रांची, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . सुरक्षा केवल एक नियम या प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक मूलभूत जिम्मेदारी और रणनीतिक निवेश है. इसी विचार को केंद्र में रखते हुए कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) Jharkhand की ओर से शुक्रवार को छठा सीआईआई Jharkhand सेफ्टी टॉक आयोजित किया गया.
इस आयोजन में देश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों से 300 से अधिक प्रतिनिधि और 40 से अधिक कंपनियों ने भाग लिया.
कार्यक्रम का मुख्य विषय मानव व्यवहार और तकनीक का एकीकरण, एक सशक्त सुरक्षा संस्कृति की ओर था. कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि सुरक्षा किसी गंतव्य नहीं, बल्कि एक निरंतर यात्रा है.
औद्योगिक विकास के इस दौर में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा एनालिटिक्स, स्मार्ट पीपीई और वेयरेबल टेक्नोलॉजी जैसे आधुनिक साधनों के उपयोग से दुर्घटनाओं की रोकथाम और जोखिम प्रबंधन में बड़ा परिवर्तन संभव है.
तनाव और बर्नआउट अब औद्योगिक सुरक्षा के अहम पहलू
वक्ताओं ने कहा कि कर्मचारियों की भावनात्मक सेहत, तनाव और बर्नआउट अब औद्योगिक सुरक्षा के अहम पहलू बन चुके हैं, क्योंकि ये सीधे उत्पादकता और दुर्घटनाओं की संभावना को प्रभावित करते हैं. टाटा स्टील लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट (सेफ्टी, हेल्थ एंड सस्टेनेबिलिटी) और सीआईआई ईस्टर्न रीजन सेफ्टी सब-कमेटी के चेयरमैन राजीव मंगल ने कहा कि सुरक्षा अब केवल अनुपालन का विषय नहीं, बल्कि व्यवसाय का मूल मूल्य है. अच्छी सुरक्षा संस्कृति से अच्छा व्यावसायिक प्रदर्शन सुनिश्चित होता है. अब समय है कि हम एआई एनालिटिक्स और स्मार्ट तकनीक के जरिये जोखिमों का पूर्वानुमान लगाएं, न कि केवल घटना के बाद विश्लेषण करें.
सीआईआई जमशेदपुर जोनल काउंसिल के चेयरमैन और जेसीएपीसीपीएल के एमडी अभिजीत ए ननोती ने कहा कि सुरक्षा में निवेश करना दरअसल लोगों और प्रगति दोनों में निवेश करना है. सुरक्षा अनुपालन से आगे बढ़कर हमें इसे संगठन की संस्कृति और दैनिक व्यवहार का हिस्सा बनाना होगा.
सरकार ने श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच की पहल शुरू की : अविनाश
Jharkhand सरकार के श्रम अधीक्षक अविनाश ठाकुर ने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा केवल कानूनी बाध्यता नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नैतिक जिम्मेदारी है. सरकार ने पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच की पहल शुरू की है और उद्योगों से भी ऐसे कदम उठाने की अपील की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक उद्योग को विश्वसनीय सुरक्षा ऑडिट, नियमित मेडिकल चेक-अप और खतरनाक कार्यस्थलों की सतत निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके.
कार्यक्रम के दौरान सीईओ लीडरशिप इन ड्राइविंग सेफ्टी बियॉन्ड द वर्कप्लेस विषय पर विशेष सत्र आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता राजीव मंगल ने की. उन्होंने कहा कि टाटा स्टील में Road Accident ओं को भी नॉन-एनर्जाइजिंग इंसिडेंट्स की श्रेणी में लिया जाता है ताकि इनसे सीख लेकर भविष्य के लिए सुधार किए जा सकें. इस सत्र में टाटा ब्लूस्कोप स्टील, जेसीएपीसीपीएल, टाटा कमिंस, टाटा हिटाची, टाटा पावर और टाटा पिगमेंट्स जैसी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने विचार साझा किए.
कार्यक्रम के साथ एक सेफ्टी एक्ज़िबिशन भी आयोजित की गई, जिसमें 40 से अधिक प्रदर्शकों ने नवीनतम सुरक्षा उपकरणों, तकनीक और औद्योगिक समाधानों का प्रदर्शन किया.
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
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