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राजौरी में जन औषधि केंद्र बना लोगों की जीवन रेखा, रोजाना 600 से ज्यादा मरीज उठा रहे लाभ

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राजौरी, 19 अप्रैल (आईएएनएस)। राजौरी के जीएमसी एसोसिएटेड अस्पताल में चल रहा जन औषधि केंद्र आम लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए जीवन रेखा बन चुका है। प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत चलने वाला यह सरकारी फार्मेसी केंद्र रोजाना 500 से 600 लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवा रहा है। यहां मिलने वाली जेनेरिक दवाएं प्राइवेट मेडिकल स्टोर्स की तुलना में 90 प्रतिशत तक सस्ती हैं।

राजौरी जैसे क्षेत्र में जहां बड़ी संख्या में लोग सीमित आमदनी पर निर्भर हैं, वहां यह केंद्र लोगों के लिए राहत का बड़ा जरिया बन गया है।

स्थानीय निवासी शाज़िया ने बताया, "अब मैं अपने ब्लड प्रेशर की दवा आसानी से खरीद लेती हूं, पहले दामों को लेकर चिंता रहती थी। यह योजना हमारे जैसे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।"

जीएमसी राजौरी के डॉक्टरों ने भी इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि सस्ती दवाएं मिलने से मरीज समय पर दवा ले रहे हैं, जिससे इलाज के बेहतर नतीजे मिल रहे हैं।

केंद्र में काम करने वाले तौहीद शहज़ाद ने बताया, "हर दिन बड़ी संख्या में लोग आते हैं, यहां तक कि आधे दिन वाले दिन भी भीड़ होती है। हम आम बीमारियों जैसे शुगर, बीपी और एसिडिटी की ज़रूरी दवाएं रखते हैं। उदाहरण के लिए, जो दवा यहां 22 रुपए में मिलती है, वही बाहर 130-140 रुपए में मिलती है। एक और दवा जिसे हम 50-60 रुपए में देते हैं, वह प्राइवेट स्टोर में 250 रुपए तक बिकती है। हमारा स्टॉक जम्मू और दिल्ली से आता है।"

नियमित ग्राहक आलम दीन डार ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं, जो दवाएं बाहर 1500-2000 रुपए में मिलती हैं, वो यहां 100-200 रुपए में मिल रही हैं। यह दुकानें गरीबों के लिए किसी नेमत से कम नहीं हैं। मैं यहां अक्सर आता हूं और इससे मुझे और मेरे जैसे कई लोगों को बहुत मदद मिली है।"

बिहार के सुपौल से आए दिहाड़ी मज़दूर मुकेश कुमार शर्मा ने कहा, "मैं पीएम मोदी का शुक्रगुजार हूं। यहां सस्ती दवाएं मिलने से मेरी काफी बचत होती है। अगर यही दवाएं बाहर से लेनी पड़तीं, तो मैं नहीं ले पाता। यह सुविधा हमारे जैसे गरीबों के लिए बहुत फायदेमंद है।"

--आईएएनएस

डीएससी/सीबीटी

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