस्त्री का उपकरण) छाप पर चुनाव लड़ रहे हैं। यानी आईआईपी एक पार्टी के रूप में चुनाव लड़ रही है।
बीपीएससी प्रतिभागी छात्रों के आंदोलन से चमके
आइपी गुप्ता पहले कांग्रेस में थे। 2023 में आईआईपी के नाम से एक अलग पार्टी बनायी। वे अखिल भारतीय पान महासंघ के नाम से एक संगठन भी चलाते हैं। नीतीश सरकार ने 2015 में तांती-ततवा को अति पिछड़ी जाति से हटा कर अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था। लेकिन 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार के इस फैसले को अवैध घोषित कर राज्य सरकार की अधिसूचना रद्द कर दी थी। कोर्ट ने आरक्षण के मिले हुए लाभ को भी लौटाने का निर्देश दिया था। इसके बाद पान-तांती-ततवा जाति के वैसे विद्यार्थी आंदोलन पर उतर आये जो बीपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। छात्रों के इस आंदोलन में आइपी गुप्ता भी शामिल हो गये। इस आंदोलन के दौरान उनकी लोकप्रियता बढ़ी तो पान-तांती-ततवा समाज के बड़े नेता बन गये।
गांधी मैदान की रैली है टर्निंग प्वाइंट
एक साल बाद आइपी गुप्ता ने 13 अप्रैल 2025 को पटना के गांधी मैदान में पान-तांती- ततवा समाज की विशाल रैली आयोजित की। इस रैली में इतनी भीड़ जुटी कि गांधी मैदान लगभग भर गया। इस मौके पर उन्होंने विशाल जनसमूह से कहा, आपका छीना गया आरक्षण तब तक वापस नहीं मिलेगा जब तक आप एकजुट नहीं होंगे। लालू यादव, रामविलास पासवान जैसे लोग तभी शक्तिशाली नेता बने जब उनके समाज के लोगों ने एकजुट हो कर उनका समर्थन किया। चुनाव में 2 फीसदी वाली जाति बहुत कुछ कर सकती है। लेकिन यह तभी होगा जब समाज के लोग एकजुट हो कर मतदान करें। ये अपील काम कर गयी। इस रैली की सफलता ने आइपी गुप्ता को बिहार की राजनीति का नया सितारा बना दिया।
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