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उत्तराखंड सरकार की बड़ी पहल, कर्मचारियों को मिली महंगाई भत्ते की सौगात

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उत्तराखंड की धामी सरकार ने अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक बड़ा तोहफा पेश किया है। हाल ही में सरकार ने महंगाई भत्ते (डीए) में 2 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया, जिससे कर्मचारियों के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ गई है। इस फैसले को लागू करने के लिए शासन ने मंगलवार को आदेश जारी किए, जिसे मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को हरी झंडी दिखाई। यह बढ़ा हुआ डीए 1 जनवरी 2025 से प्रभावी माना जाएगा। आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।

महंगाई भत्ते में कितनी बढ़ोतरी?

पहले उत्तराखंड के राजकीय कर्मचारी और पेंशनर 53 फीसदी की दर से महंगाई भत्ता प्राप्त कर रहे थे। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 55 फीसदी कर दिया है। यह वृद्धि न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि बढ़ती महंगाई के दौर में उनकी वित्तीय सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेगी। यह कदम धामी सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें कर्मचारियों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाती है।

किन्हें मिलेगा इस योजना का लाभ?

यह बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता उत्तराखंड सरकार के अधीन कार्यरत सभी राजकीय कर्मचारियों को प्रदान किया जाएगा। हालांकि, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों और सार्वजनिक उपक्रमों के कर्मचारियों के लिए यह तकनीकी रूप से लागू नहीं होगा। लेकिन इन वर्गों के लिए संबंधित विभाग जल्द ही अलग से आदेश जारी करेंगे, ताकि कोई भी इस लाभ से वंचित न रहे। इस तरह, सरकार ने सभी कर्मचारियों के हितों का ध्यान रखने की कोशिश की है।

कर्मचारियों के लिए क्या मायने रखता है यह फैसला?

आज के दौर में, जब महंगाई हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रही है, यह डीए वृद्धि कर्मचारियों के लिए राहत की सांस लेकर आई है। यह न केवल उनकी मासिक आय को बढ़ाएगा, बल्कि उनके परिवारों की आर्थिक स्थिरता को भी मजबूती देगा। खासकर पेंशनरों के लिए, जो अपनी जिंदगी के इस पड़ाव पर स्थिर आय पर निर्भर हैं, यह फैसला किसी वरदान से कम नहीं है। उत्तराखंड सरकार का यह कदम कर्मचारियों के बीच विश्वास और संतुष्टि को बढ़ाने में कारगर साबित होगा।

धामी सरकार की कर्मचारी-केंद्रित नीतियां

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में उत्तराखंड सरकार ने बार-बार कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता दी है। यह डीए वृद्धि भी उसी दिशा में एक और कदम है। सरकार का मानना है कि कर्मचारी किसी भी प्रशासन की रीढ़ होते हैं, और उनकी संतुष्टि और आर्थिक स्थिरता से ही राज्य का विकास संभव है। इस फैसले से न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि यह सरकार की जन-केंद्रित नीतियों का भी प्रमाण है।

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