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'शशि कपूर को श्रीकृष्ण बनाना चाहते थे पिताजी', प्रेम सागर के निधन पर बेटे शिव ने कहा- वैकुंठ लोक चले गए होंगे

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रामानंद सागर के बेटे और प्रोड्यूसर प्रेम सागर का 31 अगस्त की सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। बेटे के मुताबिक, उन्हें एक महीने पहले कोलन कैंसर का पता चला था और उनका इलाज चल रहा था। वह शनिवार, 30 अगस्त को घर लौटे और रविवार, 31 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह मुंबई के कैंडी ब्रीच अस्पताल में भर्ती भी थे, जहां इलाज चल रहा था। उन्होंने पिता के प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया था। अब उनके बेटे शिव सागर ने नवभारत टाइम्स से बात की। पिता के निधन पर उन्होंने क्या कुछ कहा, आइए जानते हैं।



जाने-माने फिल्मकार रामानंद सागर के सुपुत्र और निर्माता-निर्देशक प्रेम सागर का हाल ही में निधन हो गया। लंबे समय से बीमारियों से जूझ रहे प्रेम सागर के बेटे शिव सागर ने उन्हें याद करते हुए कहा, 'वह राधा अष्टमी और गणपति विसर्जन का पांचवां दिन था। राम और कृष्ण पर इतना काम करने के बाद मुझे लगता है कि वह वैकुंठ लोक चले गए होंगे। वह सच्चे कृष्ण और विष्णु भक्त थे।'



विक्रम बेताल की शूटिंग घर के गैराज में हुई थीशिव सागर ने बताया कि शुरुआत में रामायण फिल्म के रूप में बनाने की योजना थी, लेकिन दादा रामानंद सागर का मानना था कि इतने विशाल महाकाव्य को तीन घंटे में समेटना असंभव है। वे बोले, 'फ्रांस में शूटिंग के दौरान पिताजी ने पहली बार टीवी देखा और उसकी शक्ति को पहचाना। इसी से विक्रम-बेताल बना, जिसकी शूटिंग बजट की कमी के चलते उनके घर सागर विला की गैराज में हुई। इसकी सफलता ने आगे चलकर रामायण को जन्म दिया, जिसने इतिहास रच दिया। दिलचस्प बात यह है कि श्रीकृष्ण को लेकर बनने वाली फिल्म की घोषणा भी हो चुकी थी और उसके लिए शशि कपूर को कृष्ण के रूप में कास्ट किया गया था, लेकिन वह फिल्म बन नहीं पाई।'



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कोविड में निशुल्क किया गया रामायण का री टेलीकास्टअपने टैक्नीशियन पिता के बारे में शिव बोले, 'मेरे पिता ने एफटीआईआई (पुणे के फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया) से ट्रेनिंग ली थी। वे कमाल के टैक्नीशियन थे। उन्होंने हमारे पुराणों को तकनीकी रूप से संपन्नता के साथ परोसा। उन्होंने अलिफ़ लैला का निर्देशन भी किया था। मैंने उनसे धैर्य सीखा और ये भी जाना कि लोगों को कैसे जोड़कर रखना होता है। रामायण जैसा महाकाव्य जिसने लोगों की ही नहीं बल्कि उसमें काम करने वाले कलाकारों को सोच को भी बदला। पिताजी बताते थे कि एक बार जब अरुण गोविल धूम्रपान कर रहे थे, तब एक स्पॉट बॉय ने आकर कहा कि आप ये सब छोड़ दीजिए अब। आप इतना दिव्य किरदार निभा रहे हैं और वाकई उसके बाद अरुण गोविल जी ने धूम्रपान त्याग दिया।



PMO से आया था पिताजी को प्रस्ताव

पिताजी के सेट पर शुद्ध शाकाहारी भोजन ही हुआ करता था। कोविड के दौर में जब पिताजी के पास पीएमओ से रामायण को री-टेलीकास्ट करने का प्रस्ताव आया, तब बिना किसी शुल्क के पिताजी और परिवार ने हामी भर दी थी,। मगर उस वक्त किसी को भी अंदाजा नहीं था कि यह दोबारा प्रसारण में भी इतनी लोकप्रियता बटोरेगा। रामायण फिर चल निकली और विज्ञापन भी खूब आए। इसके बाद कृष्णा का भी प्रसारण हुआ। जब लोग घरों में बंद थे और अनिश्चितता का सामना कर रहे थे, तब इन महाकाव्यों ने उन्हें शांति, सांत्वना और सांस्कृतिक जुड़ाव का अहसास कराया।

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