Destruction due to rain in Jammu region: जम्मू क्षेत्र में मंगलवार को नदियों के उफान पर होने से पानी के वेग से रास्ते में आने वाली हर चीज तहस-नहस हो गई और चट्टान, पेड़ और पत्थर ढलानों से नीचे गिर पड़े। जम्मू क्षेत्र में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जिनमें नौ तीर्थयात्री भी शामिल हैं जिनकी मृत्यु वैष्णो देवी मार्ग पर भूस्खलन की चपेट में आने से हुई।
लगातार भारी बारिश ने न केवल जम्मू में बल्कि कश्मीर घाटी में भी तबाही मचाई। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा, पुल ढह गए और मोबाइल टावर और बिजली के खंभे टहनियों की तरह टूट गए। अचानक बाढ़ और भूस्खलन के मद्देनजर वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थयात्रा स्थगित कर दी गई। अधिकारियों ने बताया कि केंद्र शासित प्रदेश के बड़े हिस्से में दूरसंचार सेवाएं ठप हो गईं, जिससे लाखों लोगों का संचार संपर्क टूट गया और समस्याएं बढ़ गईं।
भूस्खलन में 9 की मौत, 21 घायल : उन्होंने बताया कि जम्मू-श्रीनगर और किश्तवाड़-डोडा राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात निलंबित कर दिया गया और दर्जनों पहाड़ी सड़कें भूस्खलन या अचानक आई बाढ़ के कारण अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हो गईं। जम्मू आने-जाने वाली कई ट्रेन रद्द कर दी गईं। रियासी जिले की त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले रास्ते पर मंगलवार अपराह्न करीब तीन बजे भूस्खलन हुआ जिसकी चपेट में आने से कम से 9 लोगों की मौत हो गई जबकि 21 अन्य घायल हुए हैं। मृतक संख्या बढ़ सकती है।
अधिकारियों ने बताया कि अर्धकुंवारी स्थित इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल जुटे हुए हैं और कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि भूस्खलन कटरा शहर से पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक 12 किलोमीटर के घुमावदार रास्ते के लगभग बीच में हुआ। मंदिर तक जाने के दो रास्ते हैं। हिमकोटि मार्ग पर सुबह से ही यात्रा स्थगित कर दी गई थी, लेकिन पुराने रास्ते पर अपराह्न 1.30 बजे तक यात्रा जारी रही, जब अधिकारियों ने बारिश के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाते हुए इसे स्थगित करने का फैसला किया।
किरण की आंखों देखी : पंजाब के मोहाली की किरण भी उन लोगों में शामिल थीं जो पत्थरों, पेड़ों और चट्टानें गिरने की चपेट में आ गए। किरण ने कटरा के एक अस्पताल में बताया कि मैं दर्शन करने के बाद पहाड़ी से नीचे आ रही थी, तभी लोग चिल्लाने लगे। मैंने पत्थर गिरते देखे। मैं सुरक्षित जगह पर पहुंची, लेकिन घायल हो गई। घटना में बाल-बाल बची एक लड़की ने कहा कि हमारा पांच लोगों का एक समूह था, जिनमें से तीन घायल हैं। लड़की घटना के बाद से सदमे में है। कई रिश्तेदार अपने प्रियजनों की सूचना प्राप्त करने के लिए कटरा स्थित अस्पताल और वैष्णो देवी आधार शिविर में जमा हुए। कुछ घायलों को जम्मू से लगभग 15 किलोमीटर दूर कटरा के नारायण अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है।
सेना ने मोर्चा संभाला : जम्मू के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कटरा और उसके आसपास बचाव और राहत कार्यों में सेना की तीन टुकड़ी तुरंत तैनात कर दी गईं। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि एक टुकड़ी कटरा के अर्धकुंवारी में लोगों की जान बचाने में मदद कर रही है। एक टुकड़ी कटरा से ठाकरा कोट जाने वाली सड़क पर भूस्खलन वाले स्थान पर पहुंच गई है और एक टुकड़ी जौरियां के दक्षिण में सहायता प्रदान कर रही है। लोगों की जान बचाने, जरूरतमंदों को सहायता प्रदान करने और नागरिकों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने के प्रयास जारी हैं। नागरिक एजेंसियों के साथ गहन समन्वय किया जा रहा है।
बारिश की तबाही का यह दिन किश्तवाड़ जिले के चिसोती में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ के कुछ दिनों बाद आया है, जो मचैल माता मंदिर के रास्ते में आने वाला आखिरी गांव है। चिसोती में 14 अगस्त को बादल फटने से आई अचानक बाढ़ में 65 लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर तीर्थयात्री थे जबकि 100 से ज़्यादा घायल हुए थे। कई लोग अब भी लापता हैं। मंगलवार को जम्मू क्षेत्र में बारिश से संबंधित अन्य घटनाओं में, डोडा जिले में कम से कम चार लोगों के मारे जाने की सूचना है। इनमें से तीन लोग फिसलकर नदी में गिर गए और तेज बहाव वाले पानी में डूब गए, जबकि एक की घर ढहने से मौत हो गई। क्षेत्र के निचले इलाकों से सैकड़ों लोगों को निकाला गया।
अधिकारियों ने बताया कि किश्तवाड़, रियासी, राजौरी, रामबन और पुंछ जिलों के ऊंचाई वाले इलाकों से सार्वजनिक और निजी बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचने की सूचना हैं। उन्होंने बताया कि आपदा की असली तस्वीर जमीनी हालात के आकलन के बाद ही सामने आएगी।
मुख्यमंत्री ने की आपात बैठक : मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्थिति को गंभीर बताया। उन्होंने एक आपात बैठक की अध्यक्षता की और जिला प्रशासकों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया। अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ...आपातकालीन बहाली कार्यों और अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उपायुक्तों को अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। अब्दुल्ला ने प्रशासन को प्रभावित परिवारों को समय पर भोजन, पानी और दवा जैसी ज़रूरी चीज़ें उपलब्ध कराने और कमजोर समूहों को राहत मुहैया कराने को प्राथमिकता देने का भी आदेश दिया।
सभी जलाशय खतरे के निशान से ऊपर : बाढ़ के कारण क्षेत्र के लगभग सभी जलाशय खतरे के निशान से ऊपर बह रहे हैं, जिससे निचले इलाके और प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कठुआ में रावी नदी पर बने मोधोपुर बैराज का जलस्तर एक लाख क्यूसेक के स्तर को पार कर गया, जिससे कठुआ ज़िले में भारी बाढ़ आ गई। तराना, उझ, तवी और चिनाब जैसी प्रमुख नदियां भी अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे पुलिस और नागरिक अधिकारियों को लोगों से सुरक्षित क्षेत्रों में जाने की बार-बार सार्वजनिक अपील करनी पड़ रही है।
मौसम विभाग के अनुसार, सुबह 8.30 बजे तक पिछले 24 घंटे के दौरान कठुआ ज़िले में 155.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, इसके बाद डोडा के भद्रवाह में 99.8 मिलीमीटर, जम्मू में 81.5 मिलीमीटर और कटरा में 68.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। प्रशासन ने लोगों को जलाशयों और भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर रहने के लिए सलाह दी है। मौसम विभाग ने 27 अगस्त तक लगातार मध्यम से भारी बारिश और बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की संभावना का अनुमान जताया है।
विभिन्न स्थानों पर ऑप्टिकल फाइबर को व्यापक नुकसान पहुंचने के बाद जम्मू कश्मीर में सभी सेवा प्रदाताओं के नेटवर्क बाधित होने की सूचना है। संचार व्यवस्था ठप होने से आपातकालीन प्रतिक्रिया उपायों में बाधा उत्पन्न हुई और निवासियों में दहशत उत्पन्न हुई। दूरसंचार ऑपरेटरों ने कहा कि सेवाओं को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए तकनीकी टीम को तैनात किया गया है।
जम्मू संभाग के सभी स्कूल बंद : जम्मू संभाग के सभी सरकारी और निजी स्कूल को 27 अगस्त तक बंद रखने का निर्देश दिया गया है। जम्मू कश्मीर विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने बुधवार को होने वाली कक्षा 10वीं और 11वीं की सभी परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया। इसके अलावा, जम्मू में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) सहित विभिन्न सुरक्षा संगठनों में कांस्टेबल के लिए भर्ती अभियान भी दिन भर के लिए रोक दिया गया। जम्मू और सांबा जिलों में भारी बारिश के कारण कई उफनती नदियों और जलमग्न निचले इलाकों से सैकड़ों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और स्थानीय प्रशासन की टीम अभियान में जुटी हुई हैं। एनडीआरएफ ने जम्मू शहर के आसपास के इलाकों में फंसे छात्रों और कई परिवारों को बचाने के लिए जीजीएम साइंस कॉलेज क्षेत्र में नौकाएं तैनात की हैं। एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू और सांबा ज़िलों में नदी के आसपास के क्षेत्रों और जलमग्न निचले इलाकों से बड़ी संख्या में लोगों को निकाला गया है। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala
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