उत्तर प्रदेश अब देश में एक्सप्रेसवे की लंबाई के मामले में सबसे आगे है। हाल ही में गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के साथ, प्रदेश के पास भारत के कुल एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे नेटवर्क का 42% हिस्सा हो गया है। यह उन्नति यूपी को भारत में एक्सप्रेसवे राजधानी की पहचान दिलाती है। वहीं, जल्द ही 594 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे भी चालू होने वाला है, जिससे यूपी का हिस्सा बढ़कर 62% तक पहुंच जाएगा। इसका मतलब है कि देश में बनने वाले हर 10 किलोमीटर एक्सप्रेसवे में से 6 किलोमीटर यूपी में होंगे।गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: पुरवांचल का विकास द्वारगोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे लगभग 91 किमी लंबा है, जो जाइटपुर (गोरखपुर) से सालारपुर (आजमगढ़) तक फैला हुआ है और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। यह पूरी तरह नियंत्रित और चार लेन का हाईवे है जिसे भविष्य में छह लेन तक विस्तारित किया जा सकता है।इस एक्सप्रेसवे के बनने से गोरखपुर, संत कबीर नगर, अम्बेडकर नगर और आजमगढ़ जैसे चार जिलों की कनेक्टिविटी बेहतर हुई है।यात्रा का समय तेज़ हुआ है, जिससे व्यापार और लोगों की आवाजाही में सुविधा आई है।परियोजना की कुल लागत लगभग ₹7,283 करोड़ है जिसमें ज़मीन अधिग्रहण भी शामिल है।इसमें 2 टोल प्लाजा, 3 रैम्प प्लाजा, 7 फ्लाईओवर, 7 बड़े पुल, अनेक अंडरपास और पैदल पुल भी बनाए गए हैं।उत्तर प्रदेश के अन्य प्रमुख एक्सप्रेसवेगंगा एक्सप्रेसवे: 594 किलोमीटर लंबा, मेरठ से प्रयागराज तक, यूपी का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, जल्द ही चालू होगा।पुरवांचल एक्सप्रेसवे: लगभग 341 किलोमीटर लंबे, पूर्वांचल क्षेत्र को जोड़ने वाला आधुनिक एक्सप्रेसवे।यमुना एक्सप्रेसवे और आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे: रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण, आर्थिक और आवागमन संबंधी बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं।साथ ही कई नए एक्सप्रेसवे प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 866 किलोमीटर है, जिनसे प्रदेश के 56 जिलों को जोड़कर पूरे यूपी में कनेक्टिविटी और विकास का विस्तार होगा।एक्सप्रेसवे नेटवर्क का प्रभाव और महत्वयूपी का तेजी से बढ़ता एक्सप्रेसवे नेटवर्क राज्य की आर्थिक समृद्धि, औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन में मदद कर रहा है।बेहतर ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी से स्थानीय व्यापार और रियल एस्टेट बाजार को भी नए आयाम मिले हैं।कई क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की कीमतें एक्सप्रेसवे के कारण उल्लेखनीय रूप से बढ़ी हैं, जिससे निवेशकों की रुचि भी बढ़ी है।यातायात समय में कमी, दुर्घटना दर में कमी और परिवहन लागत में बचत जैसे फायदे मिल रहे हैं।पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक और नियंत्रण उपाय लागू करके निर्माण किया जा रहा है।योगी सरकार की बड़ी योजनाउत्तर प्रदेश सरकार ने अगले दो-तीन वर्षों में लगभग ₹50,000 करोड़ की योजना के तहत सात नए एक्सप्रेसवे परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएं प्रदेश के 75 जिलों में से 56 जिलों को पूरी तरह जोड़ेंगी, जिससे यूपी में सड़क परिवहन का नया युग शुरू होगा।
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