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GST 2.0 का धमाका: स्पोर्ट्स इक्विपमेंट की कीमतों में भारी कटौती!

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भारत में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल ही में GST 2.0 के तहत स्पोर्ट्स इक्विपमेंट पर टैक्स की दरों में बदलाव की घोषणा की है। इस नए नियम के अनुसार, क्रिकेट बैट, फुटबॉल, बैडमिंटन रैकेट जैसे कई खेल उपकरणों पर GST की दर को 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। सरकार का दावा है कि इससे खेल उपकरण सस्ते होंगे और युवा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा। लेकिन क्या वाकई यह बदलाव खिलाड़ियों के लिए फायदेमंद है, या इसके पीछे कुछ और कहानी है? आइए, इसकी गहराई में उतरकर समझते हैं।

सस्ते उपकरण, बड़ा फायदा?

GST 2.0 के इस फैसले से कई लोकप्रिय खेल उपकरणों की कीमतें कम होने की उम्मीद है। उदाहरण के लिए, एक अच्छा क्रिकेट बैट जो पहले 5000 रुपये में मिलता था, अब उसकी कीमत 4500 रुपये तक हो सकती है। इसी तरह, हॉकी स्टिक, टेनिस रैकेट और अन्य उपकरण भी सस्ते हो सकते हैं। खेल सामग्री बनाने वाली कंपनियों का कहना है कि कम टैक्स से उत्पादन लागत कम होगी, जिसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा। छोटे शहरों और गाँवों के खिलाड़ियों के लिए यह खबर किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि उनके लिए महंगे उपकरण खरीदना अक्सर मुश्किल होता है।

लेकिन क्या यह इतना आसान है? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स कम होने का पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचेगा। कुछ कंपनियां कीमतों में कमी करने के बजाय अपने मुनाफे को बढ़ाने की कोशिश कर सकती हैं। इसके अलावा, आयातित खेल उपकरणों पर अभी भी कस्टम ड्यूटी लागू है, जिसके कारण विदेशी ब्रांड्स के उपकरणों की कीमतों में ज्यादा बदलाव नहीं हो सकता।

खिलाड़ियों की राय क्या है?

खिलाड़ियों और कोचों की प्रतिक्रियाएँ इस बदलाव पर मिली-जुली हैंUberमिली हैं। युवा क्रिकेटर रोहन शर्मा ने कहा, “अगर बैट और गेंद सस्ते होंगे तो हम जैसे नए खिलाड़ी आसानी से प्रैक्टिस के लिए अच्छा सामान खरीद सकेंगे।” वहीं, कुछ अनुभवी खिलाड़ी और कोच इस बात से चिंतित हैं कि सस्ते उपकरणों की क्वालिटी पर असर पड़ सकता है। बैडमिंटन कोच अनिल मेहता ने बताया, “कई बार सस्ते सामान की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती, जिससे खेल का स्तर प्रभावित हो सकता है।”

खेल संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है, लेकिन उनकी माँग है कि सरकार को सस्ते और अच्छी क्वालिटी के उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाने चाहिए। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं की कमी अभी भी एक बड़ी समस्या है।

चुनौतियाँ और भविष्य की राह

हालाँकि GST में कटौती से कीमतें कम होने की संभावना है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर तभी दिखेगा जब इसका सही तरीके से पालन हो। कुछ दुकानदार और निर्माता पुराने स्टॉक को ऊँची कीमत पर बेच सकते हैं, जिससे ग्राहकों को तुरंत फायदा न मिले। इसके अलावा, खेल उपकरणों की दुकानों तक यह छूट पहुँचने में समय लग सकता है।

सरकार ने यह भी कहा है कि वह खेल को बढ़ावा देने के लिए और योजनाएँ लाएगी। इनमें खेल प्रशिक्षण केंद्रों को बढ़ाना और स्थानीय स्तर पर उपकरण निर्माण को प्रोत्साहन देना शामिल है। लेकिन क्या ये योजनाएँ वाकई जमीन पर उतर पाएँगी? यह देखना अभी बाकी है।

क्या है असली सवाल?

GST 2.0 का यह कदम खेल प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर हो सकता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह बदलाव वाकई खेल के मैदान में क्रांति लाएगा? खिलाड़ियों को सस्ते और अच्छे उपकरण चाहिए, लेकिन साथ ही उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और अवसरों की भी जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह टैक्स कटौती के साथ-साथ खेल के बुनियादी ढाँचे पर भी ध्यान दे।

इस बदलाव से भारत में खेलों का भविष्य और उज्ज्वल हो सकता है, बशर्ते इसका सही तरीके से अमल हो। खिलाड़ियों और खेल प्रेमियों की नज़र अब इस बात पर है कि यह नीति कितनी कारगर साबित होती है।

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