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कैसे अलग होने के बाद एक भाई अनिल अंबानी होता चला गया बर्बाद, वहीं दूसरा भाई मुकेश अंबानी ने लगाई छलांग

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भारत के सबसे चर्चित उद्योगपति धीरूभाई अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखी, जो एक समय देश का सबसे बड़ा बिजनेस साम्राज्य बन गया। 2002 में जब धीरूभाई का निधन हुआ, तब उनके पास कोई वसीयत नहीं थी। इस वजह से उनके दो बेटों—मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी—के बीच कंपनी के नियंत्रण को लेकर तीखी लड़ाई शुरू हो गई। यह झगड़ा इतना बड़ा था कि यह सार्वजनिक हो गया और पूरे कॉरपोरेट जगत की सुर्खियां बन गया। आखिरकार, उनकी मां कोकिलाबेन अंबानी को बीच में आना पड़ा। 2005 में कोकिलाबेन ने दोनों भाइयों के बीच रिलायंस साम्राज्य का बंटवारा करवाया। मुकेश को तेल, गैस, पेट्रोकेमिकल्स और मैन्युफैक्चरिंग जैसे मुख्य कारोबार मिले, जबकि अनिल को टेलीकॉम, बिजली, वित्तीय सेवाएं और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे उभरते क्षेत्र मिले। उस समय अनिल के हिस्से को भविष्य की संभावनाओं से भरा माना जा रहा था।

अनिल अंबानी का सुनहरा दौर

2008 तक अनिल अंबानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार थे। फोर्ब्स ने उन्हें 42 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया का छठा सबसे अमीर व्यक्ति घोषित किया था। उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) टेलीकॉम सेक्टर में तेजी से उभर रही थी। रिलायंस पावर का IPO उस समय भारत का सबसे बड़ा IPO था, जो मिनटों में ओवरसब्सक्राइब हो गया। अनिल की आक्रामक रणनीतियां, बड़े निवेश और चमक-दमक भरा अंदाज उन्हें कॉरपोरेट जगत का सुपरस्टार बनाता था। उनकी शादी बॉलीवुड अभिनेत्री टीना मुनीम से थी, और वह सेलिब्रिटी सर्कल में भी काफी लोकप्रिय थे। लेकिन यह चमक लंबे समय तक नहीं टिकी।

अनिल का पतन: गलत फैसले और कर्ज का बोझ

अनिल की कंपनियों ने आक्रामक विस्तार की रणनीति अपनाई, लेकिन यह रणनीति जल्द ही उनके लिए मुसीबत बन गई। रिलायंस कम्युनिकेशंस टेलीकॉम इंडस्ट्री की कट-थ्रोट प्रतिस्पर्धा में पिछड़ने लगी। कीमतों में जंग और नए खिलाड़ियों जैसे जियो (जो बाद में मुकेश अंबानी ने लॉन्च किया) के आने से RCom की हालत खराब हो गई। अनिल ने भारी-भरकम कर्ज लिया, जिसे चुकाने में उनकी कंपनियां नाकाम रहीं। रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर भी घाटे में डूबने लगे। 2017 तक RCom का कर्ज 40,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया, और कंपनी दिवालिया प्रक्रिया (CIRP) में चली गई।

इसके अलावा, अनिल पर फंड के दुरुपयोग और फर्जी लेन-देन के कई आरोप लगे। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने RCom को एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये चुकाने में नाकामी पर अनिल को जेल की धमकी दी थी। आखिरी वक्त पर मुकेश ने अपने भाई को जेल जाने से बचाया, लेकिन अनिल की साख को भारी नुकसान पहुंचा। 2020 में अनिल ने यूके की एक अदालत में खुद को दिवालिया घोषित कर दिया, दावा करते हुए कि उनकी नेट वर्थ जीरो है। हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा, SBI और बैंक ऑफ इंडिया ने RCom और अनिल के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित किया, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

मुकेश अंबानी की उड़ान

दूसरी ओर, मुकेश अंबानी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने तेल और पेट्रोकेमिकल्स जैसे पारंपरिक कारोबार को मजबूत किया और साथ ही रिलायंस जियो के जरिए टेलीकॉम सेक्टर में क्रांति ला दी। जियो ने सस्ते डेटा और कॉल्स के साथ बाजार को हिला दिया, जिसने RCom जैसे प्रतिद्वंद्वियों को लगभग खत्म कर दिया। मुकेश ने रिटेल, टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे नए क्षेत्रों में भी कदम रखा। 2025 तक उनकी संपत्ति 125 बिलियन डॉलर से ज्यादा हो चुकी है, और वह एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं। उनकी सोच, रणनीति और अनुशासित प्रबंधन ने रिलायंस को एक वैश्विक ताकत बना दिया।

क्यों रहा इतना अंतर?

मुकेश और अनिल की राहें अलग होने की वजह उनके बिजनेस दृष्टिकोण और प्रबंधन शैली में थी। मुकेश ने स्थिरता और लंबी अवधि की रणनीतियों पर ध्यान दिया, जबकि अनिल ने जोखिम भरे निवेश और आक्रामक विस्तार को चुना। अनिल की कंपनियों में खराब गवर्नेंस, फंड के दुरुपयोग के आरोप और कर्ज का बढ़ता बोझ उनकी बर्बादी का कारण बना। वहीं, मुकेश ने तकनीक और बदलते बाजार के साथ कदम मिलाकर रिलायंस को हर क्षेत्र में आगे रखा।

क्या अनिल कर पाएंगे वापसी?

हालांकि अनिल की कुछ कंपनियां, जैसे रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, अब मुनाफे में लौट रही हैं, लेकिन उनके सामने कानूनी और वित्तीय चुनौतियां अभी भी बड़ी हैं। SEBI ने उन पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है और पांच साल के लिए शेयर बाजार से प्रतिबंधित कर दिया है। इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी उनकी कंपनियों पर छापेमारी की है। दूसरी तरफ, मुकेश अंबानी का साम्राज्य लगातार बढ़ रहा है। यह कहानी न सिर्फ दो भाइयों की अलग-अलग राहों की है, बल्कि यह भी दिखाती है कि बिजनेस में सही फैसले और अनुशासन कितने जरूरी हैं।

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