ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के सामने आत्मसमर्पण करने वाला पाकिस्तान अब अपने सिंध प्रांत के सुदूर पहाड़ी इलाकों में गुप्त रूप से परमाणु सुरंगें और भूमिगत कक्ष बना रहा है। यह खुलासा बुधवार को जेय सिंध मुत्तहिदा महाज़ (जेएसएमएम) के अध्यक्ष शफी बुरफत द्वारा लिखे गए एक पत्र में हुआ, जिसमें पाकिस्तान की नापाक हरकतों का खुलासा किया गया है। इस पत्र पर सिंध के कार्यकर्ताओं और सिंधी नागरिक समाज समूहों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं। सिंधी कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) से भी इस मामले की तुरंत जाँच करने का अनुरोध किया है।
पत्र में कई चौंकाने वाले खुलासे हैं
बुधवार को जारी इस पत्र में दावा किया गया है कि सिंध प्रांत में बनाई जा रही सुरंगें पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी हैं और इनका इस्तेमाल यूरेनियम संवर्धन, परमाणु सामग्री भंडारण या अन्य संवेदनशील प्रक्रियाओं के लिए किया जा सकता है। विशिष्ट स्थानों का हवाला देते हुए, पत्र में जमशोरो के उत्तर में नोरियाबाद के पास, कंबर-शाहदादकोट क्षेत्र के आसपास और मंझार झील के पश्चिमी किनारे पर निर्माण का उल्लेख है। सैन्य गोपनीयता के कारण इन क्षेत्रों तक पहुँच प्रतिबंधित है और तेज़ी से भूमिगत निर्माण कार्य चल रहा है। बुरफ़ात ने स्वतंत्र स्थानीय गवाहों के बयान, दिनांकित तस्वीरें, नक्शे और सामुदायिक रिपोर्टें सबूत के तौर पर पेश कीं।
परमाणु सामग्री की मौजूदगी का दावा
बुरफ़ात ने चेतावनी दी है कि अगर इन असुरक्षित भूमिगत सुविधाओं में परमाणु सामग्री मौजूद है, तो इससे रेडियोधर्मी प्रदूषण, दुर्घटनाएँ, पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो सकता है। इससे सिंध की नदियों, कृषि भूमि, जैव विविधता और स्थानीय स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे सीमा पार पर्यावरणीय ख़तरा पैदा हो सकता है। यह आरोप पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की गहराई को उजागर करता है, जो पहले से ही वैश्विक जाँच के दायरे में है। अनुमान है कि 2025 तक पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार होंगे, और यह संख्या बढ़कर 200 हो सकती है।
सिंधु देश ने जाँच की माँग की
सिंधु देश आंदोलन, जो सिंध की स्वतंत्रता की माँग करता है, ने पाकिस्तान की गतिविधियों को क्षेत्रीय शांति के लिए ख़तरा बताया है। पत्र में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) और निरस्त्रीकरण कार्यालय (UNODA) से जाँच के लिए IAEA विशेषज्ञों की एक टीम तैनात करने की अपील की गई है। इसमें संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) सहित एक स्वतंत्र तथ्य-खोजी मिशन के गठन का भी आह्वान किया गया है। इसमें स्रोत संरक्षण सुनिश्चित करने और रेडियोलॉजिकल घटनाओं की आशंका के लिए एक योजना बनाने का भी आह्वान किया गया है।
पाकिस्तान को भारत से हमले का डर
पाकिस्तान की यह तैयारी ऐसे समय में हो रही है जब पाकिस्तान को भारत से एक और हमले का डर है। सिंधी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह गतिविधि स्थानीय समुदायों के अधिकारों का उल्लंघन है। वैश्विक समुदाय अब यह देखने के लिए उत्सुक है कि क्या IAEA जैसी संस्थाएँ हस्तक्षेप करेंगी, क्योंकि इससे दक्षिण एशिया में नई अस्थिरता पैदा हो सकती है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है।
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