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श्री कृष्ण और रुक्मणी का विवाह: जानिए कैसे बनीं लाल वस्तुएं मांगलिक रस्म का हिस्सा

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श्री कृष्ण का विवाह और विघ्न का समाधान


ज्योतिष: भगवान श्री कृष्ण की विवाह से जुड़ी एक अनोखी कथा है, जो आज भी प्रचलित है। हालांकि, इस कथा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की कहानी में यह बताया गया है कि कृष्ण ने रुक्मणी के अनुरोध पर एक अनचाहे विवाह को रोकने के लिए उनका अपहरण किया। लेकिन इसके बाद एक और दिलचस्प घटना घटित हुई।


धर्म के जानकारों के अनुसार, जब श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ विवाह के लिए द्वारका से निकले, तो उनके मार्ग में बाधाएं उत्पन्न हुईं।


कहा जाता है कि जब कृष्ण बारात के साथ रथ पर सवार हुए, तो उन्होंने देखा कि चूहे जमीन में गहरे गड्ढे बना रहे हैं, जिससे उनका रथ हिचकोले खा रहा था। इस स्थिति से परेशान होकर, श्री कृष्ण ने विघ्नहर्ता गणेश जी का स्मरण किया।


गणेश जी ने बताया कि उन्होंने भूमि पूजन नहीं किया और न ही उन्हें निमंत्रण दिया। इस गलती के कारण मार्ग में विघ्न उत्पन्न हो रहा था। गणेश जी ने कहा कि यदि वे पहले भूमि पूजन करते और उन्हें आमंत्रित करते, तो कोई बाधा नहीं आती।


गणेश जी ने सुझाव दिया कि उन्हें पहले विनायक की पूजा करनी चाहिए और फिर बारात को रवाना करना चाहिए। इस प्रकार, विवाह से पहले गणेश जी को आमंत्रित करने की परंपरा आज भी कायम है।


श्री कृष्ण ने गणेश जी की सलाह मानी और नारियल फोड़कर भूमि पूजन किया। इसके बाद बारात आगे बढ़ी। यह परंपरा आज भी जीवित है।


श्री कृष्ण ने मंगल देव को प्रसन्न करने के लिए लाल रंग को महत्व दिया, क्योंकि मंगल देव का रंग लाल है। इसीलिए बैंड बाजे वालों के कपड़े भी लाल रंग के होते हैं।


जब बारात रुक्मणी के घर पहुंची, तो दुल्हन को लाल जोड़े में सजाया गया। यह परंपरा आज भी जारी है।


श्री कृष्ण ने लाल सिंदूर से रुक्मणी की मांग भरी, लेकिन मंगल देव अभी भी प्रसन्न नहीं हुए। अंततः, श्री कृष्ण ने मंगलसूत्र पहनाकर मंगल देव को प्रसन्न किया।


इस प्रकार, भूमि पूजन और मांगलिक वस्तुओं का विवाह में समावेश आज भी अनिवार्य है।


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