News India Live, Digital Desk : राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजे भले ही बीजेपी के पक्ष में गए हों, लेकिन सियासत के गलियारों में चर्चा बीजेपी की जीत से ज्यादा कांग्रेस की करारी हार और आम आदमी पार्टी (AAP) के एक युवा उम्मीदवार के शानदार प्रदर्शन की हो रही है। इस उपचुनाव में 'आप' के प्रत्याशी नरेश मीणा ने न केवल प्रदेश के दोनों प्रमुख दलों, बीजेपी और कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी, बल्कि कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेलकर उसकी जमानत तक जब्त करवा दी।बीजेपी की जीत, पर फीका रहा जश्नबारां जिले की अंता सीट पर बीजेपी उम्मीदवार कवंरलाल मीणा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी 'आप' के नरेश मीणा को हराकर जीत हासिल की। हालांकि, बीजेपी की यह जीत उतनी बड़ी नहीं रही जितनी उम्मीद की जा रही थी। असली उलटफेर तो दूसरे और तीसरे स्थान पर देखने को मिला।नरेश मीणा: हारकर भी बाजीगरइस चुनाव के असली 'हीरो' बनकर उभरे हैं आम आदमी पार्टी के युवा चेहरे और किसान नेता नरेश मीणा। उन्हें कुल 38,209 वोट मिले, और वह दूसरे स्थान पर रहे। यह राजस्थान में 'आप' के लिए अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है। नरेश मीणा ने यह दिखा दिया है कि प्रदेश में अब सिर्फ दो पार्टियों का ही राज नहीं चलेगा।कौन हैं नरेश मीणा?नरेश मीणा कोई परंपरागत नेता नहीं हैं। वह किसान आंदोलन और युवाओं के हक की लड़ाई से निकले एक जमीनी नेता हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है और युवाओं के बीच वह काफी लोकप्रिय हैं। पिछले साल निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर छबड़ा से चुनाव लड़कर भी उन्होंने 22 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे। उनके इस प्रदर्शन को देखते हुए ही आम आदमी पार्टी ने उन्हें अंता से अपना उम्मीदवार बनाया था।कांग्रेस का 'सबसे बुरा' प्रदर्शन, जमानत भी नहीं बचा पाईइस उपचुनाव में सबसे शर्मनाक हार कांग्रेस पार्टी की हुई है। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन 'भाया', जो पूर्व में मंत्री भी रह चुके हैं, बुरी तरह से हार गए। उन्हें मात्र 13,858 वोट ही मिले और वह अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है और पार्टी के अंदर मंथन का एक नया दौर शुरू हो गया है।क्या हैं इस नतीजे के मायने?'आप' की मजबूत दस्तक: यह नतीजा राजस्थान में आम आदमी पार्टी के लिए एक मजबूत लॉन्चिंग पैड साबित हो सकता है। नरेश मीणा ने दिखा दिया कि 'आप' के पास जमीनी नेता हैं जो स्थापित दलों को चुनौती दे सकते हैं।कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी: प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस का तीसरे नंबर पर खिसकना और जमानत जब्त होना, पार्टी के लिए एक बड़ी चेतावनी है।2028 का संकेत? राजनीतिक जानकार इस उपचुनाव को 2028 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव का ट्रेलर मान रहे हैं। यह साफ है कि आने वाले समय में राजस्थान की राजनीति 'त्रिकोणीय' और बेहद दिलचस्प होने वाली है।  
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