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शिक्षण संस्थान बंद करने के आदेश की अवहेलना, शिमला में कोचिंग सेंटर पर केस दर्ज करने के निर्देश

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शिमला, 06 सितंबर (Udaipur Kiran) । भारी बारिश और भूस्खलन की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने शिमला जिला में सभी शिक्षण संस्थानों और कोचिंग सेंटरों को बंद रखने के आदेश जारी किए थे। लेकिन इन आदेशों की अवहेलना करते हुए संजौली स्थित निजी आकाश कोचिंग संस्थान में कक्षाएं चलाई जा रही थीं। आदेशों के उल्लंघन पर उपायुक्त एवं जिला दंडाधिकारी अनुपम कश्यप ने कोचिंग संस्थान के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश पुलिस अधीक्षक को जारी किए हैं।

दरअसल, जिला प्रशासन को सोशल मीडिया से सूचना मिली थी कि आकाश कोचिंग सेंटर प्रशासनिक आदेशों के विपरीत बच्चों की कक्षाएं चला रहा है। इस पर उपायुक्त ने एडीएम (ला एंड ऑर्डर) पंकज शर्मा और तहसीलदार अपूर्व शर्मा को मौके पर भेजा। शनिवार सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर टीम जब कोचिंग सेंटर पहुंची तो वहां कक्षाएं चल रही थीं। जांच के दौरान छात्रों के मोबाइल पर संस्थान की ओर से कक्षाओं के लिए भेजे गए संदेश भी मिले। मौके पर मौजूद ऑपरेशन हेड राजेश कुमार ने दावा किया कि केवल संस्थान के परिसर और हॉस्टल में रह रहे छात्रों के लिए ही कक्षाएं लगाई जा रही हैं, लेकिन जब छात्रों से पूछताछ की गई तो कई ऐसे निकले जो न तो परिसर में रहते थे और न ही हॉस्टल में।

निरीक्षण के बाद प्रशासन की टीम ने विस्तृत रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपी जिसमें मौके की तस्वीरें, वीडियोग्राफी और अन्य सबूत संलग्न किए गए। रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त ने तुरंत पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। प्रशासन की टीम ने संजौली स्थित एक अन्य कोचिंग सेंटर का भी निरीक्षण किया जो पूरी तरह बंद पाया गया।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने कहा कि आकाश कोचिंग सेंटर में चल रही कक्षाएं आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 51, 52 और 53 का उल्लंघन हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिले में कहीं भी इस अधिनियम के तहत जारी आदेशों की अवहेलना पाई जाती है तो प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा। उपायुक्त ने आम जनता से अपील की कि वे नियमों की अवहेलना की सूचना तुरंत प्रशासन को दें ताकि समय रहते कार्रवाई हो सके।

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के प्रावधानों के अनुसार धारा 51 में आदेशों का पालन न करने या सरकारी कार्यों में बाधा डालने पर एक वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जबकि इससे जानमाल को खतरा उत्पन्न होने पर सजा दो वर्ष तक हो सकती है। धारा 52 में मिथ्या दावा करने पर दो वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। वहीं धारा 53 राहत सामग्री या धन के दुरुपयोग पर दो वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान करता है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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