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ग्वालियर के गोपाल मंदिर में 100 करोड़ रुपए के गहनों से होगा राधा–कृष्ण का श्रृंगार

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ग्वालियर, 16 अगस्त (Udaipur Kiran) । देश भर में 16 अगस्त, शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्ति, संस्कृति और भव्यता के अद्भुत संगम के साथ मनाया जा रहा है। मथुरा से लेकर द्वारका और वृंदावन से लेकर बरसाना तक मंदिरों में तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस बार प्रदेश के ग्वालियर का ऐतिहासिक गोपाल मंदिर देशभर में चर्चा का केंद्र फिर बनेगा । कारण, यहां जन्माष्टमी पर राधा–कृष्ण का श्रृंगार 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के गहनों से किया जाएगा।

अद्भुत श्रृंगार की परंपरा

ग्वालियर के हृदयस्थल स्थित गोपाल मंदिर, सिंधिया राजवंश की ऐतिहासिक धरोहर है। यहां जन्माष्टमी का उत्सव हमेशा ही भव्य होता है, लेकिन इस बार मंदिर प्रबंधन और श्रद्धालुओं ने इसे और विशेष बनाने का निर्णय लिया है। मंदिर के ट्रस्ट के अनुसार, राधा–कृष्ण के श्रृंगार के लिए जिन आभूषणों का प्रयोग होगा, उनमें सोना, हीरा, मोती, पन्ना, माणिक और अन्य बहुमूल्य रत्न जड़े होंगे। इनमें से कई गहने सिंधिया परिवार के ख़ज़ाने का हिस्सा हैं, जो केवल विशेष अवसरों पर ही प्रदर्शित किए जाते हैं।

श्रृंगार में मोर मुकुट, वैजयंती माला, रत्नजटित हार, कमरबंद, बाजूबंद, पायल और अंगूठियां शामिल होंगी। इन सभी पर बारीक कारीगरी की गई है। मंदिर समिति के सदस्य बताते हैं कि इस पूरे श्रृंगार का मूल्य लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है, लेकिन इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कीमत का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता। पं. भरत कुमार शास्‍त्री ने कहा कि यह अवसर हम ग्‍वालियर निवासियों को साल में एक बार अवश्‍य मिलता है, जब इन भव्‍य-दिव्‍य गहनों में हम अपने भगवान को श्रंगार में देखते हैं। इन गहनों में सोना, हीरा, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज जैसे बेशकीमती रत्न जड़े हैं। इन्हें साल भर बैंक के लॉकर में विशेष सुरक्षा में रखा जाता है।

उल्‍लेखनीय है कि इस गोपाल मंदिर की स्थापना करीब 103 साल पहले सिंधिया राजवंश में महाराज जियाजीराव सिंधिया की पत्नी महारानी बायजाबाई ने कराया था। यह मंदिर राजपूत–मुगल स्थापत्य शैली और भव्य संगमरमर के गर्भगृह के लिए प्रसिद्ध है। यहां विराजमान गोपालजी की प्रतिमा को चांदी के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। मंदिर में जन्माष्टमी पर सजने वाले गहनों में से कई महारानी बायजाबाई के समय से संरक्षित हैं। इन गहनों को देखने के लिए न केवल ग्वालियर और मध्य प्रदेश, बल्कि देशभर से श्रद्धालु आते हैं।

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, श्रृंगार के समय केवल चुनिंदा पुजारियों और भरोसेमंद सेवकों को ही गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दी गई है । दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को विशेष पंक्तियों में लगाया जाएगा, ताकि भीड़ में अव्यवस्था न फैले। मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:45 बजे के शुभ मुहूर्त में भगवान का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान शंख, घंटियां, नगाड़े और बांसुरी की धुन के साथ पूरे मंदिर में ‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की’ के जयकारे गूंजेंगे। श्रद्धालुओं को पंचामृत, माखन-मिश्री, पंजीरी और अन्य प्रसाद वितरित किया जाएगा।

गोपाल मंदिर का यह आयोजन केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह न केवल श्रीकृष्ण की लीलाओं और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि ग्वालियर की ऐतिहासिक विरासत और कलात्मक धरोहर का भी प्रदर्शन है। श्रद्धालु मानते हैं कि जन्माष्टमी के इस उत्सव में सम्मिलित होकर उन्हें अपार पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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