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मिसाइल हमले से कुछ घंटे पूर्व किट बैग छोड़ पाकिस्तान से भागे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी

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पाकिस्तान के काले रहस्य धीरे-धीरे उजागर हो रहे हैं। पीसीबी चेयरमैन मोहसिन नकवी ने पाकिस्तान सुपर लीग के लिए कई विदेशी खिलाड़ियों की जान जोखिम में डाल दी। बांग्लादेशी गेंदबाज रिशाद हुसैन पहले ही इसका खुलासा कर चुके हैं। अब ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने भी ऐसा ही चौंकाने वाला खुलासा किया है। दरअसल, तनाव और हमलों के बीच पाकिस्तानी सेना ने 4 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को दुबई भेजने के लिए एक सैन्य एयरबेस का इस्तेमाल किया। जिस एयरबेस से उन्होंने उड़ान भरी थी, उस पर कुछ घंटों बाद मिसाइल हमला हुआ। इस स्थिति में उनकी जान बमुश्किल बच पाई। भारतीय सेना पहले ही खुलासा कर चुकी है कि पाकिस्तान ने हमले के दौरान अपना हवाई क्षेत्र बंद नहीं किया था, बल्कि वह नागरिक विमान सेवाओं को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा था।

खिलाड़ियों को अपना किट बैग छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा
ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड के अनुसार सीन एबॉट, बेन ड्वार्शिस, एश्टन टर्नर और मिशेल ओवेन को नूर खान एयरबेस से चार्टर फ्लाइट से दुबई ले जाया गया। इसके ठीक 4 घंटे बाद इस एयरबेस को निशाना बनाया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि खिलाड़ियों को अपना सामान और किट बैग वहीं छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। इस तरह पाकिस्तान ने इन चारों खिलाड़ियों की जान जोखिम में डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

डेविड वार्नर पहले ही ऑस्ट्रेलिया लौट चुके थे। वह इस फ्लाइट में नहीं थे, लेकिन पाकिस्तानी सेना की इस गलती से कई ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी हैरान रह गए। एबॉट और ड्वार्शिस के मैनेजर पीटर लोविट ने कहा, "शॉन और बेन दुबई में आकर राहत महसूस कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे सभी खिलाड़ियों के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौतीपूर्ण रहे हैं। अगला कदम उन्हें जल्द से जल्द सुरक्षित घर पहुंचाना है।"

इन खिलाड़ियों के साथ भी ऐसी ही घटना घटी।
बांग्लादेशी लेग स्पिनर रिशाद हुसैन ने खुलासा किया कि विदेशी खिलाड़ियों के विमान में चढ़ने के 20 मिनट बाद ही हवाई अड्डे पर मिसाइल से हमला किया गया। इस तरह उन्होंने पाकिस्तानी सेना के एक और जघन्य कृत्य को उजागर कर दिया। इतना ही नहीं, पीसीबी चेयरमैन मोहसिन नकवी ने विदेशी खिलाड़ियों की बैठक बुलाई। इस दौरान उन्होंने उनसे एक दिन पहले हुए ड्रोन हमले की बात छिपाई। वह विदेशी खिलाड़ियों की जान जोखिम में डालकर शेष मैच कराची में कराने पर जोर दे रहे थे, लेकिन कोई भी खिलाड़ी सहमत नहीं हुआ। सभी लोग दुबई जाने पर अड़े रहे। तभी उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया।

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