जयपुर, 15 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . लोक संस्कृति की मनोरम छटा बिखेर रहा 28वां लोकरंग महोत्सव अब अपने पूरे उल्लास पर है. जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित इस महोत्सव का बुधवार को नवां दिन रहा, जहां देशभर से आए कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को लोक परंपराओं की विविधता और भावनात्मक जुड़ाव का एहसास कराया. 28वां लोकरंग महोत्सव 17 अक्टूबर तक जारी रहेगा, जिसमें देशभर से आए कलाकार अपनी लोक परंपराओं की सजीव छवियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहेंगे.
मध्यवर्ती के मंच पर शाम की शुरुआत Rajasthan के महेशा राम एवं समूह ने ‘मधुर सुर बोल कागा, बाईसा रा मन श्यास से लागा’ भजन के साथ की जिसके बाद गफूर खान एवं समूह ने पारंपरिक मांगणियार गायन की सुरमई प्रस्तुति दी. लोक सिंधी गीत, खड़ताल, ढोलक और मोरचंग के साथ संगत की गई. लक्षद्वीप के कलाकारों ने अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हुए कोलकली नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को समुद्री द्वीपों की संस्कृति की झलक दिखाई. ‘कोल’ यानी लकड़ी और ‘कली’ यानी नृत्य, मलयालम शब्दों से बना यह नृत्य अपनी ऊर्जावान गति के लिए प्रसिद्ध है. पुरुष कलाकारों ने जोड़ों में गोल घेरे में नृत्य किया और हाथों में पकड़ी लकड़ियों को लयबद्ध ताल से बजाया जिससे मंच गूंजने लगा.
Rajasthan से आए कौशल कांत पंवार एवं समूह ने गणगौर नृत्य के माध्यम से लोक आस्था और नारी शक्ति की भावनाओं को सजीव किया. साथ ही शिव पार्वती की आराधना के दृश्य साकार किए. यूसुफ खान मेवाती एवं समूह ने पारंपरिक भपंग वादन में राग यमन पर लोकगीत ‘फैशन पर करे रे कमाल’ से वातावरण को रोमांचित कर दिया साथ ही भपंग की तानों पर हुई जुगलबंदी से शाम को यादगार बना दिया. मध्यप्रदेश के कलाकारों ने करमा नृत्य प्रस्तुत किया. यह नृत्य बैगा परधोनी संस्कृति का है जो रीति-रिवाजों को निभाते हुए विवाह के अवसरों पर किया जाता है.
Rajasthan के कलाकार सुरेन्द्र व उनके शिष्यों ने बालकों का चंग नृत्य प्रस्तुत किया जो शेखावटी का पारंपरिक लोक नृत्य है. यह नृत्य ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों द्वारा किया जाता है जहां दो या तीन पीढ़ियों के सदस्य खुशी मनाते हुए यह नृत्य करते हैं. प्रस्तुति में नई पीढ़ी के बच्चों ने लोक संस्कृति के संरक्षण में यह नृत्य मंच पर साकार किया. Gujarat के कलाकारों ने मणियारो रास के माध्यम से गरबा की पारंपरिक छटा बिखेरी. वहीं तगाराम एवं समूह द्वारा प्रस्तुत बालकों की गैऱ ने Rajasthan के लोक उत्सवों की झलक को जीवंत किया. Jharkhand से आए सुधीर एवं समूह ने अपने लोक नृत्य छऊ से दर्शकों को रोमांचित कर दिया. प्रस्तुति में कलाकारों ने नृत्य महिषासुर वध की कहानी गढ़ते हुआ देवी मां की शक्ति और न्याय का स्वरूप मंच पर साकार किया और बड़े-बड़े वज़नदार मुखौटे मुख पर लगाए हुए शक्ति और समर्पण को सजीव रूप दिया.
शाम का आखिरी प्रस्तुति में Rajasthan के लोक कलाकार मनीषा शर्मा एवं समूह ने राधा-कृष्ण लीला के भाव प्रकट करते हुए ब्रज होली की भावपूर्ण प्रस्तुति दी. मंच पर फूलों की होली खेली गई और यह मनोरम दृश्य देख दर्शकों का मन मोहित हो गया और प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा.
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(Udaipur Kiran)
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